आशूर का सबक़ बलिदान, दीनदारी, बहादुरी, एक दूसरे की मदद, अल्लाह की राह में उठ खड़े होने, मोहब्बत और इश्क़ का सबक़ है। आशूर के सबक़ में से एक यही अज़ीम इंक़ेलाब है, जो आप ईरानी क़ौम ने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के वंशज इमाम ख़ुमैनी के नेतृत्व में अंजाम दिया है ... हमें, इस ज़माने के लोगों को अल्लाह की कृपा से यह मौक़ा मिला है कि इस रास्ते पर एक बार फिर चलें और इस्लाम का नाम दुनिया में एक बार फिर ज़िन्दा करें और इस्लाम व क़ुरआन का परचम पूरी दुनिया में लहराएं। दुनिया में यह कारनामा आपको नसीब हुआ है ... लेकिन अगर हम ख़बरदार न रहे जिस तरह ख़बरदार रहना चाहिए, अगर अपने आपको उस तरह कि जैसा होना चाहिए और रहना चाहिए इस रास्ते पर बाक़ी न रखा तो मुमकिन है उसी तरह के अंजाम का सामना करना पड़े और यही आशूर से सबक़ लेने का मक़ाम है।

इमाम ख़ामेनेई

7/2/199