बेसत का दिन और बेसत की रात, ऐसा दिन और रात है जब अल्लाह के सबसे अच्छे बंदे पैग़म्बरे इस्लाम को सृष्टि का सबसे अच्छा तोहफ़ा दिया गया जिसे बेसत की रात की ख़ास दुआ में महान जलवा कहा गया है।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 24 सितम्बर 1982 को अपनी एक तक़रीर में फ़रज़ंदे रसूल इमाम मुहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम की शख़्सियत के कुछ पहलुओं का जायज़ा लिया और इमाम के तारीख़ी सफ़रे शाम के सिलसिले में बड़े अहम बिंदुओं पर रौशनी डाली। तक़रीर के कुछ चुनिंदा हिस्से निम्नलिखित हैं।