दुश्मन हर मौक़े और हर पहलू को इस्तेमाल करना चाहता है। मिसाल के तौर पर एक मसला  जिसके लिए विदेशी हाथ और आंतरिक शैतान कोशिश कर रहे हैं यह है कि कि संस्थान स्थिर न रहें बिखर जाएं...अदालतों में, आईआरजीसी, पुलिस बल और सशस्त्र बल में इस तरह से प्रोपैगन्डा हो रहा है कि उस प्रोपैगन्डे का नतीजा यह है कि क़ौम से उसकी एकता को ले लें और हमारी क़ौम को दुनिया के सामने इस तरह पहचनवाएं कि यह क़ौम किसी सिस्टम के अंडर में नहीं है। इनके पास कोई सिस्टम ही नहीं है... उनका मक़सद यह है कि धर्मगुरुओं की छवि को क़ौम के सामने ख़राब करें और इन फ़ोर्सेज़ के बीच जो आपसी ताल-मेल होना चाहिए, या किसी मुल्क को चलाने के लिए जो सिस्टम होना चाहिए, उसे तितर बितर कर दें। जिस वक़्त -मान लीजिए कि सशस्त्र बल और पुलिस फ़ोर्स के बीच ताल-मेल नहीं होगा, उनसे कोई काम नहीं हो पाएगा। चाहे वे कितनी ही ताक़तवर क्यों न हों।

इमाम ख़ुमैनी

11/7/1980