इस्लाम में तरीक़ा बहुत अहमियत रखता है। तरीक़ा, वैल्यूज़ की तरह अहम है। इस्लाम में जिस तरह वैल्यूज़ को बहुत अहमियत दी गयी है उसी तरह तरीक़े और अपनाए जाने वाले रास्ते को भी अहमियत दी गयी है। वैल्यूज़, तौर तरीक़े में भी ज़ाहिर होनी चाहिए। आज अगर हम यह चाहते हैं कि हमारी हुकूमत सही अर्थों में इस्लामी हो, तो बिना किसी झिझक के इसी रास्ते पर हमें चलना चाहिए। मुख़्तलिफ़ विभागों के अधिकारी, तीनों पालिकाएं, मिडिल लेवल के अधिकारी, सबके सब की कोशिश यह होनी चाहिए कि अपने काम और लक्ष्य को हासिल करने के लिए सही व अख़लाक़ी तरीक़ा अपनाएं। हो सकता है इस शैली के ज़रिए किसी जगह नाकामी हो और मज़बूती हासिल करने में मुश्किलों का सामना हो, लेकिन यह बात स्पष्ट है कि इस्लाम और अमीरुल मोमेनीन की नज़र में ग़ैर अख़लाक़ी तरीक़ा अपनाना किसी भी हालत में सही नहीं है। हज़रत अली का रास्ता यही है और हमें इस तरह आगे बढ़ना चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
16/3/2001