ये शाबान का महीना है, तवस्सुल, दुआ और सोच-विचार का महीना है। ये रमज़ान के मुबारक महीने की तैयारी का मौक़ा है। ये वह महीना है जिसमें पढ़ी जाने वाली ख़ास दुआओं में हमारे लिए सौभाग्य और नजात का रास्ता, ज़ाहिर है। ऐ ख़दा! मुझे ऐसा दिल दे जिसका शौक़ उसे तेरे क़रीब ले आए और मुझे एक ऐसी ज़बान दे जिसकी सच्चाई तेरी तरफ़ ऊपर जाए और मुझे ऐसी सोच दे जिसकी दुरुस्तगी उसे तेरे क़रीब ले आए ... ऐ ख़दा! मुझे हर चीज़ से तवज्जो हटाकर तेरी तरफ़ तवज्जो केन्द्रित करने की तौफ़ीक़ दे। (मुनाजाते शाबानिया) ये अल्लाह के प्यारे बंदों की ऊँची आरज़ूएं हैं जो शब्दों के साँचे में हमें सिखाई गई हैं ताकि हमारे ज़हनों की रहनुमाई हो उन लक्ष्यों के बारे में, जिनकी हमें चाहत रखनी चाहिए, उस रास्ते के बारे में, जिस पर चलना चाहिए, रिश्ते के उस अंदाज़ के बारे में, जो अल्लाह और बंदे के बीच होना चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
7 मई, 2017