आज इस्लामी जुम्हूरिया सबसे ज़्यादा जिस बात पर ताकीद कर रही है वह इंसाफ़ है। हम चाहते हैं कि इंसाफ़ लागू हो। सभी कोशिशों व संघर्ष का मक़सद यह है कि समाज में इंसाफ़ हो, अगर इंसाफ़ मिल जाए तो मानवाधिकार और इंसानी प्रतिष्ठा भी हासिल होगी और इंसानों के अपने अधिकार और आज़ादी भी मिल जाएगी। इसलिए इंसाफ़ सभी चीज़ों की बुनियाद है। आज इस्लामी सिस्टम के मुक़ाबले में पश्चिम का साम्राज्यवादी सिस्टम और उसमें सबसे आगे आगे अमरीका है जो इंसाफ़ का दुश्मन है, इंसाफ़ के ख़िलाफ़ है। न सिर्फ़ यह कि इंसाफ़ नहीं चाहता बल्कि इंसाफ़ को नापसंद करता है। अगर आज इंसाफ़ की बात उठे तो सबसे पहले इसकी गिरफ़्त में जो आएगा, सबसे पहले जिसे इंसाफ़ के कोड़े लगेंगे, वह विश्व साम्राज्यावद के सरग़ना होंगे। ये लोग इंसाफ़ की बात नहीं कर सकते और न ही इंसाफ़ के पीछे चल सकते हैं, इसलिए इंसाफ़ के मुक़ाबले में और दुनिया में इसकी अहमियत कम करने के लिए डेमोक्रेसी और मानवाधिकार की बात करते हैं।

इमाम ख़ामेनेई

14/11/2003