हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन जनाब अलीज़ादे ने मजलिस पढ़ी। उन्होंने पवित्र क़ुरआन की आयतों और हदीसों के हवाले से कायनात के वजूद में आने के समय से सत्य-असत्य के बीच टकराव के संक्षिप्त इतिहास की ओर इशारा किया और बल दिया कि इंसानियत की मुक्ति का सिर्फ़ एक रास्ता है और वह सत्य के रास्ते पर चलना है। उन्होंने कहा कि इंसानों की मुक्ति के लिए हज़रत ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा और उनकी संतानों की मोहब्बत का प्रभाव असाधारण है।  

जनाब मोहम्मद रज़ा बज़री ने हज़रत ज़हरा की शान का नौहा और मर्सिया पढ़ा।