साम्राज्यवाद प्रोपैगंडों को बहुत अहमियत देता है और यह चीज़ ग़लत भी नहीं है। एक लेहाज़ से साम्राज्यवादी मिशनरियों का प्रोपैगन्डों को अहमियत देना ग़लत भी नहीं है! अस्ल में साम्राज्याद को प्रोपैगंडे की अहमियत का पता है, मुसलमान क़ौम के रवैये और स्टैंड के ख़िलाफ़ जंग उसका टार्गेट है। ऐसा नहीं है कि हम यह कहना चाह रहे हैं कि ऐसा आज हो रहा है, बल्कि इंक़ेलाब की कामयाबी के आग़ाज़ के दिनों से ही यह काम शुरू हो चुका था, लेकिन हक़ीक़त में क़िस्मत ने साम्राज्यवाद का साथ नहीं दिया, जैसा कि आज भी इस राह में तक़दीर साम्राज्यवाद के साथ नहीं है। वे लोग जो प्रोपैगंडे को इस क़द्र अहमियत देते हैं, इसकी वजह यह है कि उन्होंने दुनिया में प्रोपैगंडे के असर को देखा है। इस क़ौम को इस साम्राज्यवाद का -जिसके अगुवा अमरीका और ब्रिटेन हैं- अनुभव है और इस अनुभव ने फ़ासलों को बढ़ाया है। फ़ासला बढ़ाने वाले ये मीडिया हैं जिसकी लगाम इस साम्राज्यवाद के पास है। इस क़ौम ने दसियों साल इनकी दुश्मनी की मार झेली है। ये बात भूली नहीं जा सकती। इंक़ेलाब के आग़ाज़ से अब तक इनकी दुश्मनी को प्रचारों में देखा है।

इमाम ख़ामेनेई

02/01/1998