आज अमरीकी ताक़त के नशे में चूर इंसानों और गिरोहों की तरह -आम तौर पर ताक़त का नशा, ग़लती कराता है, यानी इंसान चूक और बड़ी ग़लती का शिकार होता है- बड़ी बड़ी ग़लतियां कर रहे हैं। वे ताक़त के नशे में चूर हैं और नहीं समझ पा रहे हैं कि क्या कर रहे हैं, इस वजह से बड़ी बड़ी ग़लतियां कर रहे हैं और यही ग़लतियां, उन्हें पूरी तरह खोखला कर देंगी। निकट भविष्य में, बहुत ज़्यादा दूर नहीं, यही बड़ी ग़लतियां अमरीका को घुटने टेकने पर मजबूर कर देंगी। हालात वैसे नहीं हैं जैसा वे बयान करते हैं। उनके प्रोपैगन्डों में यह दिखाने की कोशिश होती है  कि अब कोई चारा नहीं है, अमरीका हावी हो जाने वाली ताक़त है, उसके साथ किसी न किसी तरह हाथ मिला लेना चाहिए! लेकिन ऐसा है नहीं। यह वर्चस्ववादी ताक़त अपनी शक्ति के नशे में चूर होने की वजह से ग़लती कर रही है और यह ग़लती उसके आगे बहुत ही ख़तरनाक गड्ढा खोद रही है।

इमाम ख़ामेनेई

22/11/2002