इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने हुज्जतुल इस्लाम शैख़ हसन सानेई के इंतेक़ाल पर एक शोक संदेश जारी किया जिसमें उन्होंने, उन्हें इमाम ख़ुमैनी के वफ़ादार, साबित क़दम और सबसे पुराने साथियों में से एक बताया। उन्होंने, दिखावे से दूर रहने वाले मरहूम की दो नुमायां ख़ूबी अक़्लमंदी और ख़ैरख़ाही को बताया है।
इस्लामी जगत के लिए इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का पाठ यह है कि हक़ के लिए, इंसाफ़ के लिए, न्याय क़ायम करने के लिए, ज़ुल्म के ख़िलाफ़ संघर्ष के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए और इस लड़ाई के लिए अपना सब कुछ, पूरी ज़िन्दगी की पूंजी दांव पर लगा देनी चाहिए।
इमाम ख़ामनेई
12 जून 2013
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने मुल्क के दीनी मदरसों से तअल्लुक़ रखने वाले ओलमा, छात्रों और मुबल्लिग़ों से ख़ेताब किया। 12 जुलाई 2023 के इस भाषण में उन्होंने तबलीग़ की वर्तमान स्थिति ज़रूरी तक़ाज़ों को बयान किया। (1)
अंजुमन, एक समाजिक इकाई है, जिसका गठन पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों से मुहब्बत के आधार पर होता है, इस की धुरी, अहलेबैत की मुहब्बत और उनके उद्देश्यों की ओर लोगों का मार्गदर्शन होता है।
इमाम ख़ामेनेई
23 जनवरी 2022
मुहर्रम से पहले मुल्क के ओलमा और मुबल्लिग़ों ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात की। इस मौक़े पर आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने तबलीग़ की अहमियत और उसके समकालीन तक़ाज़ों पर रौशनी डाली।
इस्लाम की शिक्षाओं को अपना आदर्श मानने के नाते इस्लामी लोकतांत्रिक व्यवस्था अलग अलग क़ौमों के शोषण उनके अलग अलग प्रकार के हितों की राह में रुकावट डाले जाने के ख़िलाफ़ है।
इमाम ख़ामेनेई
12 जुलाई 2023
सत्तर साल पहले की तुलना में आज ज़ायोनी सरकार के लिए हालात बदल चुके हैं और ज़ायोनी नेताओं की यह आशंका सही है कि यह शासन अपनी उम्र के 80 साल पूरे नहीं कर पाएगा।
इमाम ख़ामेनेई
14 जून 2023
फ़िलिस्तीन और हालिया महीनों में वहाँ होने वाली घटनाएं पूरी दुनिया में मीडिया और अवाम के ख़ास ध्यान का केन्द्र बनी हुयी हैं। एक ओर ग़ज़्ज़ा की लड़ाई और वेस्ट बैंक की घटनाएं घटीं तो दूसरी ओर ज़ायोनी शासन के भीतर विरोध प्रदर्शन और अफ़रातफ़री की लहर देखने को मिली। ये सब चीज़ें और निशानियां फ़िलिस्तीन के राजनैतिक मंच पर हालात में बहुत बड़े बदलाव की निशानदेही करती हैं।
फ़्रांसीसियों ने अलजीरिया में सौ साल से ज़्यादा समय तक क्राइम किए और इंसानों को मौत के घाट उतारा। कुछ ही साल के भीतर शायद दसियों हज़ार लोग क़त्ल कर दिए गए। यह लिबरलिज़्म है?
इमाम ख़ामेनेई
12 जुलाई 2023
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने लेबनान के मशहूर मुजाहिद धर्मगुरू हुज्जतुल इस्लाम वल-मुसलेमीन शैख़ अफ़ीफ़ नाबलुसी के इंतेक़ाल पर हिज़्बुल्लाह के सेक्रेटरी जनरल सैयद हसन नसरुल्लाह को सांत्वना दी।
एक झूठा मोर्चा है जो ख़ुद को लिबरल डेमोक्रेसी कहता है। हालांकि वो लिबरल है न डेमोक्रेटिक। अगर आप लिबरल हैं तो साम्राज्यवादी हरकतों का क्या तुक है? आप कैसे आज़ादी पसंद हैं?
मुल्क की दीनी दर्सगाहों और धार्मिक शिक्षा केन्द्रों के ओलमा, छात्रों और तब्लीग़ की ज़िम्मेदारी अंजाम देने वालों के एक समूह ने आज बुधवार को इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
आप अगर वाक़ई लिबरल और आज़ादी पसंद हैं तो #भारत जैसे कई मिलियन की आबादी वाले मुल्क को सौ साल से ज़्यादा मुद्दत तक आपने अपना उपनिवेश कैसे बनाए रखा और उसकी दौलत लूट कर उसे एक ग़रीब देश में बदल दिया। यही लिबरलिज़्म है?
इमाम ख़ामेनेई
12 जुलाई 2023
रावी कहता है कि मैं दाख़िल हुआ तो देखा कि इमाम मूसा इबने जाफ़र अलैहेमस्सलाम के हुजरे में तीन चीज़ें रखी हैं। एक तलवार है जो इस बात की प्रतीक है कि मक़सद, जेहाद है। मोटा और खुरदुरा लेबास जो सख़्त मेहनत, जेहादी और इंक़ेलाबी ज़िन्दगी का प्रतीक है और एक क़ुरआन है जो इस बात का प्रतीक है कि अस्ल मक़सद यही है।
इमाम ख़ामेनेई
12/04/1985
अल्लाह इस अज़ीम ईद और ज़िक्रे मौला की बरकत से आपके दिलों को अपने लुत्फ़ और सूकून से भर दे और यह तौफ़ीक़ दे कि हम इस मौक़े से और इस जैसे दूसरे मौक़ों से सही अर्थों में फ़ायदा हासिल कर सकें।
इमाम ख़ामेनेई
20 सितम्बर 2016
ईदे ग़दीर के दिन इस्लामी विलायत यानी लोगों के दरमियान अल्लाह की विलायत की झलक नज़र आई। इस तरह दीन मुकम्मल हुआ। इस विषय को बयान किए बग़ैर दीन अधूरा रह जाता और यही वजह है कि लोगों पर इस्लाम की नेमत मुकम्मल हुई।
इमाम ख़ामेनेई
11 जुलाई 1990
जब हम क़ुरआन पढ़ते हैं तो उस वक़्त अल्लाह हमसे बात करता है। यह गुफ़्तगू सिर्फ़ बीते ज़माने की चीज़ों, वाक़यात और क़ुरआनी क़िस्सों तक सीमित नहीं है, हमारे आज के हालात से संबंधित है जो इस (अतीत के वाक़यायत की) ज़बान में हमसे की जा रही है। मक़सद यह है कि हम अपना रास्ता तलाश कर लें।
इमाम ख़ामेनेई
3 अप्रैल 2022
रोज़ाना ज़रूर क़ुरआन पढ़िए। मैं यह नहीं कहता कि मसलन आधा पारा पढ़िए। हर रोज़ आधा पेज, एक पेज, लेकिन छोड़िए मत। पूरे साल कोई दिन ऐसा न गुज़रे कि आपने क़ुरआन न खोला हो और क़ुरआन की तिलावत न की हो।
इमाम ख़ामेनेई
23 मार्च 2023
ग़दीर से इस्लामी समाज के लिए हुकूमत और सत्ता का नियम तय हुआ और उसकी बुनियाद पड़ी। ग़दीर की अहमियत इसी बात में है। यह बात साफ़ हो गयी कि इस्लामी समाज, शाही हुकूमत की जगह नहीं है। व्यक्तिगत हुकूमत की जगह नहीं है, दौलत व ताक़त के ज़ोर पर हुकूमत की जगह नहीं है, एरिस्टोक्रेटिक हुकूमत की जगह नहीं है।
इमाम ख़ामेनेई
जो लोग इस्लाम को समाजी व सियासी मैदानों से बाहर रखना चाहते हैं और उसे व्यक्तिगत मामलों और निजी ज़िंदगी तक सीमित कर देना चाहते हैं उनका जवाब ग़दीर का वाक़या है।
इमाम ख़ामेनेई
13 अकतूबर 2014
कुछ लोग यह ख़याल करते हैं कि इमामों की विलायत रखने का बस यह मतलब है कि हम इमामों से मुहब्बत करें। वो कितनी ग़लत फ़हमी में हैं, कैसी ग़लत फ़हमी का शिकार हैं?! सिर्फ़ मुहब्बत मुराद नहीं है। वरना इस्लामी दुनिया में कोई भी न होगा जो ख़ानदाने पैग़म्बर से तअल्लुक़ रखने वाले मासूम इमामों से मुहब्बत न करे।
साम्राज्यवादी ताक़तें मुसलमानों की एकता और नौजवान नस्ल की दीनदारी की विरोधी हैं और जिस तरह भी मुमकिन हो उस पर हमले करती हैं। हमारा और सारी क़ौमों का फ़र्ज़ इस अमरीकी व ज़ायोनी साज़िश का मज़बूती से मुक़ाबला करना है।
इमाम ख़ामेनेई
25 जून 2023