हम सबके यहाँ कमज़ोरियां पायी जाती हैं, हम कमज़ोर हैं और कितनी ऐसी कमज़ोरियां हैं कि कठिन हालात का सामना होने पर इंसान की वो कमज़ोरियां स्वाभाविक तौर पर ज़ाहिर होती हैं। हम अपनी कमज़ोरियों को पहचानें, इंसान घमंड और ग़फ़लत से निकल जाए, अल्लाह की ओर ध्यान लगाए और अल्लाह से मदद मांगे। रजब के महीने की दुआओं में एक दुआ यह हैः “वो नाउम्मीद हुए जिन्होंने तेरे अलावा किसी और से उम्मीद लगायी, और उन्होंने नुक़सान उठाया जिन्होंने तेरे अलावा कहीं और का रुख़ किया और वो तबाह हो गए जो तेरे सिवा किसी और के निकट हुए” सिर्फ़ अल्लाह के दर पर जाना चाहिए, अगर हम किसी दूसरे के दर पर गए तो मायूस लौटेंगे। अगर हम अल्लाह के सिवा किसी भी दूसरे की ओर अपने हाथ फैलाएंगे तो हम ख़ाली हाथ लौटेंगे। दुनिया के सभी संसाधन, अल्लाह की ओर से मुहैया हुए संसाधन हैं, वही ज़रिया पैदा करता है, हमें उन ज़रियों से काम लेना चाहिए, उनसे फ़ायदा उठाना चाहिए लेकिन नतीजा और असर अल्लाह से तलब करना चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
20/03/2020