हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलेमीन रफ़ीई ने मजलिस से ख़ेताब किया और हज़रत ज़हरा की सीरत में मज़लूम की हिमायत के विषय को बयान किया।

जनाब महमूद करीमी ने हज़रत ज़हरा का मरसिया और नौहा पढ़ा।