#हज के अमल से रूहानियत और अख़लाक़ का सबक़ लेना चाहिए। रूहानियत दीनी अख़लाक़ की बुलंदी का नाम है। दीन से ख़ाली अख़लाक़ की जादूगरी का अंजाम, जिसका पश्चिमी विचारकों के ज़रिए मुद्दतों प्रचार किया जाता रहा, पश्चिम की यही अख़लाक़ी गिरावट है जिसे रोकना मुमकिन नहीं।
इमाम ख़ामेनेई
25 जून 2023
सार्वजनिक अधिकारों में से एक समाज का #मनोवैज्ञानिक_सुकून है। यह जो कुछ लोग #साइबर_स्पेस को इस्तेमाल करके अवाम का ज़ेहनी सुकून ख़त्म कर देते हैं, उन्हें भयभीत करते हैं, यह सार्वजनिक अधिकारों का हनन है। न्यायपालिका को चाहिए कि इस पर कार्यवाही करे।
इमाम ख़ामेनेई
25 जून 2023
हज अमली तौर पर दिखा देता है कि नस्ली भेदभाव, इलाक़ाई भेदभाव, तबकों के बीच भेदभाव, इन्हें क़ुबूल नहीं करता, यह बहुत अहम प्वाइंट है। आज वह मुल्क जो सिविलाइज़्ड होने का दावा करते हैं, मेरी नज़र में, तहज़ीब से दूर का भी उनका नाता नहीं रहा है।
रूहानियत का मतलब दीनी अख़लाक़ियात की बुलंदी है। धर्म को नकारते हुए नैतिकता को अपनाने की भ्रामक सोच का अंजाम, जिसका लंबे समय तक पश्चिम के वैचारिक हल्क़े प्रचार करते रहे, पश्मिच में अख़लाक़ का तेज़ पतन है जिसे सारी दुनिया देख रही है। रूहानियत और अख़लाक़ हज में अंजाम दिए जाने वाले अमल से, (हज के विशेष लेबास) अहराम की सादगी से, निराधार भेदभाव को नकारने से, (और तंगदस्त मोहताज को खाना खिलाओ की सीख) से, (हज के दौरान कोई शहवत वाला अमल, कोई बुरा अमल और कोई लड़ाई झगड़ा न हो की तालीम) से, तौहीद के मरकज़ के गिर्द पूरी उम्मत के तवाफ़ से, शैतान को कंकरियां मारने से और मुशरिकों से बेज़ारी के एलान से सीखना चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
25 जून 2023
हज के पैग़ाम का एक अस्ली स्तंभ मुसलमानों की एकता है। यानी सियासी व कल्चरल मैदान की अहम हस्तियां #पहले_विश्व_युद्ध के बाद पश्चिमी सरकारों के हाथों पश्चिमी एशिया के राजनैतिक और भौगोलिक विभाजन के कड़वे अनुभव को दोहराने की अनुमति न दें।
इमाम ख़ामेनेई
25 जून 2023
आर्थिक करप्शन संक्रामक बीमारी है। जब एक हिस्से में करप्शन पैदा हो जाए तो वह फैलने लगता है और दिन ब दिन बढ़ता जाता है। अगर करप्शन के ख़िलाफ़ कार्यवाही न की जाए तो वह बढ़ता रहता है। इमाम ख़ामेनेई25 जून 2023
हज, आज और कल के इंसान की अख़लाक़ी गिरावट के लिए साम्राज्यवाद और ज़ायोनीवाद की तरफ़ से रची गई सभी साज़िशों को नाकाम और बेअसर बना सकता है। आलमी सतह पर यह असर डालने के लिए ज़रूरी शर्त यह है कि मुसलमान पहले क़दम के तौर पर हज के हयात-बख़्श पैग़ाम को पहले ख़ुद सही तरीक़े से सुनें और उस पर अमल करने में कोई कसर न छोड़ें।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने आज मंगलवार की सुबह न्यायपालिका प्रमुख, अधिकारियों और कर्मचारियों के एक समूह से मुलाक़ात में अवाम के लिए क़ानूनी दायरे में आज़ादी को मुहैया करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि संविधान के साफ़ लफ़्ज़ों के मुताबिक़ अवाम को वे सभी आज़ादियां मुहैया कराई जाएं जिनकी शरीअत ने इजाज़त दी है, अलबत्ता सत्ताधारी हल्क़े आम तौर पर इन आज़ादियों में रुकावट डालते हैं, इसलिए न्यायपालिका को इस संबंध में अपनी ज़िम्मेदारियों पर अमल करना चाहिए।
#हज के लिए #इब्राहीमी एलान और उनकी वैश्विक दावते-आम ने एक बार फिर इतिहास की गहराइयों से पूरी धरती को संबोधित किया है और आमादा और ज़िक्र में मसरूफ़ दिलों में शौक़ और हलचल पैदा कर दी है।
इमाम ख़ामेनेई
25 जून 2023
#हज का सिस्टम इंसानी समाज की बुलंदी और सारे इंसानों की सेहत और सलामती में मददगार बन सकता है। हज सारी इंसानियत को आध्यात्मिक बुलंदी और रूहानी व अख़लाक़ी ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है और यह मौजूदा दौर के इंसान की अहम ज़रूरत है।
इमाम ख़ामेनेई
25 जून 2023
अचानक यह बात मन में आयी कि मैं क्यों ठीक हो गया? यह जो अल्लाह ने मुझे सेहत दी है, इसकी कोई वजह होनी चाहिए। मुझे ख़याल आया कि यक़ीनन अल्लाह को मुझसे कुछ अपेक्षा है और उस अपेक्षा को व्यवहारिक बनाने के लिए उसने मुझे बचाया है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने न्यायपालिका सप्ताह के मौक़े पर इस विभाग के प्रमुख, जजों, अधिकारियों और कर्मचारियों से मुलाक़ात में इस विभाग की ज़िम्मेदारियों के बारे में बात की। 27 जून 2023 को अपनी स्पीच में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने करप्शन के विषय पर न्यायपालिका की ओर से विशेष ध्यान दिए जाने पर ताकीद की।
शहीदों के परिवारों से इस्लामी इंकेलाब के नेता का ख़ेताबः सारे शहीद आइडियल हैं। हमारे नौजवान को आइडियल की ज़रूरत होती है। यह शहीद हमारे मुल्क और हमारे नौजवानों के ज़िंदा आइडियल शुमार होते हैं। उनका नाम ज़िंदा रहना चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
25 जून 2023
जेहादे अकबर! नफ़्स से संघर्ष सबसे बड़ा जेहाद है। अगर हम इस आयाम से भी देखेंगे तब भी हम पाएंगे कि शहीदों के बाप, शहीदों की माएं, शहीदों की बीवियां, जेहादे अकबर के सबसे ऊंचे दर्जे पर हैं।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने आज रविवार की सुबह तेहरान में शहीदों के सैकड़ों माँ-बाप और बीवियों से मुलाक़ात में, शहीदों को मुल्क की तारीख़ का महानायक क़रार दिया और क़ुरआन, जेहाद, इंसानियत और सामाजिक पहलुओं से शहीदों के घरवालों के उच्च स्थान की व्याख्या की। उन्होंने कला के क्षेत्र में सरगर्म लोगों और मीडिया से शहीदों की याद को ज़िन्दा रखने और नौजवान नस्ल के लिए आइडियल तैयार करने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा कोशिश करने की अपील की।
इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह ने इस्लामी तहरीक के आग़ाज़ के वक़्त ही दिल के ईमान और अक़ीदे की बुनियाद पर फ़िलिस्तीन की हिमायत की और इस्लामी जमहूरिया की तरफ़ से भी इस हिमायत की बुनियाद इस्लामी शरीअत और फ़िक़्ह है टैकटिक और डिप्लोमैसी नहीं।
इमाम ख़ामेनेई
21 जून 2023
फ़िलिस्तीन की तहरीके हमास के पोलिटिकल ब्योरो के प्रमुख इस्माईल हनीया से मुलाक़ात में रहबरे इंक़ेलाबः फ़िलिस्तीन के हालात दो तीन साल पहले के मुक़ाबले में बहुत बदल चुके हैं। आज नौजवान ख़ुद बख़ुद मैदान में उतरे हैं और वो इस्लाम पर भरोसा करते हैं।
दुआ करता हूं कि नौजवान जोड़े मधुर जीवन गुज़ारें। आपस में मेल मोहब्बत से रहें, पाकीज़गी और सच्चाई का माहौल रहे ताकि ज़िंदगी मिठास से भर जाए।
इमाम ख़ामेनेई
20 जून 2023
सीरिया के ख़ान तूमान इलाक़े में क़रीब 8 साल पहले, शहीद होने वाले अहले बैत के रौज़े के रक्षक मजीद क़ुरबान ख़ानी की बहन का निकाह आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने पढ़ा।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने कहा कि इस्लामी गणराज्य ईरान, उज़बेकिस्तान को तुर्कमेनिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के रास्ते अंतर्राष्ट्रीय जलक्षेत्र से आसानी से जोड़ सकता है, अलबत्ता आपसी सहयोग का दायरा व्यापार और परिवहन से कहीं ज़्यादा विस्तृत है और नए तरीक़ों पर ग़ौर करके साइंस और टेक्नालोजी सहित दूसरे क्षेत्रों में भी सहयोग को बढ़ावा दिया जा सकता है।
किसी भी दौर में इस्लामी दुनिया की सतह पर शियों का आपसी राबेता और नेटवर्क का दायरा इतना बड़ा कभी नहीं रहा जैसा इमाम मुहम्मद तक़ी, इमाम अली नक़ी और इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम के ज़माने में वजूद में आया। इन दोनों इमामों के सामर्रा में नज़रबंद होने और उनसे पहले इमाम मुहम्मद तक़ी और एक अलग अंदाज़ से इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम पर बंदिशें होने के बावजूद अवाम से राबेता लगातार बढ़ता गया।
इमाम ख़ामेनेई
6 अगस्त 2005
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने रविवार की शाम उज़बेकिस्तान के राष्ट्रपति शौकत मीर ज़ियायेफ़ और उनके साथ आए डेलिगेशन से मुलाक़ात में ईरान और उज़बेकिस्तान की तारीख़ी, इल्मी और कल्चरल नज़दीकी का हवाला देते हुए कहा कि इन समानताओं को अलग अलग विभागों में आपसी रिश्तों को विस्तार देने के लिए इस्तेमाल करना चाहिए।
जेहादे इस्लामी फ़िलिस्तीन ग़ज़्ज़ा की हालिया जंग के दौरान इम्तेहान में सफल रही। ज़ायोनी सरकार के अधिकारियों का इस सरकार के अपनी उम्र के 80 साल पूरे न कर पाने की ओर से चिंतित होना सही है।