01/03/2024
चुनाव भरपूर भागीदारी वाले हों। हम अगर दुनिया को यह दिखा सकें कि क़ौम मुल्क के अहम मैदानों में उपस्थित है तो समझिए कि हमने देश को सुरक्षित कर दिया।
01/03/2024
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने शुक्रवार 1 मार्च को सुबह बारहवीं संसद और छठी विशेषज्ञ असेंबली के चुनावों के लिए, मतदान का वक़्त शुरू होते ही तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में आकर अपना वोट डाला।
01/03/2024
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने 1 मार्च 2024 को सुबह 8 बजे बारहवीं संसद और छठी विशेषज्ञ असेंबली के चुनाव के लिए मतदान का वक़्त शुरू होते ही अपना वोट डाला।
01/03/2024
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता, आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने शुक्रवार 1 मार्च 2024 को संसद और विशेषज्ञ असेंबली के चुनावों के लिए 8 बजे सुबह मतदान का वक़्त शुरू होते ही अपना वोट डाला।
01/03/2024
संसद और विशेषज्ञ असेंबली के चुनाव के लिए मतदान, रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई अपना वोट डालने के लिए इमाम ख़ुमैनी इमाम बारगाह में दाख़िल हुए।
01/03/2024
आज ईरानी क़ौम के शुभचिंतकों और दुश्मनों इसी तरह अहम राष्ट्रीय व राजनैतिक पोज़ीशन रखने वालों की निगाहें ईरान पर केन्द्रित हैं। वह देखना चाहते हैं कि ईरानी जनता इस चुनाव में क्या करती है और उसका नतीजा क्या होता है। इमाम ख़ामेनेई  1 मार्च 2024
29/02/2024
चुनाव राष्ट्रीय और अवामी ताक़त का प्रतीक है। अमरीका, यूरोप पर हावी नीतियां, ज़ायोनी पालीसियां, दुनिया के बड़े पूंजीपतियों और बड़ी कंपनियों की पालीसियां अवाम की भरपूर उपस्थिति से सबसे ज़्यादा डरती हैं। क्यों? क्योंकि उन्हें पता है कि अगर क़ौम मैदान में उतर पड़े तो समस्याओं पर नियंत्रण तय है। इमाम ख़ामेनेई  28 फ़रवरी 2024
29/02/2024
इमाम ख़ामेनेई से पहली बार वोट डालने वालों की मुलाक़ात का आंखों देखा हाल
28/02/2024
संसद और विशेषज्ञ परिषद के चुनाव से पूर्व, पहली बार मताधिकार का इस्तेमाल करने वाले कुछ नौजवानों और शहीदों के घर वालों ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात की।
28/02/2024
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने पहली बार वोट डालने वाले हज़ारों नौजवानों और कुछ शहीदों के घर वालों से बुधवार 28 फ़रवरी को तेहरान में इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मुलाक़ात की।
28/02/2024
अमरीका की अमानवीय नीतियां इतनी शर्मनाक हो चुकी हैं कि आपने सुना ही होगा कि एक अमरीकी फ़ौजी अफ़सर ने आत्मदाह कर लिया। इसका मतलब यह है कि इस कलचर में पलने वाले नौजवान के लिए भी यह बात बर्दाश्त के बाहर है। इमाम ख़ामेनेई  28 फ़रवरी 2024
29/02/2024
ग़ज़ा में जातीय सफ़ाए के बारे में अमरीका की ग़ैर इंसानी पालीसियां इतनी रुसवा हो चुकी हैं कि अमरीकी फ़ौजी अफ़सर आत्मदाह कर लेता है। इमाम ख़ामेनेई  28 फ़रवरी 2024
28/02/2024
ईरान में ससंदीय और विशेषज्ञ असेंबली के चुनाव के अवसर पर इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई से फ़र्स्ट टाइम वोटर्ज़ और शहीदों के परिवारों ने 28 फ़रवरी 2024 को मुलाक़ात की। (1) इस मौक़े पर आयतुल्लाह ख़ामेनेई की तक़रीरः
26/02/2024
क़ुरआन कहता है किः “वो काफ़िरों पर कठोर और आपस में मेहरबान हैं।” क्या अमल में यह कठोरता दुष्ट ज़ायोनी सरकार के ख़िलाफ़ दिखाई जाती है? आज इस्लामी दुनिया के बड़े दर्द यह हैं। इमाम ख़ामेनेई 22 फ़रवरी 2024
26/02/2024
पश्चिम मे कुछ लोग ज़बान से तो कहते हैं कि इस्राईल क्यों क़त्ले आम कर रहा है। ज़बानी हद तक यह बात कह देते हैं लेकिन अमल में उसका समर्थन करते हैं, हथियार देते हैं, उसकी ज़रूरत का सामान मुहैया कराते हैं। इमाम ख़ामेनेई  24 फ़रवरी 2024
26/02/2024
ज़ाहिरी तौर पर साफ़ सुथरी पोशाकों में नज़र आने वाले पश्चिमी नेता पागल कुत्ते और ख़ूंख़ार भेड़िए जैसा भीतरी रूप रखते हैं। यही पश्चिमी लिबरल डेमोक्रेसी है। यह न लिबरल हैं और न डेमोक्रेटिक। झूठ बोलते हैं और पाखंड से अपना काम निकालते हैं। इमाम ख़ामेनेई  24 फ़रवरी 2024
25/02/2024
बेशक एक सबसे अज़ीम दुआ इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़ुहूर की दुआ है। इमाम ख़ामेनेई
25/02/2024
इंसान को पैग़म्बर, अल्लाह की ओर आने की दावत देने और उसकी ओर बुलाने वालों की हमेशा ज़रूरत है और ये ज़रूरत आज भी बाक़ी है। अल्लाह की ओर बुलाने वालों का यह सिलसिला आज भी टूटा नहीं है और इमाम महदी का पाकीज़ा वजूद जिन पर हमारी जाने क़ुर्बान हों, अल्लाह की ओर बुलाने वालों की आख़िरी कड़ी है। इमाम ख़ामेनेई 20/9/2005
25/02/2024
क्या हम देख रहे हैं कि इस्लामी देशों के शासक और इस्लामी देशों के नेता ग़ज़ा के बारे में क़ुरआन की शिक्षाओं और क़ुरआनी मारेफ़त के मुताबिक़ अमल कर रहे हैं? इमाम ख़ामेनेई  22 फ़रवरी 2024
25/02/2024
जिस रेज़िस्टेंस के सबब #ग़ज़ा में दुश्मन रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ का ख़ात्मा करने की ओर से मायूस हो गया, उसका स्रोत इस्लाम की ताक़त थी। यह हालत है कि अमरीकी व युरोपीय युवा #क़ुरआन पढ़ रहे हैं कि देखें कि क़ुरआन में क्या है कि इस पर अक़ीदा रखने वाले ऐसा #रेज़िस्टेंस करते हैं। इमाम ख़ामेनेई  24 फ़रवरी 2024
24/02/2024
ये सिर्फ़ शिया नहीं हैं जो इमाम महदी अलैहिस्सलाम के आने का इंतेज़ार कर रहे हैं बल्कि मुक्तिदाता इमाम महदी के इंतेज़ार का अक़ीदा सभी मुसलमानों का अक़ीदा है। दूसरों और शियों में फ़र्क़ यह है कि शिया इस महान हस्ती को उसके नामो-निशान और मुख़्तलिफ़ ख़ुसूसियतों से जानते हैं। इमाम ख़ामेनेई 20/5/2005
24/02/2024
एक बार इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह से पूछा कि ये जो दुआएं हैं। इनमें आप किस दुआ को ज़्यादा पसंद करते हैं या किस दुआ से ज़्यादा लगाव है? उन्होंने कुछ लम्हें सोचा और फिर जवाब दिया कि दुआए कुमैल और मुनाजाते शाबानिया। इमाम ख़ामेनेई
24/02/2024
ख़ूज़िस्तान प्रांत के 24000 शहीदों के बारे में दूसरी कॉन्फ़्रेंस आयोजित करने वाली कमेटी के सदस्यों ने शनिवार की सुबह इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात की।
24/02/2024
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने शनिवार की सुबह ख़ूज़िस्तान प्रांत के 24000 शहीदों पर कॉन्फ़्रेंस आयोजित करने वाली कमेटी से मुलाक़ात की।
24/02/2024
यह तय है कि इस्लामी दुनिया और आज़ाद सोच रखने वाले ग़ैर मुस्लिम ग़ज़ा के लिए सोगवार हैं। ग़ज़ा के अवाम उन लोगों के अत्याचार का निशाना बने है जिन्हें इंसानियत छूकर भी नहीं गुज़री है। इमाम ख़ामेनेई  22 फ़रवरी 2024
24/02/2024
ख़ूज़िस्तान प्रांत के शहीदों पर राष्ट्रीय सम्मेलन की आयोजक कमेटी ने रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई से मुलाक़ात की। 24 फ़रवरी 2024 को इस मुलाक़ात में आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने ख़ूज़िस्तान प्रांत और शहीदों के विषय पर अहम बिंदुओं को रेखांकित किया।
23/02/2024
इस्लामी दुनिया में बहुतों को क़ुरआन से लगाव नहीं है। एक कड़वी सच्चाई है। क्या इस्लामी देशों के नेता ग़ज़ा के बारे में क़ुरआनी हिदायत पर अमल कर रहे हैं? क़ुरआन हमसे कहता है किः "मोमेनीन मोमिनों को छोड़ कर काफ़िरों को दोस्त न बनाएं।" क्या इस आयत पर अमल हो रहा है?   इमाम ख़ामेनेई  22 फ़रवरी 2024
23/02/2024
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 22 फ़रवरी 2024 को ईरान में चालीसवें अंतर्राष्ट्रीय क़ुरआन मुक़ाबले के प्रतिभागियों से ख़ेताब में क़ुरआन को मार्गदर्शन और चेतावनी देने वाली किताब क़रार दिया। आपने क़ुरआनी शिक्षाओं के विषय पर बात करते हुए ग़ज़ा और फ़िलिस्तीन के सिलसिले में इन शिक्षाओं पर अमल की मौजूदा स्थिति के बारे में कुछ अहम सवाल किए। (1)
23/02/2024
क़ुरआन इंसान के दर्द और पीड़ा का इलाज है। चाहे रूहानी, मनोवैज्ञानिक और वैचारिक पीड़ाएं हों या इंसानी समाजों के दर्द, जंगें, ज़ुल्म, बेइंसाफ़ियां। क़ुरआन इन सब का इलाज है।   इमाम ख़ामेनेई  22 फ़रवरी 2024
22/02/2024
क़ुरआन के 40वें अंतर्राष्ट्रीय मुक़ाबलों में भाग लेने वालों और जनता के विभिन्न वर्गों के हज़ारों लोगों ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
22/02/2024
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने ग़ज़ा को इस्लामी जगत का सबसे बड़ा मसला बताते हुए कहा कि इस्लामी जगत, ज़ायोनी नासूर को निश्चित तौर पर ख़त्म होता हुआ देखेगा।
22/02/2024
क़ुरआन मार्गदर्शन की किताब है। मार्गदर्शन की सबको ज़रूरत है। क़ुरआन चेतावनी देने वाली किताब है। उन ख़तरों के बारे में चेतावनी जो इंसानों के लिए पेश आने वाले हैं। चाहे इस दुनिया में या बाद की दुनिया में जहां अस्ली ज़िंदगी है। इमाम ख़ामेनेई  22  फ़रवरी 2024
21/02/2024
हम दुश्मन से ग़ाफ़िल न हों, याद रखें कि दुश्मन फ़रेब, मक्कारी, चालाकी और हथकंडों से काम लेता है। दुशमन को कमज़ोर और बेबस न समझें।   इमाम ख़ामेनेई  18 फ़रवरी 2024
21/02/2024
अल्लाह, हज़रत अली अकबर के सदक़े में आप नौजवानों की रक्षा करे इंशाअल्लाह आपको इस्लाम के लिए बचाए रखे और साबित क़दम रखे। नौजवान ध्यान दें कि वो सीधे रास्ते को पहचान सकते हैं।
22/02/2024
फ़तह की अहम शर्त यह है कि हम दुश्मन और उसकी ताक़त से वाक़िफ़ हों लेकिन उससे डरें नहीं! अगर आप डरे तो हार गए। दुश्मन की धमकियों, चीख़ पुकार और दबाव से डरना नहीं चाहिए। इमाम ख़ामेनेई  18 फ़रवरी 2024
20/02/2024
चुनाव इस्लामी लोकतांत्रिक व्यवस्था का अहम स्तंभ और देश के सुधार का ज़रिया है। जो लोग समस्याओं के समाधान की फ़िक्र में हैं उन्हें चाहिए कि चुनाव पर ध्यान दें।   इमाम ख़ामेनेई  18 फ़रवरी 2024
19/02/2024
फ़तह की अहम शर्त यह है कि हम दुश्मन और उसकी ताक़त से वाक़िफ़ हों, लेकिन उससे डरे नहीं! इमाम ख़ामेनेई
19/02/2024
आयतुल्लाह ख़ामेनेई अपनी पत्नी के बारे में: "उन्होंने मुझसे कभी भी लेबास ख़रीदने के लिए नहीं कहा। उन्होंने कभी अपने लिए कोई ज़ेवर नहीं ख़रीदा। उनके पास कुछ ज़ेवर थे जो वो अपने पिता के घर से लायी थीं या कुछ रिश्तेदारों ने तोहफ़े में दिए थे। उन्होंने वो सारे ज़ेवर बेच दिए और उससे मिलने वाले पैसों को अल्लाह की राह में ख़र्च कर दिया। इस वक़्त उनके पास सोना और ज़ेवर के नाम पर कुछ भी नहीं है, यहाँ तक कि एक मामूली सी अंगूठी भी नहीं है।" सैयद हसन नसरुल्लाहः “जब यह किताब मेरे पास पहुंची तो मैंने उसी रात इसे पढ़ डाला।”