ज़ायोनियों का रवैया इतना बरबर्तापूर्ण और दया व मुरव्वत से दूर है कि स्वाभाविक तौर पर फ़िलिस्तीनियों की इस नई जवान नस्ल की बर्दाश्त की ताक़त ख़त्म हो गयी है और अब वो इससे ज़्यादा बर्दाश्त नहीं कर सकती। ज़ायोनी सोच रहे हैं कि अगर उन्होंने और ज़्यादा सख़्ती की, टैंक ले आए, तोप ले आए और केमिकल हथियार इस्तेमाल किए तो लोगों को चुप करा देंगे। हाँ! मुमकिन है वो अपना दबाव बढ़ा दें और कुछ वक़्त के लिए लोगों को चुप भी करा दें लेकिन लोगों के दिलों में जो ग़ुस्सा पैदा हो गया है, उसे तो ख़त्म नहीं कर सकते, उसे मिटाना मुमकिन नहीं है। वो क्रोध माहौल में ऐसी गरज पैदा कर देगा कि ज़ायोनियों के सभी महल ढह जाएंगे। ऐसा मुमकिन नहीं है कि वो इस आंदोलन को जड़ से उखाड़ फेंकें।

इमाम ख़ामेनेई

15/12/2000