यानी आपकी ज़िंदगी के उस हिस्से का मालिक व मुख़्तार जहाँ आपका कोई अमल नहीं है, केवल जज़ा है -दुनिया के इस छोटे से टुकड़े में आपने जो किया, उसकी जज़ा- अल्लाह है; हर चीज़ उसके अख़्तियार में है। वहाँ अब वह स्वामित्व नहीं है जो हम और आप इस दुनिया में बहुत ही ख़ामियों से भरे समझौते के दिखावटी मालिक होते हैं। इमाम ख़ामेनेई 10 अप्रैल 1991
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