किसी भी आंतरिक मसले को किसी विदेशी मसलें पर निर्भर नहीं करना चाहिए। आप विश्व स्तर पर जो भी काम कर सकते हैं, कीजिए, अच्छे काम, इज़्ज़त बढ़ाने वाले काम, सज्जनता से भरे काम कीजिए लेकिन मुल्क की सलाहियत, मुल्क की ताक़त और मुल्क के इनोवेशन की ओर से ग़फ़लत न कीजिए।
चौदहवीं कार्यपालिका, इस्लामी क्रांति के नेता की ओर से, निर्वाचित राष्ट्रपति को मिले जनादेश को आज रविवार 28 जुलाई 2024 को अनुमोदित किए जाने और उन्हें दिए जाने वाले आदेशपत्र के बाद, आधिकारिक तौर पर अपना काम शुरू करेगी।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने निर्वाचित राष्ट्रपति मसऊद पिज़िश्कियान को राष्ट्रपति चुनाव में मिलने वाले जनादेश को अनुमोदित किया और उन्हें राष्ट्रपति पद का आदेशपत्र दिया।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 28 जुलाई 2024 को एक प्रोग्राम में निर्वाचित राष्ट्रपति को चुनाव में मिले जनादेश को अनुमोदित किया और उन्हें राष्ट्रपति के ओहदे के लिए नियुक्त किया।
इस्लामी गणराज्य में वरिष्ठ नेता की ओर से राष्ट्रपति के आदेशपत्र का अनुमोदन होता। जनादेश का अनुमोदन सिर्फ़ एक औपचारिकता है या इसकी अहमियत है? इस बारे में लेख पेश है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने 28 जुलाई 2024 की सुबह तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मुल्क के सिविल व सैन्य अधिकारियों, कुछ शहीदों के घर वालों और तेहरान में तैनात कुछ विदेशी राजदूतों की मौजूदगी में आयोजित होने वाले समारोह में, संविधान की धारा 110 के नवें अनुच्छेद के तहत जनाब डाक्टर मसऊद पिज़िश्कियान को राष्ट्रपति चुनाव में मिले जनादेश को अनुमोदित किया और उन्हें राष्ट्रपति पद के लिए नियुक्त किया।
इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 28 जुलाई 2024 को निर्वाचित राष्ट्रपति पेज़ेश्कियान को मिले जनादेश के अनुमोदन कार्यक्रम को संबोधित किया। (1)
ग़ज़ा की घटना में अमरीका निश्चित तौर पर अपराधियों के साथ शरीक है, यानी इस अपराध में अमरीका के हाथ कोहनियों तक मज़लूमों और बच्चों के ख़ून से सने हुए हैं। हक़ीक़त में...अमरीका ही संचालन कर रहा है।
इमाम ख़ामेनेई
25/10/2023
इन लोगों ने जो काम किया है वह इतना बड़ा है कि दिखावा छोड़, अपनी अस्लियत पर उतर आया है अमरीका। दुनिया में अमरीका की फ़ज़ीहत हो गयी है, उसकी बातों को झुठलाया जा रहा है।
हम एहतियात और तकल्लुफ़ से काम लें और खुलकर यह बात न कहें या न कह सकें लेकिन दूसरे खुलकर यह बात कह रहे हैं कि ये वाक़ए जो दुनिया में फ़िलिस्तीन के हित में हो रहे हैं, उनमें से ज़्यादातर का स्रोत इस्लामी इंक़ेलाब की आत्मा और इस्लामी गणराज्य की आत्मा है।
रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई इस्लामी जम्हूरिया ईरान के शहीद विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान की क़ब्र पर गए। शहरे रय में हज़रत अब्दुल अज़ीम हसनी के मज़ार की ज़ियारत करते वक़्त आयतुल्लाह ख़ामेनेई विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान की क़ब्र पर गए और फ़ातेहा पढ़ा।
अगर ओस्लो समझौते के बाद ज़ायोनी सरकार की गतिविधियों की समीक्षा की जाए तो हम देखेंगे कि यह सरकार किसी भी हालत में, टू स्टेट फ़ारमूले को मानने के लिए तैयार नहीं थी, बल्कि यह समझौता फ़िलिस्तीनियों के ज़्यादा से ज़्यादा इलाक़ों पर नाजायज़ क़ब्ज़े के लिए वक़्त हासिल करने की उसकी यह चाल थी। इस बारे में लेख पेश है।
सच्चाई बयान करने का मिशन, दुश्मन की चाल और उसकी कोशिशों को नाकाम बनाने वाला है। आप में से हर एक, एक ज़िम्मेदारी के तौर पर एक चेराग़ की तरह, एक प्रकाश की तरह अपने आस-पास के माहौल को रौशन कर दे।
क़ाबिज़ ज़ायोनी सरकार की पीठ पर अमरीका जैसी एक बड़ी फ़ौजी, राजनैतिक और आर्थिक ताक़त, प्रतिरोध करने वाले एक गिरोह से लड़ रही है लेकिन वह उसे घुटने टेकने पर मजबूर न कर सकी। वे अपनी भड़ास आम लोगों पर निकाल रहे हैं।
सरकार के सामने मुख़्तलिफ़ मसलों में चुनौतियां हो सकती हैं, ऐसी स्थिति में संसद सरकार को भरपूर सहारा दे सकती है, सरकार के हाथ मज़बूत कर सकती है। स्ट्रैटेजिक ऐक्शन का क़ानून, संसद के बेहतरीन कामों में से एक था।
बुधवार को तेहारन के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में ग्यारहवीं मोहर्रम की मजलिस हुयी। यह मजलिस इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम की शबे शहादत में हुयी जिसमें इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई और हुसैनी अज़ादारों ने शिरकत की।
बुधवार को तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम की शबे शहादत की मजलिस हुयी जिसमें इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई और अज़ादारों ने शिरकत की। यह मजलिसे अज़ा के सिलसिले की आख़िरी मजलिस थी।
तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में शबे आशूर को मजलिस हुयी जिसमें इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई और अज़ादारों ने शिरकत की।
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के कारनामे का मक़सद यह था कि वह हक़ बात और हक़ की राह को लागू करें और उन सभी ताक़तों के मुक़ाबले में डट जाएं, जो इस राह के ख़िलाफ़ आपस में मिल गयी थीं।
24/09/1985
शहीद मुतह्हरी इंक़ेलाब से बर्सों पहले चीख़ चीख़ के कहते थेः “आज के दौर का शिम्र –उस वक़्त के इस्राईली प्रधानमंत्री का नाम लेते थे- फ़ुलां है।” हक़ीक़त भी यही है। हम शिम्र पर लानत भेजते हें ताकि शिम्र बनने और शिम्र जैसा अमल करने की जड़ इस दुनिया में काट दी जाए।
09/01/2008
तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मंगलवार 10 मुहर्रम की रात को शामे ग़रीबां की मजलिस का आयोजन हुआ जिसमें रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई और अज़ादारों ने शिरकत की।
तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में रविवार 8 मोहर्रम की रात को इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की अज़ादारी के सिलसिले की तीसरी मजलिस का आयोजन हुआ, जिसमें इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई और अज़ादारों ने शिरकत की।
तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में रविवार 8 मुहर्रम की रात को इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की मजलिस का आयोजन हुआ जिसमें रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई और अज़ादारों ने शिरकत की।
हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा की नज़रों में ये सारी मुसीबतें ख़ूबसूरत हैं क्योंकि ये अल्लाह की तरफ़ से हैं, क्योंकि उसके लिए और उसकी राह में हैं।
08/02/2010
तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में शनिवार 7 मुहर्रम की रात को इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की दूसरी मजलिस का आयोजन हुआ जिसमें रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई और अज़ादारों ने शिरकत की।
जो क़ौम कमज़ोरी और अपमान को क़ुबूल कर ले और पाक मक़सद की राह में अपने किसी शख़्स की उंगली कटाने के लिए भी तैयार न हो, उसका पतन निश्चित है और अपमान उसका मुक़द्दर है।
30/03/1985