फ़िलिस्तीन पर अवैध क़ब्ज़े के पूरे 70 साल के समय में ज़ायोनियों ने एक इंच ज़मीन भी बात-चीत के नतीजे में नहीं छोड़ी है। वार्ता की हैसियत क्या है? ज़ायोनी सिर्फ़ प्रतिरोध के नतीजे में पीछे हटे। पहली घटना, दक्षिणी लेबनान से पीछे हटने और फ़रार की थी। फ़िलिस्तीनियों को याद रखना चाहिए, फ़िलिस्तीनी जेहाद में शामिल संगठन याद रखें! कभी इस झांसे में न आएं कि ग़ज़्ज़ा की आज़ादी, बात-चीत के नतीजे में हुई है। बिल्कुल नहीं! वार्ता से ग़ज़्ज़ा को आज़ादी नहीं मिली। बात-चीत से कोई भी इलाक़ा आज़ाद नहीं हुआ और कभी भी इससे कोई इलाक़ा आज़ाद होने वाला नहीं है। ग़ज़्ज़ा को जिस चीज़ ने आज़ादी दिलाई, वह फ़िलिस्तीनी राष्ट्र का प्रतिरोध था। ज़ायोनी पीछे हटने पर मजबूर हो गए। इमाम ख़ामेनेई 19 अगस्त 2006
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