हमने और हमारे देश ने कभी भी किसी देश पर हमला नहीं करना चाहा और अब भी नहीं चाहते हैं लेकिन जब हम पर हमला कर दिया गया तो उसके बाद डिफ़ेंस एक ज़रूरी क़दम है जो सभी पर धार्मिक लेहाज़ से भी वाजिब है और अक़्ली लेहाज़ से भी। मैंने भी और सभी अधिकारियों ने भी अब तक बार बार इलाक़े की इन सरकारों से कहा है कि हम आपसे जंग करना नहीं चाहते। हम ऐसे नहीं हैं कि जब हमें ताक़त मिल जाए तो किसी दूसरे देश में ग़ुंडागर्दी से हस्तक्षेप करें। ख़ुदा के फ़ज़्ल से हम इलाक़े के सबसे ताक़तवर देशों में से एक हैं और इस्लाम की बरकत से, हमारे इस देश और हमारे इस राष्ट्र के पास ऐसी ताक़त है कि बड़ी ताक़तें भी उस पर हमला नहीं कर सकतीं। लेकिन इसी के साथ हम चाहते हैं कि इन सभी इस्लामी देशों के साथ और ख़ास तौर पर उन देशों के साथ जो इलाक़े में हैं, भाई बन कर रहें। हम चाहते हैं कि वो सब एक दूसरे का हाथ थामें। इमाम ख़ुमैनी 25/7/1982