21/09/2022
इस्लामी इंक़ेलाब नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 21 सितम्बर 2022 को पाकीज़ा डिफ़ेंस सप्ताह के मौक़े पर आठ वर्षीय जंग के कमांडरों और सीनियर सैनिकों के बीच तक़रीर में आठ साल तक चलने वाले पाकीज़ा डिफ़ेंस के बड़े अहम आयामों पर प्रकाश डाला और कुछ निर्देश दिए। तक़रीर इस तरह हैः
19/09/2022
अरबईन मार्च इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का ऊंचा परचम है।  इमाम ख़ामेनेई 17/09/2022
19/09/2022
आपके पासबाने हरम शहीदों की क़ुरबानी जो इस दौर में मुल्क से बाहर जाकर शहीद हुए, दर हक़ीक़त उन लोगों की क़ुरबानियों जैसी है जिन्होंने अपनी जानें देकर इमाम हुसैन की क़ब्र की हिफ़ाज़त की। जाकर क़ुरबानियां देने का यही अमल था कि जो अरबईन के दो करोड़ पैदल ज़ायरीन के नतीजे तक पहुंचा। अगर उस वक़्त इन लोगों ने क़ुरबानियां न दी होतीं तो आज इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का इश्क़ इस अंदाज़ से सारी दुनिया पर न छा जाता। आप देखते हैं कि अरबईन मार्च में अलग अलग मुल्कों से फ़ार्स तुर्क, उर्दू ज़बान बोलने वाले, यूरोपीय मुल्कों यहां तक कि अमरीका से लोग इसमें शिरकत करते हैं। यह कारनामा किसने अंजाम दिया। इसका पहला संगे बुनियाद और बुनियादी काम उन्हीं लोगों के हाथों अंजाम पाया जिन्होंने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की ज़ियारत के लिए अपनी जान की भी क़ुरबानी दी।  इमाम ख़ामेनेई  12/10/2018
18/09/2022
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के चेहलुम में, तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में स्टूडेंट्स की अंजुमनों ने अज़ादारी की जिसमें इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने भी शिरकत की।  मजलिस में मौजूद अज़ादारों ने, इमाम हुसैन की ज़ियारत के लिए कर्बला गये अज़ादारों की आवाज़ से आवाज़ मिलाते हुए “लब्बैक या हुसैन” के नारे लगाए।
18/09/2022
अरबईन मार्च, इस्लामी दुनिया के सामने इस्लाम की ताक़त की एक मिसाल है।
17/09/2022
अरबईन का अज़ीम प्रोग्राम एक ग़ैर मामूली वाक़या है। हम अपने दिलो दिमाग़ में इमाम हुसैन की याद ताज़ा करते हैं। ख़ुलूस व अक़ीदत से भरा दुरूद व सलाम उस अज़ीम हस्ती और शहीदों की पाकीज़ा ख़ाक को हदिया करते हैं और अर्ज़ करते हैं,  ऐ बादे सबा ऐ दूर पड़े लोगों के पैग़ाम पहुंचाने वाली! हमारे आंसुओं को उन हस्तियों की पाकीज़ा ख़ाक तक पहुंचा दे।  इमाम ख़ामेनेई  4 अकतूबर 2018
16/09/2022
कितने ख़ुशनसीब हैं वे लोग जो अरबईन मार्च में शामिल हैं और ज़ियारते अरबईन का शरफ़ हासिल करेंगे और अरबईन के दिन इमाम हुसैन को मुख़ातिब करके अज़ीम मज़मून रखने वाली यह ज़ियारत पढ़ेगे। हम यहां शौक़ व हसरत से इन क़दमों को देख रहे हैं। इमाम ख़ामेनेई 6 नवम्बर 2017 |  जो लोग यह सफ़र तय कर रहे हैं और यह आशेक़ाना और मोमेनाना अमल अंजाम दे रहे हैं वे वाक़ई नेक अमल अंजाम दे रहे हैं। यह यक़ीनन शआयरुल्लाह में शामिल है। हम जैसे लोग जो इस अमल से महरूम हैं, मुनासिब है कि यह जुमला दोहराएं, "काश हम आपके साथ होते तो हम भी अज़ीम कामयाबी हासिल करते।" इमाम ख़ामेनेई 30 दिसम्बर 2015
16/09/2022
दो तीन दिन पैदल ज़ियारत के दौरान पैदा होने वाली हालत और कैफ़ियत को, जिसे आपने वहां देखा और महसूस किया, महफ़ूज़ रखिए।
16/09/2022
हर साल चेहलुम का यह मार्च जो बुनियादी तौर पर नजफ़ व कर्बला के बीच अंजाम पाता है ग्लोबल हैसियत हासिल कर चुका है। दुनिया के इंसानों की निगाहें इस मार्च पर लगी रहती हैं। इस अज़ीम अवामी अमल की बरकत से हुसैनी मुहब्बत व मारेफ़त पूरी दुनिया में फैल रही है।  इमाम ख़ामेनेई 18 सितम्बर 2019
15/09/2022
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम सारी इंसानियत के लिए हैं। हम शियों को फ़ख़्र है कि हम इमाम हुसैन के मानने वाले हैं। लेकिन इमाम हुसैन सिर्फ़ हमारे नहीं हैं, अलग अलग इस्लामी मसलक, शिया सुन्नी सब इमाम हुसैन के परचम तले जमा हैं। चेहलुम के इस अज़ीम मार्च में वे लोग भी शामिल होते हैं जो मुसलमान नहीं हैं। यह सिलसिला इंशाअल्लाह जारी रहेगा। यह एक अज़ीम निशानी है जो अल्लाह दिखा रहा है।  इमाम ख़ामेनेई  18 सितम्बर 2019
15/09/2022
ईरानी क़ौम अपने पूरे वजूद से आप अज़ीज़ इराक़ी भाइयों की शुक्रगुज़ार है, ख़ास तौर पर मौकिब के ज़िम्मेदारों की। हम तहे दिल से आपका शुक्रिया अदा करते हैं। हमें मुतनब्बी का यह शेर याद आता हैः अगर किसी भले इंसान का इकराम व एहतेराम किया तो उसके मालिक बन जाओगे।  इमाम ख़ामेनेई 18 सितम्बर 2019
15/09/2022
अरबईन मार्च, इलाही वाक़या है। यह हक़ीक़त साबित करती है कि यह रास्ता इश्क़ का रास्ता है।
14/09/2022
आज की इस पेचीदा और प्रचारिक शोर-शराबे से भरी #दुनिया में चेहलुम का प्रोग्राम एक बेनज़ीर #मीडिया और दूर दूर तक पहुंचने वाली आवाज़ है। दुनिया में इसकी कोई नज़ीर नहीं है। यह कि दसियों लाख लोग चल पड़ते हैं। अलग अलग मुल्कों से, अलग अलग मसलकों यहां तक कि दूसरे धर्मों से तअल्लुक़ रखने वाले लोग भी। यह हुसैनी इत्तेहाद है। यह बात बिल्कुल दुरुस्त हैः ‘हमें एक धागे में पिरो देने वाले #हुसैन हैं। ’ इमाम ख़ामेनेई 13 अकतूबर 2019
14/09/2022
बेशक हम शियों का यह इफ़तेख़ार है कि हम इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के रास्ते पर चलने वाले हैं, लेकिन इमाम हुसैन सिर्फ़ हमारे नहीं है, पूरी इंसानियत के हैं।
14/09/2022
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के अरबईन या चेहलुम की मुनासेबत से शनिवार 17 सितम्बर को इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में स्टूडेंट्स की मातमी अंजुमनें अज़ादारी करेंगी जिसमें इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई भी शिरकत करेंगे। 
13/09/2022
यह आशूर का पैग़ाम है जो हज़रत इमाम हुसैन और हज़रत ज़ैनब के गले से बड़ी बेबसी और तनहाई के वक़्त निकला और आज आलमगीर बन गया है, दुनिया पर छा गया है। यह अल्लाह की अज़ीम निशानी है जो अल्लाह दिखा रहा है।
11/09/2022
साम्राज्यवाद को रोकने के लिए और फिर उसे पीछे ढकेलने के लिए, इस्लामी दुनिया में सलाहियतें बहुत ज़्यादा हैं।
10/09/2022
जो मुल्क फ़िलिस्तीनियों के मसलक वाले हैं, उन्होंने ईरान की मदद का सौवां हिस्सा भी उनकी मदद नहीं की, बल्कि कभी कभी तो नुक़सान भी पहुंचाया है।
09/09/2022
आज अमरीकी जो भी कर रहे हैं, हमारी नज़र में वह उनकी कमज़ोरी और बेबसी का नतीजा है।
07/09/2022
इंक़ेलाब की कामयाबी की शुरूआत से ही हमारे मुल्क में, फ़िलिस्तीन का मुद्दा उठाया गया।
06/09/2022
अरबईन मार्च करने वालों की क़िस्मत पर हमें रश्क होता है।
05/09/2022
वर्चस्ववादी ताक़तों की तरफ़ से ईरान के मिशन का विरोध स्वाभाविक हैसाम्राज्यवादी और वर्चस्ववादी ताक़तों की तरफ़ से इस्लामी जुमहूरिया ईरान के मिशन का विरोध स्वाभाविक और ‎लाज़ेमी है क्योंकि हमने इंसाफ़ और रूहानियत का परचम बुलंद किया है। इमाम ख़ामेनेई 3 सितम्बर 2022
05/09/2022
इस्लामी जुम्हूरिया का परचम, इंसाफ़ और रूहानियत का परचम है।
04/09/2022
शिया सुन्नी की जंग, अरब व ग़ैर अरब की जंग, कभी शियों की शियों से और सुन्नियों की सुन्नियों से जंग, यह इम्पीरियल ताक़तों का काम  है, यह अमरीका का काम है। इसकी ओर से होशियार रहने की ज़रूरत है।
03/09/2022
इस्लामी इन्क़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने सनीचर  3 सितम्बर 2022 की सुबह, वर्ल्ड अहलेबैत एसेंबली की सातवीं कान्फ्रेंस में हिस्सा लेने वाले मेहमानों से मुलाक़ात की।
03/09/2022
अहलेबैत वर्ल्ड असेंबली की सातवीं कान्फ़्रेन्स तेहरान में हुई जिसमें शिरकत के लिए आने वाले 117 मुल्कों के मेहमानों ने 3 सितम्बर 2022 को इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की। इस मौक़े पर अपनी तक़रीर में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इस असेंबली की अहमियत और ज़िम्मेदारियों पर रौशनी डाली। आपने इस्लामी जुमहूरिया के बुनियादी उसूलों और लक्ष्यों को बयान किया और इस्लामी दुनिया से साम्राज्यवाद के मुक़ाबले के सिलसिले में अहम प्वाइंट बयान किए। तक़रीर इस तरह हैः
02/09/2022
यह जो कुछ लोग कहते हैं कि फ़ुलां मुल्क से ज़रूर तअल्लुक़ात क़ायम करें ताकि हमारी मुश्किलें हल हो जाएं, यह मुल्क के लिए बहुत नुक़सानदेह है। मुल्क के अहम मामलों को दूसरों पर निर्भर करना और दूसरों के इंतेज़ार में बैठे रहना बुरी चीज़ है। नई हुकूमत की एक कामयाबी यह रही कि उसने समाज को इस हालत से बाहर निकाला कि हमेशा हम इस इंतेज़ार में बैठे रहें कि मुल्क से बाहर दूसरे लोग हमारे बारे में क्या फ़ैसला करते हैं। इस हुकूमत ने मुल्क की अंदरूनी सलाहियतों पर तवज्जो दी और उन पर काम कर रही है। इमाम ख़ामेनेई 30 अगस्त 2022
01/09/2022
राष्ट्रपति रईसी की एक कामयाबी इस्लाम व इंक़ेलाब के नारों यानी इंसाफ़, रईसाना कल्चर से परहेज़, कमज़ोर तबक़ों की मदद और साम्राज्यवाद की मुख़ालेफ़त का बिल्कुल नुमायां हो जाना है। इमाम ख़ामेनेई 30 अगस्त 2022