हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन रफ़ीई ने मजलिस पढ़ी। उनकी मजलिस का टॉपिक हक़ीक़त बयान करने का जेहाद और उसकी ज़रूरतें थीं। उन्होंने इस बात पर विस्तार से चर्चा की कि किस तरह हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा ने अपने ज़माने के ख़ास हालात में हक़ को बयान करने का जेहाद किया।

उन्होंने कहा कि “हक़ बयान करने का जेहाद” समाज की एक ज़रूरत है और इस सिलसिले में मदरसे, धर्मगुरू, उस्ताद, मीडिया और ख़ास तौर पर नैश्नल मीडिया का किरदार बहुत ही अहम और प्रभावी है।

इस मजलिस में जनाब महमूद करीमी ने हज़रत फ़ातेमा ज़हरा के मसाएब बयान किए और नौहा व मर्सिया पढ़ा।