04/04/2022
रमज़ान के महीने को “ मुबारक” कहा गया है, इसके मुबारक होने की वजह यह है कि यह महीना, जहन्नम की आग से  ख़ुद को बचाने और इनाम में जन्नत पाने का महीना है जैसा कि हम, रमज़ान महीने की दुआ में पढ़ते हैं  “और यह महीना जहन्नम से छुटकारे और जन्नत पाने का महीना है”  अल्लाह की जहन्नम और इसी तरह उसकी जन्नत सब इसी दुनिया में है। आख़ेरत में जो कुछ होगा वह दर अस्ल इस दुनिया में मौजूद चीजों की वह अस्ली  शक्ल होगी जो फ़िलहाल छुपी हुई है।
04/04/2022
अगर आप सब बेहतरीन अंदाज़ में इस मेहमानी में शरीक हुए तो अल्लाह आपको क्या देगा? अल्लाह की मेहमान नवाज़ी यह है कि वह अपने क़रीब होने का मौक़ा देता है और इससे बड़ी कोई चीज़ नहीं।
03/04/2022
रसूले ख़ुदा ने कहा है कि “यह वह महीना है जिसमें तुम सब को अल्लाह ने दावत दी है।”  ख़ुद यही बात ग़ौर के लायक़ है, अल्लाह की तरफ़ से दावत। ज़बरदस्ती नहीं की गयी है कि सारे लोगों को इस दावत में जाना ही है। नहीं!  ज़िम्मेदारी डाली गयी है लेकिन इस दावत से फ़ायदा उठाना या न उठाना ख़ुद हमारे अपने हाथ में रखा गया है। सैयद अली ख़ामेनेई 2007-09-14
03/04/2022
जिस तरह चौबीस घंटों में नमाज़ के वक़्त इस लिए रखे गये हैं कि इन्सान, कुछ देर के लिए दुनियावी चीज़ों से बाहर आ जाएं, उसी तरह  साल में रमज़ान का महीना भी वह मौक़ा है.
03/04/2022
  इस्लामी इंक़ेलाब के नेता इमाम ख़ामेनेई ने रविवार की शाम पहली रमज़ान को क़ुरआन से लगाव नाम की महफ़िल में तक़रीर की। यह महफ़िल तेहरान में इमाम ख़ुमैनी इमामा बारगाह में आयोजित हुई।
04/04/2022
सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने रमज़ान मुबारक के पहले दिन रूहानी प्रोग्राम ‘क़ुरआन से उन्सियत की महफ़िल’ में रमज़ान को, अल्लाह की ख़त्म न होने वाली रहमत के दस्तरख़ान पर मेहमान बनने का महीना बताया जिससे इंसान, मन की पाकीज़गी, क़ुरआन से गहरे लगाव और उसमें ग़ौर-फ़िक्र के ज़रिए फ़ायदा उठा सकता है।
03/04/2022
रमज़ान महीने के आग़ाज़ पर तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में “क़ुरआन से उंसियत” नाम से एक महफ़िल का आयोजन हुआ जिसमें इस साल भी इस्लामी क्रांति के लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने भी भाग लिया। 3 अप्रैल 2022 के इस कार्यक्रम में इस्लामी इंक़ेलाब के लीडर ने अपनी तक़रीर में तिलावत, हिफ़्ज़े क़ुरआन, क़ुरआन के ज्ञान, क़ुरआन पढ़ने की शैलियों और क़ुरआनी उलूम के बारे में बड़ी अहम तक़रीर की। स्पीच का अनुवाद पेश हैः
02/04/2022
इस्लामी गणराज्य की स्वाधीनता और प्रतिष्ठा की गूंज सारी दुनिया पर छा गई। इमाम ख़ामेनेई 1 मार्च 2022
02/04/2022
मोमिन इंसान रमज़ान के पहले दिन इस ख़ास जज़्बे के साथ अल्लाह की मेहमानी में पहुंचता है।
02/04/2022
  बीते बरसों की तरह इस साल भी रमज़ान के मुबारक महीने के पहले दिन "क़ुरआन की महफ़िल" का आयोजन होगा जिसमें सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई भी शरीक होंगे।
29/03/2022
हमारी क़ौम ने साम्राज्य के मुक़ाबले में झुकने के बजाए प्रतिरोध का रास्ता चुना, यही सही फ़ैसला था। जब हम दुनिया के हालात को देखते हैं तो महसूस होता है कि यह फ़ैसला बिल्कुल दुरुस्त था।
27/03/2022
इन घटनाओं को जब इंसान देखता है, तो महसूस करता है कि दुनिया में कितना ज़ुल्म फ़ैला हुआ है?! इमाम ख़ामेनेई 21 मार्च 2022
27/03/2022
  सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने एक हुक्म जारी कर हुज्जतुल इस्लाम क़ाज़ी असकर को हज़रत शाह अब्दुल अज़ीम हसनी के पवित्र रौज़े, इससे संबंधित दूसरे पवित्र स्थलों और दूसरी संबंधित चीज़ों का मुतवल्ली नियुक्त किया।
25/03/2022
सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन अलहाज सैयद मुज्तबा रूदबारी के निधन पर एक संदेश जारी किया है।
25/03/2022
सुप्रीम लीडर ने हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन अलहाज सैयद मोहम्मद फ़क़ीह रहमतुल्लाह अलैह के निधन पर एक शोक संदेश जारी किया है।
24/03/2022
दुनिया के हालात को देखिए तो साम्राज्यवाद के सिलसिले में ईरानी क़ौम का सही स्टैंड और भी स्पष्ट हो जाता है। हमारी क़ौम ने साम्राज्यवाद के सामने समर्पण नहीं चुना, प्रतिरोध और स्वाधीनता की हिफ़ाज़त का रास्ता चुना, आंतरिक सशक्तीकरण का रास्ता चुना। यह राष्ट्रीय फ़ैसला था। इमाम ख़ामेनेई 21 मार्च 2022
24/03/2022
इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने वरिष्ठ धर्मगुरु हुज्जतुल इस्लाम रय शहरी की नमाज़े जनाज़ा अदा की।
23/03/2022
#यूक्रेन के मसले में पश्चिमी सरकारों की नस्ल परस्ती सब ने देखी। ट्रेन रोकते हैं कि जंग के संकट से जान बचाकर भागने वाले शरणार्थियों में से कालों को गोरों से अलग करें और ट्रेन से उतार दें। इमाम ख़ामेनेई 21 मार्च 2022
23/03/2022
पश्चिमी मीडिया में खुले आम अफ़सोस ज़ाहिर करते हैं कि इस बार जंग मध्यपूर्व में नहीं यूरोप में है। यानी अगर जंग, रक्तपात और भाई-भाई की लड़ाई मध्यपूर्व में हो तो कोई हरज नहीं, यूरोप में हो तो बहुत बुरी है। इतनी खुली और स्पष्ट नस्ल परस्ती! #यूक्रेन ... इमाम ख़ामेनेई 21 मार्च 2022
22/03/2022
इंतेज़ार के लिए ज़रूरी है कि अमल किया जाए, सुधार किया जाए। हमें अपना सुधार करना चाहिए। हमें उन चीज़ों ‎पर अमल करना चाहिए जो इमाम को ख़ुश करें। जब हम इस अंदाज़ से अमल करेंगे और अपने अंदर सुधार लाएंगे ‎तो यक़ीनन व्यक्तिगत कामों तक सीमित नहीं रहेंगे बल्कि समाज के स्तर पर, देश के स्तर पर और विश्व स्तर ‎पर भी हमें कुछ ज़िम्मेदारियां पूरी करनी होंगी। ‎ इमाम ख़ामेनेई ‎ ‎10 मई 2017
22/03/2022
  आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने संघर्षशील धर्मगुरू जनाब हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मोहम्मदी रय शहरी के देहांत पर शोक संदेश जारी किया।
22/03/2022
आप अफ़ग़ानिस्तान की घटनाओं और अमरीकियों के बाहर निकलने का तरीक़ा देखिए। पहले तो बीस साल तक अफ़ग़ानिस्तान में रहे। इस मज़लूम मुस्लिम मुल्क में क्या कुछ किया?! फिर किस तरह बाहर निकले? अवाम के लिए मुश्किलें खड़ी कर दीं और अब अफ़ग़ान जनता का पास लौटाने पर तैयार नहीं हैं। इमाम ख़ामेनेई 21 मार्च 2022
22/03/2022
इधर #यमन की घटनाएं हैं। यमन के मज़लूम और वाक़ई प्रतिरोधक अवाम पर रोज़ होने वाली बमबारी है। यह #सऊदी_अरब की कारस्तानियां हैं कि एक दिन के अंदर 80 नौजवानों और बच्चों की गरदन काट देता है। इमाम ख़ामेनेई 21 मार्च 2022
21/03/2022
हमें इंतेज़ार का हुक्म दिया गया है। इंतेज़ार का क्या मतलब है? इंतेज़ार का मतलब है चौकन्ना रहना। सामरिक क्षेत्र ‎में एक शब्द बहुत इस्तेमाल होता है, हाई एलर्ट रहना। अगर आपके इमाम जो सारी दुनिया में इंसाफ़ क़ायम करने ‎के लिए तशरीफ़ लाएंगे आज सामने आ जाएं तो हमें और आपको इसके लिए एलर्ट रहना चाहिए। इंतेज़ार का यही ‎मतलब है। ‎ इमाम ख़ामेनेई ‎ ‎10 मई 2017
21/03/2022
मैं इस साल उत्पादन का नया पहलू और नया रूप सामने रखना चाहता हूं। लेहाज़ा इस साल हमारा ‎नारा हैः “रोज़गार पैदा करने वाला नालेज बेस्ड प्रोडक्शन”।
21/03/2022
  आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई पहली फ़रवरदीन सन १४०१ हिजरी शम्सी को नए साल की शुरुआत के मौक़े पर ईरानी क़ौम को संबोधित करेंगे। इस स्पीच का लाइव टेलीकास्ट होगा।
21/03/2022
नए हिजरी शम्सी साल के आग़ाज़ के उपलक्ष्य में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की स्पीच के महत्वपूर्ण बिंदुः
21/03/2022
सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने नए ईरानी साल 1401 के पहले दिन अपनी लाइव स्पीच में ईदे नौरोज़ और नई हिजरी शम्सी सदी के आग़ाज़ की मुबारकबाद दी। उन्होंने नए साल के नारे की व्याख्या में, ग़रीबी की मुश्किल के हल और सामाजिक इंसाफ़ के साथ आर्थिक तरक़्क़ी हासिल करने का रास्ता नॉलेज बेस्ड अर्थव्यवस्था की ओर हरकत को बताया।
21/03/2022
इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने नए हिजरी शम्सी साल 1401 (21/3/2022-20/3/2023) के आग़ाज़ पर देश को संबोधित किया। टीवी चैनलों से लाइव टेलीकास्ट होने वाली इस पालीसी स्पीच में सुप्रीम लीडर ने अर्थ व्यवस्था के संदर्भ में बेहद महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाल और साथ ही क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय हालात का भी जायज़ा लिया।
20/03/2022
मौला का नाम और ज़िक्र हमेशा हमें यह याद दिलाता है कि इस अंधेरी रात की समाप्ति पर सत्य का सूरज ज़रूर ‎निकलेगा। बहुत से इंसान कभी कभी तारीकी के घटाटोप बादलों को देखते हैं तो मायूस होने लगते हैं। इमाम महदी ‎अलैहिस्सलाम की याद इस बात की अलामत है कि सूरज ज़रूर निकलेगा और उजाला फैलेगा। इमाम ख़ामेनेई ‎ ‎10 मई 2017‎
20/03/2022
पंद्रह शाबान की रात, ईदों की रात
20/03/2022
हिजरी शम्सी कैलेंडर के नए साल 1401 के आगाज़ पर इस्लामी क्रांति के लीडर का पैग़ामे नौरोज़  (19 मार्च 2022)
17/03/2022
शाबान महीने की बहुत बड़ी ख़ासियत यह है कि इस महीने में कायनात के मरकज़ हज़रत इमाम महदी ‎अलैहिस्सलाम का जन्म हुआ। इमाम ख़ामेनेई ‎ ‎10 मई 2017‎
18/03/2022
इमाम महदी अलैहिस्सलाम पर ध्यान केन्द्रित करना दरअस्ल अल्लाह की बारगाह में बंदगी और अक़ीदत ज़ाहिर करना ‎है। इमाम महदी अलैहिस्सलाम की तरफ़ तवज्जो केन्द्रित करते हैं, उनसे मदद मांगते हैं, उनकी बारगाह में सिर ‎झुकाते हैं तो इसलिए कि हमारी यह अक़ीदत अल्लाह की बारगाह में पहुंचे और हमारा यह अमल अल्लाह की बारगाह ‎में बंदगी समझा जाए। इमाम ख़ामेनेई ‎ 10 मई 2017
17/03/2022
इंसानी कारवां के सफ़र के ख़त्म होने की जगह के बारे में आसमानी धर्मों का अक़ीदा और नज़रिया बड़ा उम्मीद बख़्श है। वाक़ई इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़ुहूर का मुंतज़िर रहना, इस्लामी समाज के लिए उम्मीद का दरीचा है। इमाम ख़ामेनेई की स्पीच का एक भाग
ताज़ातरीन