31/08/2022
तमाम वाक़ेआत में इंक़ेलाब के अस्ली हीरो अवाम हैं। यह हक़ीक़त सबक़ और इबरत देने वाली है जो ओहदेदारों को यह याद दिलाती है कि इस क़ौम की किस अंदाज़ से ख़िदमत करें। इमाम ख़ामेनेई 30 अगस्त 2022
30/08/2022
इस्लामी गणराज्य, यानी एक नया और कुछ ही पहले गठित होने वाला गवर्निंग सिस्टम जो दुनिया में पाए जाने वाले किसी भी सिस्टम से मिलता-जुलता नहीं है लेकिन एक सिस्टम के लिए जिन सभी सकारात्मक और रचनात्मक ख़ासियतों की कल्पना की जा सकती है, वो इस्लामी गणराज्य में हैं, इस्लाम है, जनता के वोट हैं, लोगों का ईमान है, इज़्ज़त और सरबुलंदी का एहसास है, बंदगी है, इस्लामी क़ानून और नियम हैं, जो इंसान की ज़िंदगी को दोबारा ज़िंदा करने वाले हैं। जी हां! अगर हम इस्लाम को, इमाम ख़ुमैनी द्वारा परिचित कराए गए अर्थ में - यानी उसी सही, ख़ालिस और सिद्धांतों व दृष्टिकोणों पर आधारित अर्थ में - व्यवहारिक बना दें तो ये हर मुश्किल को हल कर देगा, जैसा कि हम जिस मैदान में भी आए, बचाव किया, आग्रह किया तो उसका फ़ायदा हुआ। ये इस्लाम, शासन व्यवस्था में कामयाब रहा, कल्चरल मामलों में दुश्मन से मुक़ाबले में कामयाब रहा। हमारा देश और हमारी क़ौम हमेशा, पश्चिमी कल्चर के जाल में फंसी रही थी लेकिन इमाम ख़ुमैनी के क़दम की बरकत से ये मामला दोतरफ़ा हो गया, हमारे केंद्र से यानी इस्लामी समाज की तरफ़ से भी एक सांस्कृतिक लहर बाहर की तरफ़ और दुनिया के दूसरे देशों तक जाने लगी। इमाम ख़ामेनेई 1/10/1999
30/08/2022
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने मंगल के दिन ईरान के प्रेसिडेंड और कैबिनेट से मुलाक़ात में मौजूदा हुकूमत के एक साल के कामकाज का जायज़ा लेते हुए इकॉनामी को तरजीह देने सहित कुछ सिफ़ारिशें की और कहा कि हर मोड़ पर और हर घटना में ईरान के अवाम ही, इन्क़ेलाब के अस्ली हीरो रहे हैं और यह एक तरह का सबक़ है जिससे मुल्क के ओहदेदारों को यह सीखना चाहिए कि ईरानी क़ौम के साथ कैसा रवैया अपनाया जाए।
30/08/2022
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने एक पैग़ाम जारी करके वरिष्ठ आलिमे दीन हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन अलहाज सैयद हसन मुस्तफ़वी के इंतेक़ाल पर अपनी संवेदना व्यक्त की।
30/08/2022
ईरान में मनाए जाने वाले हुकूमत के हफ़्ते के मौक़े पर राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी और उनकी कैबिनेट के सदस्यों ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की। 30 अगस्त 2022 को इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में होने वाली इस मुलाक़ात में सुप्रीम लीडर ने हुकूमत के हफ़्ते के संदर्भ के बारे में कुछ बातें बयान कीं और राष्ट्रपति रईसी की सरकार के एक साल के कामकाज पर अपनी राय रखी साथ ही कुछ अहम सिफ़ारिशें कीं। (1) तक़रीर इस तरह है:
29/08/2022
  इस्लामी इंक़ेबला के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने पवित्र शहर मशहद में इमाम रज़ा अलैहिल्सलाम के रौज़े की ज़ियारत की और पवित्र ज़रीह की सफ़ाई के रूहानी कार्यक्रम ‘ग़ुबार रूबी’ में हिस्सा लिया।
29/08/2022
तेहरान के मशहूर क़ब्रिस्तान, “बहिश्ते ज़हरा” को अपने दिमाग़ में लाएं, आप को एक बहुत बड़ा मैदान नज़र आएगा जहां कहीं-कहीं पेड़ भी हैं जो कब़्रों को छांव देते हैं।
29/08/2022
मुहर्रम के महीेने के आख़िरी दिनों में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने मशहद शहर के सफ़र में इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की ज़रीह की सफ़ाई के प्रोग्राम में शिरकत की।
27/08/2022
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयातुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने एक संदेश जारी करके आलिमे रब्बानी और आरिफ़े ख़ुदा आयतुल्लाह शैख़ मुहम्मद अली नासेरी के इंतेक़ाल पर शोक जताया है।
27/08/2022
आज जंग का मैदान, सॉफ़्ट पावर की जंग का मैदान है।
25/08/2022
ईरान मेडिकल साइंस के एतेबार से उस मक़ाम पर पहुंच चुका है कि ईरान के अवाम उस पर फ़ख़्र कर सकें। 
23/08/2022
शहीद के ख़ून को ज़िंदा रखने की मशक़्क़त ख़ुद शहादत पेश करने से कम नहीं है। इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम ‎का 30 तक चलने वाला जेहाद और हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा का कई साल का संघर्ष इसकी मिसाल है। इस ‎ख़ून को ज़िंदा रखने के लिए मशक़्क़तें उठाईं। ‎ इमाम ख़ामेनेई ‎7 मई 1997‎
23/08/2022
युक्रेन के मसले में सबने यूरोप की नस्ल परस्ती देखी। वे खुले आम इस बात पर दुख ज़ाहिर करते हैं कि इस बार जंग मध्यपूर्व में नहीं बल्कि यूरोप में छिड़ गयी है। दूसरे लफ़्ज़ों में यूं कहें कि अगर जंग और क़त्लेआम मध्यपूर्व में हो तो ठीक है।
15/08/2022
जिस तरह साउथ लेबनान 22 साल बाद वापस मिला उसी तरह #फ़िलिस्तीन के मक़बूज़ा हिस्से भी वापस मिलेंगे और पूरा मक़बूज़ा फ़िलिस्तीन फ़िलिस्तीनी क़ौम के पास लौटेगा। इमाम ख़ामेनेई 3 जून 2000
14/08/2022
तहरीके जेहादे इस्लामी ने अपने शुजाआना रेज़िस्टेंस से ग़ैर क़ानूनी क़ब्ज़ा करने वाली हुकूमत के ‎मंसूबों पर पानी फेर दिया और साबित कर दिया कि रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ के नेटवर्क का हर हिस्सा ‎अकेले भी दुश्मन की नाक ज़मीन पर रगड़ देने की सलाहियत रखता है। इमाम ख़ामेनेई ‎11 अगस्त 2022‎
14/08/2022
क़ाबिज़ (अतिग्रहणकारी) दुश्मन का पतन हो रहा है और फ़िलिस्तीन की रेज़िस्टेंस की ताक़त बढ़ रही ‎है ‘और बेशक अल्लाह की क़ूवत व ताक़त के बिना कोई क़ूवत व ताक़त नहीं।’ हम बदस्तूर आपके ‎साथ हैं। आप पर सलाम हो और अह्द व पैमान अपनी जगह क़ायम हैं। इमाम ख़ामेनेई 11 अगस्त 2022‎
11/08/2022
शीया समुदाय के पैकर में आशूर की तपिश नुमायां है। हम देख रहे हैं कि हर जगह शीयों में नज़र आने वाली यह गर्मी उन शोलों से निकली है जिनकी लपटें उस मुक़द्दस रूह और मूल्यवान मिट्टी से उठ रही हैं। यह लोगों की रूहों में समा जाती हैं और इंसानों को दहकती गोलियों में तब्दील करके उनसे दुश्मन के दिल को निशाना बनाती हैं। इमाम ख़ामेनेई 17 मार्च 1974
11/08/2022
सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने फ़िलिस्तीन के इस्लामी जेहाद संगठन के सेक्रेट्री जनरल ज़्याद नोख़ाला के ख़त के जवाब इस्लामी जेहाद वीरता भरी द्रढ़ता को फ़िलिस्तीन के रेज़िस्टेंस नेटवर्क में इस संगठन का महत्व और बढ़ जाने, ज़ायोनी शासन की साज़िश पर पानी फिर जाने और उसकी नाक मिट्टी में रगड़ दिए जाने का सबब बताया और सभी फ़िलिस्तीनी संगठनों के बीच एकता व एकजुटता बने रहने पर ताकीद करते हुए कहा: क़ाबिज़ दुश्मन कमज़ोर और फ़िलिस्तीनी रेज़िस्टेंस मज़बूत हो रहा है।
09/08/2022
इमाम हुसैन को हमेशा हक़ और सत्य के परचम के तौर पर बाक़ी रहना चाहिए। सच्चाई का परचम कभी बातिल की सफ़ में शामिल नहीं हो सकता और बातिल का रंग क़ुबूल नहीं कर सकता। यही वजह थी कि इमाम हुसैन ने फ़रमाया थाः ‘मोहाल है कि हम ज़िल्लत बर्दाश्त कर लें।’ गर्व उस इंसान, मिल्लत और समूह का हक़ है जो अपनी बात पर क़ायम रहे और जिस परचम को बुलंद किया है उसे तूफ़ानों में मिटने और गिरने न दे। इमाम हुसैन ने इस परचम को मज़बूती से थामे रखा और अपने अज़ीज़ों की शहादत और अहले हरम का क़ैदी बनना भी गवारा किया। इमाम ख़ामेनेई 29 मार्च 2002
08/08/2022
ज़ालिम, ज़ुल्म सहने वाला और ख़ामोश तमाशाई तीनों अल्लाह की नज़र में गुनाह में शामिल हैं।
08/08/2022
अल्लाह इस ज़ियारत को मेरे लिए, आपकी आख़िरी ज़ियारत क़रार न दे।
09/08/2022
इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में शामे ग़रीबां की मजलिस हुई जियमें इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने शिरकत की।
07/08/2022
शबे तासूआ (नवीं मुहर्रम की रात) इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की मजलिसे अज़ा इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में आयोजित हुई जिसमें इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने शिरकत की।
06/08/2022
इमाम ख़ुमैनी इमाम बाड़े में दूसरी शब की मजलिस हुई जिसमें इस्लामी इंक़ेलाब के नेता इमाम ख़ामेनेई ने शिरकत की।
06/08/2022
मातमी अंजुमनों की मरकज़ी कमेटी, तेहरान प्रांत की मातमी अंजुमनों के ज़िम्मेदारों और तेहरान प्रांत की तबलीग़ी महिलाओं ने 3 अगस्त 1994 को इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की। इस मुलाक़ात में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने मातमी अंजुमनों, इमाम हुसैन के आंदोलन और दीनदारी के विषय पर बड़े अहम बिंदु बयान किए। (1) तक़रीर निम्नलिखित हैः
06/08/2022
अगर वे 72 लोग भी इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के साथ न होते तब भी इमाम हुसैन की तहरीक रुकने वाली नहीं थी। यह एक सबक़ है। इमाम हुसैन से हमें यह सबक़ लेना चाहिए कि अल्लाह की राह में जेहाद को सख़्तियों और तनहाई के सबब छोड़ना नहीं चाहिए। इस फ़रीज़े और वाजिब को तनहा पड़ जाने, तादाद कम होने और वतन से दूर होने, साथियों के न होने और दुश्मन सामने मौजूद होने के सबब छोड़ना नहीं चाहिए। इमाम ख़ामेनेई 13 अगस्त 1988
06/08/2022
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने आंदोलन इसलिए किया कि अपने फ़रीज़े पर अमल करें। 
05/08/2022
इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की अज़ादारी की पहली रात की मजलिस हुई जिसमें  इस्लामी इंक़ेलाब के लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने शिरकत की।