15/09/2022
ईरानी क़ौम अपने पूरे वजूद से आप अज़ीज़ इराक़ी भाइयों की शुक्रगुज़ार है, ख़ास तौर पर मौकिब के ज़िम्मेदारों की। हम तहे दिल से आपका शुक्रिया अदा करते हैं। हमें मुतनब्बी का यह शेर याद आता हैः अगर किसी भले इंसान का इकराम व एहतेराम किया तो उसके मालिक बन जाओगे।  इमाम ख़ामेनेई 18 सितम्बर 2019
15/09/2022
अरबईन मार्च, इलाही वाक़या है। यह हक़ीक़त साबित करती है कि यह रास्ता इश्क़ का रास्ता है।
14/09/2022
आज की इस पेचीदा और प्रचारिक शोर-शराबे से भरी #दुनिया में चेहलुम का प्रोग्राम एक बेनज़ीर #मीडिया और दूर दूर तक पहुंचने वाली आवाज़ है। दुनिया में इसकी कोई नज़ीर नहीं है। यह कि दसियों लाख लोग चल पड़ते हैं। अलग अलग मुल्कों से, अलग अलग मसलकों यहां तक कि दूसरे धर्मों से तअल्लुक़ रखने वाले लोग भी। यह हुसैनी इत्तेहाद है। यह बात बिल्कुल दुरुस्त हैः ‘हमें एक धागे में पिरो देने वाले #हुसैन हैं। ’ इमाम ख़ामेनेई 13 अकतूबर 2019
14/09/2022
बेशक हम शियों का यह इफ़तेख़ार है कि हम इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के रास्ते पर चलने वाले हैं, लेकिन इमाम हुसैन सिर्फ़ हमारे नहीं है, पूरी इंसानियत के हैं।
14/09/2022
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के अरबईन या चेहलुम की मुनासेबत से शनिवार 17 सितम्बर को इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में स्टूडेंट्स की मातमी अंजुमनें अज़ादारी करेंगी जिसमें इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई भी शिरकत करेंगे। 
13/09/2022
यह आशूर का पैग़ाम है जो हज़रत इमाम हुसैन और हज़रत ज़ैनब के गले से बड़ी बेबसी और तनहाई के वक़्त निकला और आज आलमगीर बन गया है, दुनिया पर छा गया है। यह अल्लाह की अज़ीम निशानी है जो अल्लाह दिखा रहा है।
11/09/2022
साम्राज्यवाद को रोकने के लिए और फिर उसे पीछे ढकेलने के लिए, इस्लामी दुनिया में सलाहियतें बहुत ज़्यादा हैं।
10/09/2022
जो मुल्क फ़िलिस्तीनियों के मसलक वाले हैं, उन्होंने ईरान की मदद का सौवां हिस्सा भी उनकी मदद नहीं की, बल्कि कभी कभी तो नुक़सान भी पहुंचाया है।
09/09/2022
आज अमरीकी जो भी कर रहे हैं, हमारी नज़र में वह उनकी कमज़ोरी और बेबसी का नतीजा है।
07/09/2022
इंक़ेलाब की कामयाबी की शुरूआत से ही हमारे मुल्क में, फ़िलिस्तीन का मुद्दा उठाया गया।
06/09/2022
अरबईन मार्च करने वालों की क़िस्मत पर हमें रश्क होता है।
05/09/2022
वर्चस्ववादी ताक़तों की तरफ़ से ईरान के मिशन का विरोध स्वाभाविक हैसाम्राज्यवादी और वर्चस्ववादी ताक़तों की तरफ़ से इस्लामी जुमहूरिया ईरान के मिशन का विरोध स्वाभाविक और ‎लाज़ेमी है क्योंकि हमने इंसाफ़ और रूहानियत का परचम बुलंद किया है। इमाम ख़ामेनेई 3 सितम्बर 2022
05/09/2022
इस्लामी जुम्हूरिया का परचम, इंसाफ़ और रूहानियत का परचम है।
04/09/2022
शिया सुन्नी की जंग, अरब व ग़ैर अरब की जंग, कभी शियों की शियों से और सुन्नियों की सुन्नियों से जंग, यह इम्पीरियल ताक़तों का काम  है, यह अमरीका का काम है। इसकी ओर से होशियार रहने की ज़रूरत है।
03/09/2022
इस्लामी इन्क़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने सनीचर  3 सितम्बर 2022 की सुबह, वर्ल्ड अहलेबैत एसेंबली की सातवीं कान्फ्रेंस में हिस्सा लेने वाले मेहमानों से मुलाक़ात की।
03/09/2022
अहलेबैत वर्ल्ड असेंबली की सातवीं कान्फ़्रेन्स तेहरान में हुई जिसमें शिरकत के लिए आने वाले 117 मुल्कों के मेहमानों ने 3 सितम्बर 2022 को इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की। इस मौक़े पर अपनी तक़रीर में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इस असेंबली की अहमियत और ज़िम्मेदारियों पर रौशनी डाली। आपने इस्लामी जुमहूरिया के बुनियादी उसूलों और लक्ष्यों को बयान किया और इस्लामी दुनिया से साम्राज्यवाद के मुक़ाबले के सिलसिले में अहम प्वाइंट बयान किए। तक़रीर इस तरह हैः
02/09/2022
यह जो कुछ लोग कहते हैं कि फ़ुलां मुल्क से ज़रूर तअल्लुक़ात क़ायम करें ताकि हमारी मुश्किलें हल हो जाएं, यह मुल्क के लिए बहुत नुक़सानदेह है। मुल्क के अहम मामलों को दूसरों पर निर्भर करना और दूसरों के इंतेज़ार में बैठे रहना बुरी चीज़ है। नई हुकूमत की एक कामयाबी यह रही कि उसने समाज को इस हालत से बाहर निकाला कि हमेशा हम इस इंतेज़ार में बैठे रहें कि मुल्क से बाहर दूसरे लोग हमारे बारे में क्या फ़ैसला करते हैं। इस हुकूमत ने मुल्क की अंदरूनी सलाहियतों पर तवज्जो दी और उन पर काम कर रही है। इमाम ख़ामेनेई 30 अगस्त 2022
01/09/2022
राष्ट्रपति रईसी की एक कामयाबी इस्लाम व इंक़ेलाब के नारों यानी इंसाफ़, रईसाना कल्चर से परहेज़, कमज़ोर तबक़ों की मदद और साम्राज्यवाद की मुख़ालेफ़त का बिल्कुल नुमायां हो जाना है। इमाम ख़ामेनेई 30 अगस्त 2022
31/08/2022
तमाम वाक़ेआत में इंक़ेलाब के अस्ली हीरो अवाम हैं। यह हक़ीक़त सबक़ और इबरत देने वाली है जो ओहदेदारों को यह याद दिलाती है कि इस क़ौम की किस अंदाज़ से ख़िदमत करें। इमाम ख़ामेनेई 30 अगस्त 2022
30/08/2022
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने मंगल के दिन ईरान के प्रेसिडेंड और कैबिनेट से मुलाक़ात में मौजूदा हुकूमत के एक साल के कामकाज का जायज़ा लेते हुए इकॉनामी को तरजीह देने सहित कुछ सिफ़ारिशें की और कहा कि हर मोड़ पर और हर घटना में ईरान के अवाम ही, इन्क़ेलाब के अस्ली हीरो रहे हैं और यह एक तरह का सबक़ है जिससे मुल्क के ओहदेदारों को यह सीखना चाहिए कि ईरानी क़ौम के साथ कैसा रवैया अपनाया जाए।
30/08/2022
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने एक पैग़ाम जारी करके वरिष्ठ आलिमे दीन हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन अलहाज सैयद हसन मुस्तफ़वी के इंतेक़ाल पर अपनी संवेदना व्यक्त की।
30/08/2022
ईरान में मनाए जाने वाले हुकूमत के हफ़्ते के मौक़े पर राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी और उनकी कैबिनेट के सदस्यों ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की। 30 अगस्त 2022 को इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में होने वाली इस मुलाक़ात में सुप्रीम लीडर ने हुकूमत के हफ़्ते के संदर्भ के बारे में कुछ बातें बयान कीं और राष्ट्रपति रईसी की सरकार के एक साल के कामकाज पर अपनी राय रखी साथ ही कुछ अहम सिफ़ारिशें कीं। (1) तक़रीर इस तरह है:
29/08/2022
  इस्लामी इंक़ेबला के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने पवित्र शहर मशहद में इमाम रज़ा अलैहिल्सलाम के रौज़े की ज़ियारत की और पवित्र ज़रीह की सफ़ाई के रूहानी कार्यक्रम ‘ग़ुबार रूबी’ में हिस्सा लिया।
29/08/2022
तेहरान के मशहूर क़ब्रिस्तान, “बहिश्ते ज़हरा” को अपने दिमाग़ में लाएं, आप को एक बहुत बड़ा मैदान नज़र आएगा जहां कहीं-कहीं पेड़ भी हैं जो कब़्रों को छांव देते हैं।
29/08/2022
मुहर्रम के महीेने के आख़िरी दिनों में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने मशहद शहर के सफ़र में इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की ज़रीह की सफ़ाई के प्रोग्राम में शिरकत की।
27/08/2022
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयातुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने एक संदेश जारी करके आलिमे रब्बानी और आरिफ़े ख़ुदा आयतुल्लाह शैख़ मुहम्मद अली नासेरी के इंतेक़ाल पर शोक जताया है।
27/08/2022
आज जंग का मैदान, सॉफ़्ट पावर की जंग का मैदान है।
25/08/2022
ईरान मेडिकल साइंस के एतेबार से उस मक़ाम पर पहुंच चुका है कि ईरान के अवाम उस पर फ़ख़्र कर सकें। 
23/08/2022
शहीद के ख़ून को ज़िंदा रखने की मशक़्क़त ख़ुद शहादत पेश करने से कम नहीं है। इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम ‎का 30 तक चलने वाला जेहाद और हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा का कई साल का संघर्ष इसकी मिसाल है। इस ‎ख़ून को ज़िंदा रखने के लिए मशक़्क़तें उठाईं। ‎ इमाम ख़ामेनेई ‎7 मई 1997‎
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