आज दुनिया में इंसान की मुश्किलों की जड़ क्या है? यही कि उसे मिल जुल कर रहने का तरीक़ा नहीं आता। वे एक दूसरे पर ज़्यादती करते हैं। #हज मिल जुल कर जीना सिखाता है। हज में ऐसे लोग जो एक दूसरे से कोई पहचान नहीं रखते और जिनके कल्चर अलग हैं, एक साथ रहते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
8 जून 2022
वलीए फ़क़ीह आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने एक आदेश जारी करके श्री सैयद अब्बास सालेही को इत्तेलाआत इंस्टीट्यूट और समाचारपत्र में वलीये फ़क़ीह का नुमाइंदा और अख़बार का चीफ़ एडिटर नियुक्त किया।
ईरान के तेल को यूनान के समंदर में लूट लिया जाता है, जब ईरान के बहादुर सिपाही, बदला लेते हुए दुश्मन का तेल टैंकर ज़ब्त कर लेते हैं तो मीडिया प्रोपैगंडों में ईरान पर चोरी का इल्ज़ाम लगाते हैं।
दो साल के फ़ासले से अल्लाह ने हज का दरवाज़ा दोबारा खोला, यह बड़ी ख़ुशख़बरी थी। यह अल्लाह की दावत है जिसने हाजियों के लिए रास्ता खोला। किसी शख़्स की मेहरबानी नहीं, यह आप मोहतरम हाजियों के शौक़ की अल्लाह की बारगाह में क़ुबूलियत का नतीजा है। इंशाअल्लाह आप बेहतरीन हज बजा लाएं।
इमाम ख़ामेनेई
8 जून 2022
हज के लिए हाजियों को भेजने की तैयारी के तहत हज व ज़ियारत संस्था के कर्मचारियों व अधिकारियों ने बुधवार को तेहरान में इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
इस्लामी गणराज्य के हज विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों ने बुधवार को तेहरान में इमाम ख़ुमैनी इमाम बाड़े में सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की। इस मुलाक़ात में सुप्रीम लीडर ने हज को इंसानी ज़िन्दगी का स्तंभ और ऐसे अहम संदेश व पाठ पर आधारित बताया जिसमें इंसानी जिन्दगी के व्यक्तिगत व सामाजिक आयाम शामिल हैं। इसी तरह उन्होंने मेज़बान सरकार से सभी हाजियों ख़ास तौर पर ईरानी हाजियों की सुरक्षा को सुनिश्चित बनाने पर ताकीद की।
इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 8 जून 2022 को हज संस्था के अधिकारियों और कर्मचारियों से मुलाक़ात में हज के आध्यात्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं पर रौश्नी डाली और महत्वपूर्ण अनुशंसाएं कीं।(1)
उनकी तक़रीर का अनुवाद पेश हैः
इमाम ख़ुमैनी, इंक़ेलाबों के इतिहास के सबसे महान इंक़ेलाब के नेता थे। सबसे महान क्यों? क्योंकि सबसे मशहूर इंक़ेलाबों में फ़्रांस का इंक़ेलाब और सोवियत यूनियन का इंक़ेलाब था और दोनों ही बहुत जल्द अपने रास्ते से भटक गए, उनमें अवाम का कोई किरदार बाक़ी नहीं रहा, उनका इक़ेलाब ख़त्म हो गया।
इमाम ख़ामेनेई
4 जून 2022
इमाम ख़ुमैनी के आख़िरी लम्हे - आयतुल्लाह ख़ामेनेई की ज़बानी
इमाम ख़ुमैनी, कोमा में जाने से पहले तक सुबहानल्लाहे वलहम्दो लिल्लाहे व ला इलाहा इल्लल्लाहो वल्लाहो अकबर पढ़ते रहे।
सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने, इस्लामी क्रांति के संस्थापक इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह की 33वीं बरसी पर उनके मज़ार पर जनसभा से ख़िताब किया जिसमें आपने इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह को इस्लामी गणराज्य की आत्मा और उनकी शख़्सियत को ग़ैर मामूली क़रार देते हुए उन्हें ईरानी राष्ट्र के कल, आज और आने वाले कल का इमाम कहा। उन्होंने ताकीद की कि मौजूदा होशियार जवान नस्ल को भविष्य में मुल्क को चलाने और राष्ट्र को कारनामों की चोटियों तक पहुंचाने के लिए एक भरोसेमंद, समग्र, गति देने वाले व बदलाव लाने वाले साफ़्टवेयर यानी इमाम ख़ुमैनी की नसीहतों, बातों और शैली की ज़रूरत है।
इस्लामी इंक़ेलाब के संस्थापक इमाम ख़ुमैनी की 33वीं बरसी पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने श्रद्धालुओं के बहुत बड़े मजमे में तक़रीर की। 4 जून 2022 को अपनी इस तक़रीक में आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने इमाम ख़ुमैनी के व्यक्तित्व, उनकी विचारधारा के अनेक पहलुओं और साथ ही दूसरे कई विषयों पर रौशनी डाली।(1)
तक़रीर का अनुवाद पेश हैः
ज़ालिम के हाथ में शासन आ जाए तो दुनिया को तबाही की तरफ़ ले जाता है और अगर हम निचले दर्जों की तरफ़ आएं तब भी एक आम इंसान के हाथ में ताक़त और शासन हो उस सरज़मीन को, जहां उसे इक़तेदार हासिल है, तबाह कर देता है। ताक़त और इक़तेदार तब बुलंदियों की तरफ़ ले जाता है जब वह किसी बुद्धिजीवी के हाथ में हो, बुद्धिमान इंसान के हाथ में हो। मुमकिन है कि एक नौजवान बहुत अच्छा हो, बहुत शिष्ट हो लेकिन धीरे-धीरे ज़ालिम बन जाए। जब ताक़त और सत्ता आपके हाथ में आए तो विनम्र बनने की ज़्यादा कोशिश कीजिए। जब आप किसी समूह के प्रमुख बन जाएं तो विनम्र बनने की ज़्यादा कोशिश कीजिए, इस लिए कि अगर आपने ढिलाई की तो रूहानी ताक़त के मैदान में शैतान आपको ज़मीन पर पटक देगा।
इमाम ख़ुमैनी
23 अक्तूबर 1983
प्रतिरोध और डट जाने की विशेषता, ये वो चीज़ है जिसने इमाम ख़ुमैनी को एक नज़रिए के रूप में, एक विचारधारा की शक्ल में, एक सोच के तौर पर और एक रास्ते की हैसियत से पहचनवाया।
हमने और हमारे देश ने कभी भी किसी देश पर हमला नहीं करना चाहा और अब भी नहीं चाहते हैं लेकिन जब हम पर हमला कर दिया गया तो उसके बाद डिफ़ेंस एक ज़रूरी क़दम है जो सभी पर धार्मिक लेहाज़ से भी वाजिब है और अक़्ली लेहाज़ से भी। मैंने भी और सभी अधिकारियों ने भी अब तक बार बार इलाक़े की इन सरकारों से कहा है कि हम आपसे जंग करना नहीं चाहते। हम ऐसे नहीं हैं कि जब हमें ताक़त मिल जाए तो किसी दूसरे देश में ग़ुंडागर्दी से हस्तक्षेप करें। ख़ुदा के फ़ज़्ल से हम इलाक़े के सबसे ताक़तवर देशों में से एक हैं और इस्लाम की बरकत से, हमारे इस देश और हमारे इस राष्ट्र के पास ऐसी ताक़त है कि बड़ी ताक़तें भी उस पर हमला नहीं कर सकतीं। लेकिन इसी के साथ हम चाहते हैं कि इन सभी इस्लामी देशों के साथ और ख़ास तौर पर उन देशों के साथ जो इलाक़े में हैं, भाई बन कर रहें। हम चाहते हैं कि वो सब एक दूसरे का हाथ थामें।
इमाम ख़ुमैनी
25/7/1982
पूरे ईरान के धार्मिक शिक्षा केन्द्रों के डायरेक्टर आयतुल्लाह आराफ़ी ने ईसाई जगत के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ़्रांसिस से मुलाक़ात में सुप्रीम लीडर का ज़बानी संदेश उन्हें पहुंचाया।
इस्लामी गणराज्य #ईरान पाबंदियों के बावजूद अनेक मैदानों में अच्छी प्रगति करने में सफल रहा। अगर पाबंदियां न होतीं तो यह प्रगति भी हासिल न होती। क्योंकि पाबंदियों की वजह से हमने अपनी अंदरूनी क्षमताओं का सहारा लिया।
इमाम ख़ामेनेई
30 मई 2022
यक़ीनन क़ुम को क़ुम बनाने और इस तारीख़ी-मज़हबी शहर को ख़ास अज़मत दिलाने में हज़रत मासूमा का किरदार नुमायां है। इसमें किसी को कोई संदेह नहीं। यह अज़ीम हस्ती और ख़ानदाने पैग़म्बर में परवरिश पाने वाली नौजवान ख़ातून इमामों के अक़ीदतमंदों, साथियों और चाहने वालों के बीच अपनी गतिविधियों के ज़रिए, अलग अलग शहरों से गुज़र कर, पूरे रास्ते में लोगों के बीच ज्ञान और मुहब्बते अहलेबैत की ख़ुशबू फैला कर और फिर इस इलाक़े में पहुंच कर और क़ुम में ठहर कर, इस बात का कारण बनीं कि यह शहर ज़ालिम हुकूमत के उस तारीक दौर में ख़ानदाने पैग़म्बर के उलूम और शिक्षाओं के अहम मरकज़ की हैसियत से जगमगा उठे और वह मरकज़ बन जाए जो अहलेबैत के उलूम और उनकी शिक्षाओं की रौशनी पूरे इस्लामी जगत में और दुनिया के पूरब व पश्चिम तक पहुंचा दे।
इमाम ख़ामेनेई
21 अकतूबर 2010
इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम दौरे बनी उमैया के आख़िरी हिस्से में सूचना संचार के विशाल नेटवर्क का नेतृत्व कर रहे थे जिसका काम आल-ए-अली (अली अलैहिस्सलाम के वंशजों) की इमामत की तबलीग़ और इमामत के विषय की दुरुस्त तसवीर पेश करना था।
इमाम ख़ामेनेई
11 जून 1979
ईरान की इस्लामी जुमहूरियत ने दुनिया को कंट्रोल करने के विस्तारवादी सिस्टम के मंसूबों पर पानी फेर दिया। वर्चस्ववादी सिस्टम का अर्थ है कि कुछ विस्तारवादी देश हों और कुछ शोषण के शिकार। ईरान की इस्लामी जुमहूरियत ने इस क्रम को उलट पलट दिया। इसीलिए उस पर टूट पड़े हैं।
इमाम ख़ामेनेई
25 मई 2022
इस्लामी इंक़ेलाब के लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने शहीद धर्मगुरुओं को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित होने वाले सेमीनार के आयोजकों से मुलाक़ात में धर्मगुरुओं की शहादत की भावना और इसकी अहमियत पर रौशनी डाली। इस्लामी क्रांति के नेता की यह तक़रीर 13 जनवरी 2020 को हुई। (1)