शीया समुदाय के पैकर में आशूर की तपिश नुमायां है। हम देख रहे हैं कि हर जगह शीयों में नज़र आने वाली यह गर्मी उन शोलों से निकली है जिनकी लपटें उस मुक़द्दस रूह और मूल्यवान मिट्टी से उठ रही हैं। यह लोगों की रूहों में समा जाती हैं और इंसानों को दहकती गोलियों में तब्दील करके उनसे दुश्मन के दिल को निशाना बनाती हैं।
इमाम ख़ामेनेई
17 मार्च 1974
सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने फ़िलिस्तीन के इस्लामी जेहाद संगठन के सेक्रेट्री जनरल ज़्याद नोख़ाला के ख़त के जवाब इस्लामी जेहाद वीरता भरी द्रढ़ता को फ़िलिस्तीन के रेज़िस्टेंस नेटवर्क में इस संगठन का महत्व और बढ़ जाने, ज़ायोनी शासन की साज़िश पर पानी फिर जाने और उसकी नाक मिट्टी में रगड़ दिए जाने का सबब बताया और सभी फ़िलिस्तीनी संगठनों के बीच एकता व एकजुटता बने रहने पर ताकीद करते हुए कहा: क़ाबिज़ दुश्मन कमज़ोर और फ़िलिस्तीनी रेज़िस्टेंस मज़बूत हो रहा है।
इमाम हुसैन को हमेशा हक़ और सत्य के परचम के तौर पर बाक़ी रहना चाहिए। सच्चाई का परचम कभी बातिल की सफ़ में शामिल नहीं हो सकता और बातिल का रंग क़ुबूल नहीं कर सकता। यही वजह थी कि इमाम हुसैन ने फ़रमाया थाः ‘मोहाल है कि हम ज़िल्लत बर्दाश्त कर लें।’ गर्व उस इंसान, मिल्लत और समूह का हक़ है जो अपनी बात पर क़ायम रहे और जिस परचम को बुलंद किया है उसे तूफ़ानों में मिटने और गिरने न दे। इमाम हुसैन ने इस परचम को मज़बूती से थामे रखा और अपने अज़ीज़ों की शहादत और अहले हरम का क़ैदी बनना भी गवारा किया।
इमाम ख़ामेनेई
29 मार्च 2002
शबे तासूआ (नवीं मुहर्रम की रात) इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की मजलिसे अज़ा इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में आयोजित हुई जिसमें इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने शिरकत की।
मातमी अंजुमनों की मरकज़ी कमेटी, तेहरान प्रांत की मातमी अंजुमनों के ज़िम्मेदारों और तेहरान प्रांत की तबलीग़ी महिलाओं ने 3 अगस्त 1994 को इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की। इस मुलाक़ात में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने मातमी अंजुमनों, इमाम हुसैन के आंदोलन और दीनदारी के विषय पर बड़े अहम बिंदु बयान किए। (1)
तक़रीर निम्नलिखित हैः
अगर वे 72 लोग भी इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के साथ न होते तब भी इमाम हुसैन की तहरीक रुकने वाली नहीं थी। यह एक सबक़ है। इमाम हुसैन से हमें यह सबक़ लेना चाहिए कि अल्लाह की राह में जेहाद को सख़्तियों और तनहाई के सबब छोड़ना नहीं चाहिए।
इस फ़रीज़े और वाजिब को तनहा पड़ जाने, तादाद कम होने और वतन से दूर होने, साथियों के न होने और दुश्मन सामने मौजूद होने के सबब छोड़ना नहीं चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
13 अगस्त 1988
इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की अज़ादारी की पहली रात की मजलिस हुई जिसमें इस्लामी इंक़ेलाब के लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने शिरकत की।
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों की शहादत के अवसर पर तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मजलिसें होंगी जिनमें इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई भी शरीक होंगे।
200 साल से पश्चिम यही कह रहा है कि औरत अख़लाक़ी, दीनी और लेबास की क़ैद से अगर आज़ाद न हो तो तरक़्क़ी नहीं कर पाएगी। इल्मी, समाजी और सियासी मक़ाम पर नहीं पहुंच पाएगी। ईरानी महिलाओं ने इसे ग़लत साबित किया। अहम और संवेदनशील केन्द्रों में महिला वैज्ञानिक योगदान दे रही हैं।
इमाम ख़ामेनेई
27 जुलाई 2022
पश्चिमी ताक़तें एक माफ़िया हैं। इन ताक़तों की हक़ीक़त एक माफ़िया की हक़ीक़त है। इस की बागडोर ज़ायोनी व्यापारियों और उनके फ़रमां बरदार नेताओं के हाथ में है। उन का ‘शोकेस’ अमरीका है और वे हर जगह फैले हुए हैं।
इमाम ख़ामेनेई
27 जुलाई 2022
ईदे ग़दीर के दिन ईरान की राजधानी तेहरान के अवाम ने, वली-ए-अस्र स्ट्रीट पर आयोजित अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम की विलायत की बड़ी ईद का जश्न मनाया। अवाम की सेवा के लिए 600 मौकिब लगाए गए थे। जश्न के लिए तय किए गए 10 किलोमीटर लंबे रास्ते पर लाखों की तादाद में तेहरान के अवाम ने शिरकत की।
इस्लामी इंक़ेलाब की कामयाबी के बाद 5 मुर्दाद सन 1358 हिजरी शम्सी बराबर 27 जुलाई सन 1979 को पूरे मुल्क में पहली बार जुमे की नमाज़ क़ायम होने की सालगिरह पर पूरे मुल्क के जुमे के इमामों ने बुधवार की सुबह सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
इस्लामी इंक़ेलाब की कामयाबी के बाद 27 जुलाई 1979 को क़ायम होने वाली पहली नमाज़े जुमा की सालगिरह के मौक़े पर पूरे मुल्क के इमाम जुमा बुधवार 27 जुलाई 2022 की सुबह तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमाम बाड़े में एकत्रित हुए और इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से उनकी मुलाक़ात हुई।
इस मुलाक़ात में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने तक़रीर करते हुए नमाज़े जुमा को इस्लामी व्यवस्था की साफ़्ट पावर की एक अहम कड़ी और ग़ैर मामूली फ़रीज़ा क़रार दिया।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की तक़रीर पेश हैः
आज अमरीका और पश्चिम अतीत की तुलना में बहुत कमज़ोर पड़ चुके हैं। सीरिया, इराक़, लेबनान और फ़िलिस्तीन सहित हमारे इलाक़े के भीतर उनकी पालीसियों का असर फीका पड़ चुका है।
इमाम ख़ामेनेई
19 जुलाई 2022
पहलवी हुकूमत ने अमरीका की ग़ुलामी में उस ज़माने में संसद से क़ानून पास करवा दिया कि अमरीकी सलाहकारों को ईरान में अदालती और सेक्युरिटी इम्युनिटी हासिल रहेगी। इसका नाम कैपीचुलेशन है। ख़ुद अमरीकियों की नज़र में बक़ौल उनके तीसरी दुनिया के मुल्कों के साथ उनका रिश्ता राजा और प्रजा का रिश्ता है। इन मुल्कों में वो ख़ुद को हर चीज़ का मालिक समझते हैं। तेल, गैस, मुनाफ़ा, पैसा सब कुछ हड़प लेते हैं और क़ौमों की बुरी तरह तौहीन करते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
3 नवम्बर 2010