मदीने में इस्लाम की हुक्मरानी का दौर इस्लामी सिस्टम का निचोड़ पेश करने और इंसानी तारीख़ के हर दौर और हर जगह के लिए इस्लाम की हुक्मरानी का नमूना और नज़ीर तैयार करने का ज़माना है। पैग़म्बरे इस्लाम का मक़सद सिर्फ़ मक्के के काफ़िरों से जेहाद करना नहीं था। यह एक आलमी मिशन का मामला था। मक़सद यह था कि इंसान की आज़ादी, बेदारी और ख़ुशक़िस्मती का पैग़ाम हर दिल में उतर जाए। यह मक़सद एक आइडियल सिस्टम की रचना के बग़ैर पूरा नहीं हो सकता था।
इमाम ख़ामेनेई
18 मई 2001
यह बड़ी अहम बात है कि मोमिन ईरानी खिलाड़ी जीत मिलने के बाद नाज़ व नख़रे दिखाने के बजाए ज़मीन पर सर रखता है और अल्लाह का सजदा बजा लाता है।
इमाम ख़ामेनेई
11 सितम्बर 2022
एक्सपीडिएंसी डीसर्नमेंट काउंसिल के हेड और काउंसिल के नए दौर के सदस्यों ने बुधवार को तेहरान में सुप्रीम लीडर से मुलाक़ात की। आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने इस काउंसिल को इसमें ग़ैर मामूली सलाहियत व तजुर्बेकार लोगों की मौजूदगी और मुल्क के अहम विषयों व काउंसिल को सौंपी गई बड़ी ज़िम्मेदारियों के लेहाज़ से इस्लामी जुम्हूरिया का बहुत अहम इंस्टीट्यूशन क़रार दिया।
स्पोर्ट्स के मैदान में मिलने वाली जीत और दूसरी कामयाबियों में एक बुनियादी फ़र्क़ है। फ़त्ह एक लम्हे में मिलती है और फ़ौरन सब को मालूम हो जाता है। जिस लम्हा आप जीत हासिल करते हैं दसियों लाख और कभी तो करोड़ों लोग उस जीत को अपनी आंख से देखते हैं। ज़ाहिर है कि यह बहुत अहम कामयाबी है। बहुत अहम है और दूसरी कामयाबियों के विपरीत इसे छिपाना नामुमकिन है।
इमाम ख़ामेनेई
11 सितम्बर 2022
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनेई ने 11 सितंबर सन 2022 को शहीद खिलाड़ियों पर क़ौमी सेमीनार आयोजित करने वाले ज़िम्मेदारों से मुलाक़ात की। इस मुलाक़ात में सुप्रीम लीडर ने स्पीच दी जो 11 अक्तूबर 2022 को इस सेमीनार में पेश की गई।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनेई ने 11 सितम्बर सन 2022 को शहीद खिलाड़ियों पर क़ौमी सेमीनार आयोजित करने वाले ज़िम्मेदारों से मुलाक़ात की। इस मुलाक़ात में सुप्रीम लीडर ने स्पीच दी जो 11 अक्तूबर 2022 को इस सेमीनार में पेश की गई।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इस मुलाक़ात में इस बिन्दु पर बल दिया कि स्पोर्ट्स को केन्द्रीय बिन्दु की हैसियत से अहमियत दी जाए, इसे हाशिये के तौर पर न देखा जाए। उन्होंने स्पोर्ट्स और शहीद खिलाड़ियों के बारे में अहम बिन्दुओं का ज़िक्र किया। (1)
आयतुल्लाह ख़ामेनेई की स्पीचः
मैं साफ़ लफ़्ज़ों में कहता हूं कि यह हालिया फ़सादात और हिंसा अमरीका और जाली ज़ायोनी सरकार की साज़िश थी और उनके ख़रीदे हुए लोगों और विदेशों में रहने वाले कुछ ग़द्दार ईरानियों ने उनकी मदद की।
इमाम ख़ामेनेई
3 अक्तूबर 2022
हमने रवायतों में देखा और पढ़ा है कि मासूम इमामों की ज़िंदगी अल्लाह की राह में जेहाद की तस्वीर है। इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम से लेकर ग्यारहवें इमाम, इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम तक जेहाद का अंदाज़ एक है। यह एक सिलसिला है जो शुरू से आख़िर तक लगातार कोशिश और जिद्दोजेहद का सिलसिला है। यह वक़्त की हुकूमत के ख़िलाफ़ और हुकूमत से जुड़े लोगों के ख़िलाफ़ लड़ाई और संघर्ष है।
इमाम ख़ामेनेई
किताब, हमरज़्माने हुसैन अलैहिस्सलाम، पेज 349
यह तीन इमाम यानी इमाम मुहम्मद तक़ी अलजवाद, इमाम अली नक़ी अलहादी और इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम मदीना से इराक़ लाए गए, तीनों इराक़े में ही रहे और इराक़ में ही उन्हें शहीद और दफ़्न कर दिया गया। तीनों को जवानी में क़त्ल किया गया। इसकी वजह यह थी कि इन तीनों इमामों के ज़माने में शियों का नेटवर्क अपनी ताक़त के उरूज पर पहुंच गया था।
इमाम ख़ामेनेई
किताब, हमरज़्माने हुसैन अलैहिस्सलाम पेज, 349
सशस्त्र बल के सुप्रीम कमांडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनेई की मौजूदगी में मुल्क की डिफ़ेन्स यूनिवर्सिटियों की कम्बाइंड पासिंग आउट परेड का समारोह, सोमवार को तेहरान की इमाम हसन मुज्तबा ऑफ़िसर्ज़ अकादमी में आयोजित हुआ। इस मौक़े पर सुप्रीम लीडर ने अपनी स्पीच में मुल्क के मौजूदा हालात के बारे में कुछ अहम बिन्दुओं का ज़िक्र किया जिनमें से कुछ इस तरह हैं:
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई सोमवार को तेहरान में डिफ़ेंस युनिवर्सिटियों के पासिंग आउट स्टूडेंट्स के संयुक्त समारोह में शामिल हुए। उन्होंने इस समारोह में अपनी में मुल्क में घटी हालिया घटनाओं की ओर इशारा करते हुए बल दियाः इन घटनाओं में सबसे ज़्यादा मुल्क की पुलिस, स्वयं सेवी बल बसीज और ईरानी अवाम पर ज़ुल्म हुआ। अलबत्ता ईरानी क़ौम दूसरी घटनाओं की तरह इस घटना में भी मज़बूती के साथ सामने आई और आगे भी यही होगा।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 3 अकतूबर 2022 को इस्लामी जुमहूरिया ईरान की आर्फ़्ड फ़ोर्सेज़ की आफ़ीसर्ज़ एकेडमियों के कैडिट्स के ज्वाइंट पासिंग आउट प्रोग्राम में शिरकत की। इस मौक़े पर अपनी तक़रीर में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने सुरक्षा की अहमियत और इसमें आर्म्ड फ़ोर्सेज़ की मुख्य भूमिका पर रौशनी डाली। उन्होंने युवा लड़की की मौत के बाद ईरान में होने वाले दंगों के सभी पहलुओं का जायज़ा लिया। इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने अमरीका व इस्राईल साज़िश का पर्दाफ़ाश करते हुए न्यायपालिका और इदारों को अहम निर्देश दिए। (1)
तक़रीर इस तरह हैः
हम सब को इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम से यह सबक़ मिला है कि ऐ मुसलमानो! जेहाद से हरगिज़ न थको, कभी ग़ाफ़िल न हो क्योंकि दुश्मन जाग रहा है और अलग अलग शक्लों, अलग अलग भेस में, अलग अलग मेक-अप में सामने आता है। गहरी नज़र रखो, दुश्मन को पहचानो और दुश्मन से लड़ने का तरीक़ा सीखो!
इमाम ख़ामेनेई
24 नवम्बर 1984
इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम ने वली-अहद का ओहदा क़ुबूल करके वह क़दम उठाया जो सन 40 हिजरी में अहलेबैत की ख़ेलाफ़त का दौर ख़त्म होने के बाद से लेकर पूरी ख़ेलाफ़त की तारीख़ में बेनज़ीर है। वह क़दम था पूरी इस्लामी दुनिया की सतह पर शिया अक़ीद-ए-इमामत का एलान, तक़ैया के पर्दे को चाक करके शिया अक़ीदे को सारे मुसलमानों तक पहुंचाना।
इमाम ख़ामेनेई
9 अगस्त 1984
पैग़म्बर की नज़र में इंसान की नजात का तरीक़ा यह नहीं था कि आप एक एक व्यक्ति की इस्लाह करें। नहीं, पहले दिन से पैग़म्बरे इस्लाम का तरीक़ा यह रहा कि इस तरह का समाज बनाया जाए जिसमें लोग मुत्तहिद रहें और उसमें इस्लामी मूल्यों के मुताबिक़ परवान चढ़ें और इस्लाम के मद्देनज़र बुलंदी तक पहुंचें।
इमाम ख़ामेनेई
1 नवम्बर 1986
पैग़म्बर की जंग और जेहाद सिर्फ़ तलवार की लड़ाई तक सीमित नहीं है बल्कि यह आम लड़ाई है। इसमें वैचारिक लड़ाई भी है, सियासी लड़ाई भी है, प्रचारिक लड़ाई भी है और फ़ौजी लड़ाई भी है। बेशक हिजरत से पहले पैग़म्बर ने मक्के में जो जेहाद अंजाम दिया वह बद्र व ओहोद, ख़ैबर व ख़ंदक़ और दूसरी जंगों के ख़तरों से कम ख़तरनाक नहीं था।
इमाम ख़ामेनेई
1 नवम्बर 1986
पैग़म्बर ने बड़ी सख़्तियां बर्दाश्त कीं। हज़रत अली ने बड़े दुख उठाए, दूसरे इमामों ने भी ज़ुल्म का सामना किया लेकिन इमाम हसन जैसी हालत किसी की न थी। यहीं से इमाम हसन अलैहिस्सलाम की अज़मत का पता चलता है। क्योंकि दूसरे इमामों को दुश्मनों ने तकलीफ़ें पहुंचाईं और दोस्तों ने ज़ख़्मों पर मरहम रखा मगर इमाम हसन अलैहिस्सलाम के साथ यह स्थिति नहीं थी। आपके बिल्कुल क़रीबी व्यक्ति ने आपको मुख़ातिब करके कहा ऐ मोमिनों के लिए रुस्वाई!
इमाम ख़ामेनेई
28 जुलाई 1980
यह उन्हें बर्दाश्त न था कि एक क़ौम अमरीका से और उस ज़माने में दुनिया पर छायी फ़ौजी, सियासी और आर्थिक ताक़त से न डरे। लेहाज़ा वे ईरान से बदला लेने की कोशिश में थे। बग़ावत, तबस हवाई हमला, जातियों को भड़काने जैसी हरकतें कीं, कुछ हाथ न आया तो एक पड़ोसी के ज़रिए जंग थोप दी।
इमाम ख़ामेनेई
21/09/2022
ब्रितानी शिया और अमरीकी सुन्नी में कोई फ़र्क़ नहीं। दोनों ही क़ैंची के दो फल हैं। साम्राज्यवाद चाहता है कि इस्लामी दुनिया में इख़तेलाफ़ की लकीरों को गहरा करे शिया-सुन्नी जंग के ज़रिए, अरब व ग़ैर अरब जंग के ज़रिए, कभी शिया-शिया जंग और कभी सुन्नी-सुन्नी जंग के ज़रिए। जबकि अस्ली और बुनियादी फ़ासला एक ही है और वह इस्लामी दुनिया और कुफ़्र व साम्राज्यवाद की दुनिया के बीच का फ़ासला है। बाक़ी सारे मतभेदों को कम करने की ज़रूरत है।
इमाम ख़ामेनेई
3 सितम्बर 2022 और 17 दिसम्बर 2016
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने आठ साल चलने वाले पाकीज़ा डिफ़ेंस की मुनासिबत से मनाए जाने वाले पाकीज़ा डिफ़ेंस के हफ़्ते के आग़ाज़ पर एक पैग़ाम जारी किया।
पैग़ाम इस तरह हैः
सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने एक फ़रमान जारी करके, हित संरक्षक काउंसिल (मसलहत काउंसिल) के नये टर्म के मेंबरों के नामों का एलान कर दिया।
रहबरे इन्क़ेलाब का फ़रमान इस तरह हैः
‘मुक़द्दस डिफ़ेन्स’ की सालगिरह के मौक़े पर मनाए जाने वाले हफ़्ते की मुनासिबत से कमांडरों और बहादुर सिपाहियों, इसी तरह शहीदों के परिवारों से रहबरे इंक़ेबलाक की मुलाक़ात होगी।
पाकीज़ा डिफ़ेंस के कमांडरों, मुजाहिद सिपाहियों और शहीदों के परिवारों के एक समूह ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की। यह मुलाक़ात, पाकीज़ा डिफ़ेंस के हफ़्ते के मौक़े पर बुधवार 21 सितम्बर 2022 को तेहरान में इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में हुयी।