दुश्मन कुछ चीज़ों से ग़ुस्से में आ जाता है, हमें होशियार रहना चाहिए, दुश्मन हमारी क़ौमी एकता से नाराज़ है, वह इस क़ौमी एकता को ख़त्म करना चाहता है...इस बात से कि मोमिन, सरगर्म, लगाव रखने वाले और ज़िन्दा दिल अधिकारी मुल्क की ऊंची ऐडमिनिस्ट्रेटिव फ़ील्ड में पहुंच जाएं और मुल्क के मामलों को पूरी ताक़त से उसी रास्ते पर जो इस्लामी उसूलों और क़ौमी हितों का तक़ाज़ा है, आगे ले जाएं, इस बात से नाराज़ है। इस बात से नाराज़ है कि अवाम हुकूमत को सपोर्ट करते हैं, इस बात से नाराज़ है कि हमारे जवानों में जेहादी जज़्बा है, इस बात से नाराज़ है कि हमारे जवान मोमिन हैं, इस बात से नाराज़ है कि हमारे जवान मज़हबी प्रोग्रामों में शरीक होते हैं...अल्लाह का शुक्र है कि ईरानी क़ौम चौकन्ना है, होशियार है, लेकिन होशियारी और तवज्जो क़ायम रखिए। वे मुल्क में सियासी अफ़रातफ़री पैदा करना चाहते हैं, वे चाहते हैं कि इस मुल्क में सियासी स्थिरता व सुकून न हो...क़ौम होशियार रहे, जवान चौकन्ने रहें, मुख़्तलिफ़ तबक़े होशियार रहें।

इमाम ख़ामेनेई

5/11/2004