ग़ज़ा पट्टी में ज़ायोनी हुकूमत के जुर्म से संबंधित ख़बरें रोज़ाना ही न्यूज़ चैनलों और अख़बारों में आती रहती हैं। इसी तरह ग़ज़ा का संकट टॉक शोज़, राजनैतिक समीक्षाओं और न्यूज़ डिबेट का दैनिक विषय बन गया है। इस सिलसिले में जो सबसे अहम सवाल पाए जाते हैं उनमें से एक, ग़ज़ा के मौजूदा संकट से बाहर निकलने और इस क्षेत्र में जारी भयानक क़त्ले आम और विध्वंसक गतिविधियों के अंत के रास्ते के बारे में है।
मुल्क व सिस्टम के आला अधिकारियों ने बुधवार 3 अप्रैल 2024 की शाम को इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात की। ये मुलाक़ात हर साल रमज़ान मुबारक में होती है।
ये शिकस्त यक़ीनन जारी रहेगी, ये नाकाम कोशिशें भी, जैसे ये हरकत जो उन्होंने सीरिया में की, अलबत्ता इसका ख़मियाज़ा उन्हें भुगतना पड़ेगा, इस तरह की हरकतें उनके काम नहीं आएंगी।
जनमत में ग़ज़ा के मसले को प्राथमिकता के तौर पर बाक़ी रखने पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की ताकीद
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने बुधवार 3 अप्रैल 2024 की शाम को मुल्क के आला अधिकारियों व ओहदेदारों से मुलाक़ात में ग़ज़ा के हालात की ओर इशारा करते हुए कहा कि ग़ज़ा के मसले को विश्व जनमत की प्राथमिकता के दायरे से बाहर नहीं होने देना चाहिए।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने 23 रमज़ान मुबारक मुताबिक़ 3 अप्रैल 2024 को मुल्क के अधिकारियों से ख़िताब किया। उन्होंने रमज़ान मुबारक से संबंधित आध्यात्मिक बिन्दु पेश किए और साथ ही मुल्क सहित क्षेत्रीय मुद्दों की समीक्षा की। ख़ेताब इस प्रकार है।
ज़ायोनी हुकूमत के हाथों जनरल ज़ाहेदी की शहादत पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता का पैग़ाम
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने आईआरजीसी के सीनियर कमांडर जनरल मोहम्मद रज़ा ज़ाहेदी और उनके कुछ साथी मुजाहिदों की क़ाबिज़ व घृणित ज़ायोनी हुकूमत के हाथों शहादत पर एक पैग़ाम जारी करके कहा है कि हम अल्लाह की मदद से उन्हें इस जुर्म और इसी तरह के दूसरे जुर्मों पर पछताने पर मजबूर कर देंगे।
सलाम और रहमत हो इस वाक़ए के शहीदों पर और लानत व धिक्कार हो ज़ालिम हुकूमत के अधिकारियों पर
इस्लाम के बहादुर व त्यागी कमांडर जनरल मोहम्मद रज़ा ज़ाहेदी अपने साथी मुजाहिद मोहम्मद हादी हाज रहीमी के साथ, क़ाबिज़ व घृणित ज़ायोनी हुकूमत की आपराधिक कार्यवाही का शिकार होकर शहीद हो गए। अल्लाह और उसके औलिया का सलाम और रहमत उन पर हो और इस वाक़ए के दूसरे शहीदों पर हो और ज़ालिम व अतिक्रमणकारी हुकूमत के अधिकारियों पर लानत व धिक्कार हो।
जनरल ज़ाहेदी और उनके साथ अन्य लोगों की शहादत पर रहबरे इंक़ेलाब के पैग़ाम का एक भाग
2 अप्रैल 2024
जब इंसान अपनी ओर से चौकन्ना रहता है तो वो दीनदार होता है, लेकिन जैसे ही वो अपनी ओर से ग़ाफ़िल होता है, ख़ुद पर अपना अख़्तियार खो देता है और फिर धीरे-धीरे दीन से बाहर निकल जाता है।
पैग़म्बरे इस्लाम की निगाह में हक़ की कसौटी हज़रत अली हैं। सुन्नी और शिया रावियों ने नक़्ल किया हैः “अली हक़ के साथ और हक़ अली के साथ है, वह उधर घूमता है जिस तरफ़ वो घूमते हैं।” अगर आपको हक़ की तलाश है तो देखिए कि अली कहां खड़े हैं, क्या कर रहे हैं, उनकी उंगली का इशारा किस तरफ़ है।
इमाम ख़ामेनेई
26 जून 2010
अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम की पूरी ज़िंदगी सरापा ख़ालिस जेहाद है। बचपन में इस्लाम लाने से लेकर 63 साल की उम्र में शहादत तक ज़िंदगी का एक भी लम्हा ख़ालिस जेहाद से ख़ाली नहीं। इस्लाम के इतिहास में इतनी सेवाएं करने वाली कोई और हस्ती नहीं है। इमाम ख़ामेनेई 20 मई 1987
अमीरुल मोमेनीन ने हुकूमत क़ुबूल करने के लम्हे से मेहराबे इबादत में सर पर तलवार लगने तक एक दिन और एक लम्हा ऐसा नहीं गुज़ारा जिसमें आप उस हक़ और हक़ीक़त का मुतालबा करने से पीछे हटे हों जिसके लिए इस्लाम आया। न कोई रियायत, न तकल्लुफ़, न लेहाज़, न ख़ौफ़, न कमज़ोरी कुछ भी उनके आड़े नहीं आया।
इमाम ख़ामेनेई
28 जुलाई 2007
इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 25 मार्च 2024 को इमाम हसन अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिन के मौक़े पर शायरों और साहित्यकारों के साथ अपनी सालाना मुलाक़ात में शेर व अदब के बारे में बड़ी अहम तक़रीर की।(1)
शबे क़द्र वह मौक़ा है जिसमें हम अपने दिलों को अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम के अज़ीम मरतबे से परिचित कराएं और सबक़ लें। माहे रमज़ान की फ़ज़ीलत और इस महीने में नेक बंदों की ज़िम्मेदारियों के बारे में जो कुछ ज़बान पर आता है और बयान किया जा सकता है अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम उसका मुकम्मल नमूना और उन विशेषताओं का उदाहरण हैं।
इमाम ख़ामेनेई
19 सितम्बर 2008
जहाँ तक हो सके नमाज़े शब पढ़िए, नमाज़े शब छूटने ने पाए। जवानी का ये मौक़ा जो आपके पास है, दोबारा नहीं मिलता इससे अल्लाह से मोहब्बत के लिए फ़ायदा उठाइये।
फ़िलिस्तीनी रेज़िस्टेंस के जवानों ने पैग़ाम दिया जो हमारे कानों तक भी पहुंचा कि हमारे बारे में फ़िक्रमंद होने की ज़रूरत नहीं है। हमारे लगभग 90 प्रतिशत संसाधन और क्षमताएं सुरक्षित हैं।
इमाम ख़ामेनेई
12 मार्च 2024
यह जो ज़ायोनी हुकूमत इतने सारे सैनिक संसाधनों और दुनिया की ज़ालिम ताक़तों के समर्थन से औरतों और बच्चों का क़त्ले आम कर रही है, इस बात का चिन्ह है कि यह हुकूमत रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ का मुक़ाबला करने और उन्हें शिकस्त देने में सक्षम नहीं है।
इमाम ख़ामेनेई
28 मार्च 2024
पश्चिम के समर्थन से अंजाम पाने वाले ज़ायोनी सरकार के अपराध और दरिंदगी पर ग़ज़ा के अवाम का तारीख़ी सब्र एक अज़ीम हक़ीक़त है जिसने इस्लाम की मर्यादा बढ़ाई।
ज़ायोनी हुकूमत केवल अपनी सुरक्षा के मसले में ही संकट का शिकार नहीं बल्कि संकट से बाहर निकलने के मसले में भी संकट में घिरी है। दलदल में फंसी है, बाहर नहीं निकल सकती। अगर ग़ज़ा से निकल जाए तो उसकी हार है और न निकले तब भी उसकी हार है।
इमाम ख़ामेनेई
20 मार्च 2024
अगर हम अल्लाह को मानते हैं तो फिर बिखराव का कोई मतलब ही नहीं है और अगर वैचारिक मतभेद भी है तो उसे सच्चे ईमान और अल्लाह से सच्चे लगाव के साए में छिप जाना चाहिए।
पश्चिम के समर्थन से अंजाम पाने वाले ज़ायोनी सरकार के अपराध और दरिंदगी पर ग़ज़ा के अवाम का तारीख़ी सब्र एक अज़ीम हक़ीक़त है जिसने इस्लाम की मर्यादा बढ़ाई। ग़ज़ा वासियों के सब्र की अज़ीम हक़ीक़त ने फ़िलिस्तीन के विषय को दुश्मन की इच्छा के विपरीत दुनिया का सबसे अहम मुद्दा बना दिया।
इमाम ख़ामेनेई
25 मार्च 2024
फ़िलिस्तीन के इस्लामी जेहाद आंदोलन के महासचिव ज़्याद नख़ाला के नेतृत्व में आए प्रतिनिधिमंडल ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई से गुरूवार 28 मार्च 2024 को तेहरान में मुलाक़ात की।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने गुरुवार की शाम को फ़िलिस्तीन के इस्लामी जेहाद आंदोलन के महासचिव ज़्याद नख़ाला और उनके नेतृत्व में आए प्रतिनिधिमंडल से मुलाक़ात और बात की।
बहुत से लोग नमाज़ के लफ़्ज़ों के मानी को नहीं समझते या बहुत थोड़ा समझते हैं, वो भी अगर नमाज़ की हालत में और उसके लफ़्ज़ों को अदा करते हुए इस बात की ओर ध्यान रखें कि वो अल्लाह से बात कर रहे हैं तो इसका असर होगा। मतलब ये कि इंसान नमाज़ पढ़ते हुए मानसिक तौर पर हाज़िर रहे और अल्लाह के सामने अपनी हाज़िरी को महसूस करे तो असर होगा।
मज़लूम फ़िलिस्तीनी बच्ची जिसने अपनी शहादत से पहले एक वसीयतनामा लिखा था और इस वसीयतनामे में ड्राइंग की थी। जो कुछ उसके पास था उसने बख़्श दिया था। इमाम हसन अलैहिस्सलाम की शबे विलादत इमाम ख़ुमैनी इमाम बारगाह में बच्ची को शेर पढ़कर श्रद्धांजलि दी गई।
शायरी एक संचार माध्यम है। आज दुनिया में चुनौतियां और झड़पें मीडिया के ज़रिए होती हैं। जंग मीडिया की जंग है। जिस के पास ताक़तवर मीडिया है वह अपने लक्ष्य पूरे करने में ज़्यादा कामयाब है। इमाम ख़ामेनेई 20 मार्च 2024
दुनिया का मोह, इच्छाओं के पूरे न होने और हैवानी इच्छाओं और वासनाओं को कुचले न जाने की वजह से इंसान धीरे-धीरे ईमान से कुफ़्र की ओर झुकने लगता है। हमें इस बात की ओर से चौकन्ना रहना चाहिए कि मोमिन होने के बाद हम मुनाफ़िक़ न बन जाएं।
मिल्लते ईरान का सिविलाइज़ेशनल पैग़ाम और ईरानी क़ौम को मोतबर बनाने वाला पैग़ाम दुनिया में ज़ुल्म के मुक़ाबले में उसके साहसिक रेज़िस्टेंस का पैग़ाम है। मुंहज़ोरी और विस्तारवाद के मुक़ाबले में जिसका प्रतीक आज अमरीका और ज़ायोनी हैं।इमाम ख़ामेनेई 25 मार्च 2024
वाक़ई आप बेमिसाल शख़्सियत के मालिक हैं। आम तौर पर राजनेता और मुल्क चलाने वाले लोग सामाजिक व आर्थिक मामलों पर तो गहरी नज़र रखते हैं मगर शेर व साहित्य की ओर ज़्यादा ध्यान नहीं होता।
हमास आंदोलन के पोलित ब्योरो चीफ़ इस्माईल हनीया और उनके साथ आए प्रतिनिधिमंडल ने रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई से मंगलवार 26 मार्च 2024 को मुलाक़ात की।
इस्माईल हनीया से मुलाक़ात में रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ और ग़ज़ा के अवाम की दृढ़ता की सराहना के साथ आयतुल्लाह ख़ामेनेईः
रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने मंगलवार 26 मार्च 2024 को हमास आंदोलन के पोलित ब्योरो चीफ़ इस्माईल हनीया और उनके साथ आए प्रतिनिधिमंडल से मुलाक़ात में फ़िलिस्तीन की रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ और ग़ज़ा के अवाम की ऐतिहासिक दृढ़ता की सराहना की।