मन को आनंदित करने वाली हज़रत इब्राहीम की आवाज़ ने, जो अल्लाह के हुक्म से हर दौर के सभी मुसलमानों को हज के मौक़े पर काबे की ओर बुलाती है, इस साल भी पूरी दुनिया के बहुत से मुसलमानों के दिलों को तौहीद व एकता के इस केन्द्र की ओर सम्मोहित कर दिया है।
हज ने लोगों की इस शानदार व विविधता से भरी सभा को वजूद प्रदान किया है और इस्लाम के मानव संसाधन की व्यापकता और उसके आध्यात्मिक पहलू की ताक़त को अपनों और ग़ैरों के सामने नुमायां कर दिया है।
हज के विशाल समूह और इसकी जटिल क्रियाओं को जब भी ग़ौर व फ़िक्र की नज़र से देखा जाए, वह मुसलमानों के लिए दिल की मज़बूती और इतमीनान का स्रोत है और दुश्मन व बुरा चाहने वालों के लिए ख़ौफ़, भय व रोब का सबब हैं।
अगर इस्लामी जगत के दुश्मन व बुरा चाहने वाले, हज के फ़रीज़े के इन दोनों पहलुओं को ख़राब करने और उन्हें संदिग्ध बनाने की कोशिश करें, चाहे धार्मिक व राजनैतिक मतभेदों को बड़ा दिखाकर और चाहे इनके पाकीज़ा व आध्यात्मिक पहलुओं को कम करके, तो हैरत की बात नहीं है।
साइंस के ओलंपियाड्स में मेडल जीतने वाले और असाधारण प्रतिभा वाले कुछ स्टूडेंट्स ने शनिवार को इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
क़ुरआन मजीद हज को बंदगी, ज़िक्र और विनम्रता का प्रतीक, इंसानों की समान प्रतिष्ठा का प्रतीक, इंसान की भौतिक व आध्यात्मिक ज़िंदगी की बेहतरी का प्रतीक, बरकत व मार्गदर्शन का प्रतीक, अख़लाक़ी सुकून और भाइयों के बीच व्यवहारिक मेल-जोल का प्रतीक और दुश्मनों के मुक़ाबले में ‘बराअत’ और बेज़ारी तथा ताक़तवर मोर्चाबंदी का प्रतीक बताता है।
अपनी सोच और अपने अमल को इसके क़रीब से क़रीबतर कीजिए और इन उच्च अर्थों से मिश्रित और नए सिरे से हासिल हुयी पहचान के साथ घर आइये। यह आपके हज के सफ़र की हक़ीक़ी व मूल्यवान सौग़ात है।
इस साल ‘बराअत’ का विषय, विगत से ज़्यादा नुमायां है। ग़ज़ा की त्रासदी ऐसी है कि हमारे समकालीन इतिहास में इस जैसी कोई और त्रासदी नहीं है और बेरहम व संगदिल तथा बर्बरता की प्रतीक और साथ ही पतन की ओर बढ़ रही ज़ायोनी सरकार की गुस्ताख़ियों ने किसी भी मुसलमान शख़्स, संगठन, सरकार और संप्रदाय के लिए किसी भी तरह की रवादारी की गुंजाइश नहीं छोड़ी है।
फ़िलिस्तीन और ग़ज़ा के साबिर व मज़लूम अवाम के फ़ौलादी प्रतिरोध को, जिनके सब्र और दृढ़ता ने दुनिया को उनकी तारीफ़ और सम्मान पर मजबूर कर दिया है, हर ओर से सपोर्ट मिलना चाहिए।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने शनिवार को देश विदेश के साइंस के ओलंपियाडों में मेडल जीतने वालों और असाधारण प्रतिभा के मालिक कुछ स्टूडेंट्स से मुलाक़ात में, इन स्टूडेंट्स को बहुत ज़्यादा गहरी व वास्तविक उम्मीद का सबब बताया।
दुनिया के बुनियादी विषयों के बारे में इस्लामी जम्हूरिया ईरान का एक स्टैंड है, एक नज़रिया है। फ़िलिस्तीन के मसले में हमारा एक स्टैंड है, अमरीका से जुड़े विषयों के बारे में हमारा एक स्टैंड है, न्यु वर्ल्ड आर्डर के मसले में हमारा एक नज़रिया है, हमारा स्टैंड है और दुनिया इसको मानती है। यही स्वाधीनता है।
रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने 15 जून 2024 को साइंस ओलम्पियाडों में मेडल जीतने वाले जवानों से मुलाक़ात में युवा वर्ग और उसकी क्षमताओं के बारे में बात की और साथ ही कुछ अनुशंसाएं कीं। (1)
पूरे हज में अल्लाह का ज़िक्र है, अल्लाह की याद है। यह ज़िक्र, ज़िंदगी का स्रोत है, इसका हमारी ज़िंदगी पर, हमारे इरादे पर, हमारे संकल्प पर, हमारे बड़े बड़े फ़ैसलों पर असर पड़ेगा।
अबू हम्ज़ा सुमाली नामक दुआ आत्मज्ञान से भरी हुई है, अरफ़ा नामक दुआ आत्मज्ञान से भरी हुई है; मैं पूरे विश्वास से आप अज़ीज़ लोगों से अर्ज़ कर रहा हूं और आप इस बात को मान लीजिए कि जो कोई भी मिसाल के तौर पर दुआए अरफ़ा को उसके मानी पर ध्यान देते हुए पढ़े, जिस वक़्त इस दुआ को पढ़ना शुरू करता है उस वक़्त से लेकर अंत तक पहुंचते पहुंचते पूरी तरह बदल जाता है उस व्यक्ति की तुलना में जो दुआ पढ़ने से पहले था। चाहे उससे पहले दस बार इस दुआ को पढ़ चुका हो। इस दुआ में ऐसा आत्मज्ञान है।
शिक्षा विभाग और पाठ्यक्रम तैयार करने वाली परिषद के सदस्यों से मुलाक़ात में दी गई स्पीच का एक भाग
इमाम ख़ामेनेई
16/01/2001
‘वलीए फ़क़ीह’ के प्रतिनिधि और ईरानी हाजियों के मामलों के सरपरस्त शनिवार को मैदाने अरफ़ात में मुशरिकों से ‘बराअत’ के प्रोग्राम में मोहतरम हाजियों के नाम रहबरे इंक़ेलाब का मुकम्मल पैग़ाम जारी करेंगे।
इस महान और बेग़रज़ (आत्मबलिदानी) इंसान के ओहदे की पूरी मुद्दत, पूरी तरह इस्लाम की दिन रात सेवा के लिए समर्पित थी।
इस्लामी गणराज्य ईरान के राष्ट्रपति और उनके सम्मानीय साथियों के शहादत जैसे निधन पर इमाम ख़ामेनेई का शोक संदेश
20/05/2024
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह की पैंतीसवीं बरसी के प्रोग्राम में अपने ख़ेताब के एक हिस्से में फ़िलिस्तीन के मसले को इमाम ख़ुमैनी के एक सबसे नुमायां सबक़ और नज़रिए की हैसियत से अपनी गुफ़तगू का विषय बनाया और अलअक़्सा फ़्लड ऑप्रेशन के हालिया वाक़यों और फ़िलिस्तीन के मसले पर उसके हैरतअंगेज़ असर की समीक्षा करते हुए ज़ायोनी सरकार की मौजूदा बदतर हालत पर कुछ पश्चिमी समीक्षकों की बयानों की समीक्षा की।
इमाम ख़ुमैनी का पक्ष यह था कि ख़ुद फ़िलिस्तीनी अवाम अपना हक़ लें और दुनिया की क़ौमें और मुस्लिम क़ौमें उनका समर्थन करें। अगर यह हो गया तो ज़ायोनी हुकूमत पीछे हटने पर मजबूर हो जाएगी।
तूफ़ान अलअक़सा ने पूरे वेस्ट एशिया की राजनीति और अर्थ व्यवस्था पर कंट्रोल हासिल करने की ज़ायोनी हुकूमत की व्यापक योजना को ख़त्म कर दिया और यह उम्मीद ही मिटा दी कि इस योजना को वह दोबारा बहाल कर पाएगी।
अज़ीज़ राष्ट्रपति ने ईरान को दुनिया की राजनैतिक हस्तियों की नज़र में ज़्यादा बड़ा और नुमायां कर दिया। इसीलिए आज राजनैतिक हस्तियां जो उनके बारे में बात करती हैं, उन्हें एक नुमायां शख़्सियत बताती हैं।
अलअक़्सा फ़्लड ऑप्रेशन ज़ायोनी सरकार पर एक निर्णायक वार था, एक ऐसा वार जिसका कोई इलाज नहीं है। ज़ायोनी सरकार को इस वार से ऐसे नुक़सान पहुंचे हैं जिनसे वह कभी नजात हासिल नहीं कर पाएगी
इमाम ख़ुमैनी का मानना था कि ख़ुद फ़िलिस्तीनी अवाम को दुश्मन यानी ज़ायोनी सरकार को पीछे हटने पर मजबूर कर देना चाहिए, उसे कमज़ोर बना देना चाहिए। आज यह काम हो गया।
आज अपारथाइड ज़ायोनी सरकार के हाथों हो रहा जातीय सफ़ाया, पिछले दसियों साल से जारी शदीद अत्याचारपूर्ण रवैये के ही क्रम का एक भाग है।
फ़िलिस्तीन समर्थक जागरुक अंतरात्मा रखने वाले अमरीकी युनिवर्सिटी छात्रों के नाम इमाम ख़ामेनेई का ख़त
25 मई 2024
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने सोमवार की सुबह इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह की पैंतीसवीं बरसी के प्रोग्राम में एक विशाल जनसभा को ख़ेताब करते हुए इमाम ख़ुमैनी के विचार व नज़रियों में फ़िलिस्तीन के मुद्दे की ख़ास अहमियत को बयान किया और कहा कि फ़िलिस्तीन के बारे में इमाम ख़ुमैनी की पचास साल पहले की भविष्यवाणी धीरे धीरे पूरी हो रही है।
इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह की 35वीं बरसी के मौक़े पर 3 जून 2024 को तक़रीर करते हुए रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने इमाम ख़ुमैनी के दृष्टिकोण और विचारधारा पर प्रकाश डाला।