फ़िलिस्तीन किसका है? क़ाबिज़ कहाँ से आए हैं? कोई भी अंतर्राष्ट्रीय संगठन फ़िलिस्तीनी क़ौम पर एतेराज़ करने का हक़ नहीं रखता कि वह क्यों क़ाबिज़ ज़ायोनी सरकार के ख़िलाफ़ सीना तान कर खड़ी है। किसी को हक़ नहीं है। जो लोग फ़िलिस्तीनी राष्ट्र की मदद कर रहे हैं वे भी अस्ल में अपने फ़रीज़े पर अमल कर रहे हैं।
वेबसाइट Khamenei.ir से इंटरव्यू में विदेश मंत्री अब्बास इराक़चीः
विदेश मंत्री अब्बास इराक़ची ने शनिवार 26 अक्तूबर की शाम KHAMENEI.IR से इंटरव्यू में कहा कि ईरान की अपने हितों और संप्रभुता की रक्षा में कोई सीमा नहीं है और क्षेत्र के हालिया दौरों में ईरान की रक्षा ताक़त और ईरान पर हमले का इरादा रखने वालों के ख़िलाफ़ जवाबी कार्यवाही की उसकी क्षमता से विदेशी पक्षों को आगाह कर दिया गया है।
इंतेज़ार का तक़ाज़ा यह है कि इंसान ख़ुद को उसी हालत में ढाले और वही अख़लाक़ व अंदाज़ अख़्तियार करे जो उस ज़माने के लिए मुनासिब है जिसका उसे इंतेज़ार है। हमें चाहिए कि न्याय को सपोर्ट करें, ख़ुद को हक़ के सामने समर्पित रहने के लिए तैयार करें। इंतेज़ार इस तरह की हालत पैदा कर देता है।
इमाम ख़ामेनेई
09/07/2011
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के बेटे सांत्वना देने के लिए तेहरान में फ़िलिस्तीनी रेज़िस्टेंस आंदोलन हमास के दफ़्तर पहुंचे
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता सैयद अली ख़ामेनेई के बेटे तेहरान में इस्लामी रेज़िस्टेंस आंदोलन हमास के दफ़्तर पहुंचे और इस आंदोलन के प्रतिनिधि को आयतुल्लाह ख़ामेनेई का सलाम पहुंचाने के साथ ही फ़िलिस्तीन के मुजाहिद कमांडर और हमास के पोलित ब्यूरो प्रमुख यहया सिनवार की शहादत पर तेहरान में इस आंदोलन के प्रतिनिधि को मुबारकबाद व सांत्वना पेश की।
ज़ायोनिस्ट रेजीम ने 7 अक्तूबर 2023 को सैन्य, सुरक्षा और इंटेलिजेंस की नज़र से ऐसे वार खाने के बाद कि जिसकी भरपाई नहीं हो सकती, ग़ज़ा में फ़िलिस्तीनियों के ख़िलाफ़ भयानक अपराध और उनके जातीय सफ़ाए को अपना एजेंडा बना लिया।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने हिज़्बुल्लाह की कार्यकारिणी के प्रमुख सैयद हाशिम सफ़ीउद्दीन की शहादत पर रेज़िस्टेंस मोर्चे के जवानों के नाम सांत्वना संदेश जारी किया है।
इस लेख में फ़िलिस्तीनी मामलों के रिसर्च स्कालर और लेखक अली रज़ा सुलतान शाही ने इतिहास के बैकग्राउंड में क्षेत्र में ज़ायोनी सरकार को मान्यता दिलाने और उसके वजूद को मज़बूत करने की पश्चिम की कोशिशों और उसकी साज़िश की इस्लामी इंक़ेलाब के हाथों नाकामी और उसके क्षेत्र में फैलते असर का कि जिसका चरम अलअक़्सा फ़्लड आप्रेशन के रूप में सामने आया, जायज़ा लिया है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बुधवार की सुबह फ़ार्स प्रांत के 15 हज़ार शहीदों को श्रद्धांजलि पेश करने की कान्फ़्रेंस की प्रबंधन कमेटी के सदस्यों से तेहरान में मुलाक़ात में क्षेत्र के वाक़यों और रेज़िस्टेंस मोर्चे की दृढ़ता व संघर्ष को इलाक़े के भविष्य और इतिहास में बदलाव का सबब बताया और 50 हज़ार से ज़्यादा बेक़ुसूर इंसानों के नरसंहार के बावजूद रेज़िस्टेंस को ख़त्म करने में ज़ायोनी सरकार की शिकस्त पर बल देते हुए पश्चिमी सभ्यता और पश्चिमी अधिकारियों की रुसवाई को ज़्यादा बड़ी शिकस्त क़रार दिया और कहा कि शैतानी मोर्चे के मुक़ाबले में जीत रेज़िस्टेंस के मोर्च की हुई है।
अगर शहीद सिनवार जैसे लोग न होते जो आख़िरी लम्हे तक लड़ते रहे तो क्षेत्र का भविष्य किसी और तरह का होता। अगर सैयद नसरुल्लाह जैसे महान लोग न होते तो आंदोलन किसी और तरह का होता, अब जब ऐसे लोग हैं तो आंदोलन किसी और तरह का है।
ईरानी क़ौम का जो दुश्मन है वही फ़िलिस्तीनी क़ौम का भी दुश्मन है, वही लेबनानी क़ौम, इराक़ी क़ौम, मिस्री क़ौम, सीरियाई क़ौम और यमनी क़ौम का भी दुश्मन है। दुश्मन एक ही है। बस अलग अलग मुल्कों में दुश्मन की शैलियां अलग हैं।
जो क़ौम भी चाहती है कि दुश्मन की बेबस कर देने वाली नाकाबंदी का शिकार न हो, उसे चाहिए कि पहले ही अपनी आँखें खुली रखे, जैसे ही देखे कि दुश्मन किसी दूसरी क़ौम की ओर बढ़ रहा है, ख़ुद को मज़लूम व पीड़ित क़ौम के दुख दर्द में शरीक जाने, उसकी मदद करे, उससे सहयोग करे ताकि दुश्मन वहाँ कामयाब न हो सके।
शैख़ अहमद यासीन, फ़त्ही शक़ाक़ी, रन्तीसी और इस्माईल हनीया जैसी प्रतिष्ठित हस्तियों की शहादत के बाद इस मोर्चे की प्रगति में कोई रुकावट नहीं आयी तो सिनवार की शहादत से भी इंशाअल्लाह तनिक भी रुकावट नहीं आएगी।
वह रेज़िस्टेंस और जेहाद का चमकता चेहरा थे जो फ़ौलादी इरादे के साथ ज़ालिम व हमलावर दुश्मन के मुक़ाबले में डटे रहे, युक्तिपूर्ण कोशिशों और बहादुरी से उसके मुंह पर तमांचा मारा, इस क्षेत्र के इतिहास में 7 अक्तूबर जैसा वार यादगार के तौर पर छोड़ा, जिसकी भरपाई नामुमकिन है।
यहया सिनवार जैसा इंसान जिसने अपनी पूरी ज़िंदगी क़ाबिज़ व ज़ालिम दुश्मन के ख़िलाफ़ संघर्ष में बितायी, उसके लिए शहादत के अलावा कोई अंजाम मुनासिब नहीं था।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने शहीद अहमद यूसुफ़ी की पत्नी मोहतरमा फ़ख़रुस्सादात की यादों के संकलन पर आधारित किताब 'पतझड़ आ गया' का रिव्यू किया है। इस किताब को गुलिस्तान जाफ़रियान ने लिखा है।
मुजाहिद हीरो यहया सिनवार की शहादत पर इमाम ख़ामेनेई का सांत्वना का पैग़ामः
फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास के पोलित ब्यूरो चीफ़ यहया सिनवार की शहादत पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई का पैग़ाम
सैयद हसन नसरुल्लाह ज़ालिम और लुटेरे शैतानों के मुक़ाबले में प्रतिरोध का ऊंचा परचम थे। मज़लूमों की बोलती ज़बान और बहादुर रक्षक थे, मुजाहिदों और सत्य की राह पर चलने वालों के साहस और ढारस का सबब थे।
इस्लाम में इमाम महदी अलैहिस्सलाम से संबंधित अक़ीदा पूरी तरह मान्य अक़ीदों में है। सभी इस्लामी मतों का यह मानना है कि अंततः दुनिया में इमाम महदी के हाथों न्याय व इंसाफ़ का राज क़ायम होगा।
इमाम ख़ामेनेई
09/07/2011
अक्तूबर 2023 से ज़ायोनी सरकार ने ग़ज़ा में जातीय सफ़ाए की जंग में 16800 से ज़्यादा बच्चों को क़त्ल किया है।
कल्पना से परे यह जुर्म, भेड़िया समान, बच्चों की हत्यारी ज़ायोनी सरकार की अस्लियत है कि जिसका हल उसका विनाश और अंत है।
इमाम ख़ामेनेई
23 जुलाई 2014
अक्तूबर 2023 से ज़ायोनी सरकार ने ग़ज़ा में रोज़ाना अवसतन 45 से ज़्यादा बच्चों का क़त्ल किया है।
कल्पना से परे यह जुर्म, भेड़िया समान, बच्चों की हत्यारी ज़ायोनी सरकार की अस्लियत है कि जिसका हल उसका विनाश और अंत है।
इमाम ख़ामेनेई
23 जुलाई 2014
अलअक़्सा तूफ़ान आप्रेशन की सालगिरह पर Khamenei.ir की तरफ़ से ज़ायोनी सरकार पर निर्णायक वार करने वाले इस आप्रेशन से संबंधित इस्लामी इंक़ेलाब के नेता इमाम ख़ामेनेई के बयानों पर आधारित एक डाक्यूमेंट्री पब्लिश की जा रही है।
इस्लामी गणराज्य ईरान में 3000 सुन्नी ओलमा ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई के नाम ख़त में कामयाब आप्रेशन वादए सादिक़-2 का सपोर्ट किया और क़द्रदानी की।
रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने 6 अक्टूबर 2024 को किरमानशाह प्रांत के शहीदों पर नेशनल सेमीनार की आयोजक कमेटी से मुलाक़ात में इस इलाक़े के योगदान और क़ुरबानियों पर बात की और अहम अनुशंसाएं कीं।(1)
अगर इमाम महदी के प्रकट होने का अक़ीदा न हो तो इसका मतलब यह होगा कि पैग़म्बरों की सारी कोशिशें, यह सत्य की ओर दावत, ये पैग़म्बरों का भेजा जाना, ये सबके सब बेकार की कोशिश थी, बेफ़ायदा थी।
इमाम ख़ामेनेई
09/07/2011
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने राजनीति व इबादत के पहलुओं पर आधारित जुमे की नमाज़ में अवाम की भारी तादाद को ख़ेताब करते हुए मुसलमानों में एकता व एकजुटता को अल्लाह की तरफ़ से रहमत व इज़्ज़त मिलने और दुश्मन पर कामयाबी हासिल करने का सबब बताया और ताकीद की कि इस्लाम के रक्षा से संबंधित हुक्म, इस्लामी गणराज्य के संविधान के अनुसार ख़ूंख़ार ज़ायोनी सरकार को सज़ा देने की ईरान की आर्म्ड फ़ोर्सेज़ की कार्यवाही क़ानूनी और पूरी तरह सही थी। उन्होंने कहा कि इस्लामी गणराज्य ईरान इस संबंध में जिस ज़िम्मेदारी का एहसास करेगा, उसे किसी देरी या जल्दबाज़ी के बग़ैर पूरी ताक़त व दृढ़ता से अंजाम देगा।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलेमीन सैयद हसन नसरुल्लाह की शहादत के बाद और तूफ़ान अलअक़सा आप्रेशन की पहली सालगिरह के मौक़े पर 4 अक्तूबर 2024 को तेहरान की नमाज़े जुमा मुसल्ला-ए-इमाम ख़ुमैनी में रहबरे इंक़ेलाब की इमामत में अदा की गई।
फ़िलिस्तीन और क़ुद्स की आज़ादी के ध्वजवाहक हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन सैयद हसन नसरुल्लाह की मज़लूमाना शहादत के बाद और अलअक़्सा फ़्लड आप्रेशन(1) की पहली सालगिरह के मौक़े पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने 4 अक्तूबर 2024 को तेहरान की जुमे की नमाज़ पढ़ाई।
हमारे इस इलाक़े में उस समस्या की जड़, जो संघर्ष, युद्ध, चिंताएं, शत्रुताएं वग़ैरा पैदा करती है उन लोगों की उपस्थिति है जो क्षेत्र के अमन व शांति का दम भरते हैं।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई के प्रतिनिधित्व में उनके बेटे, तेहरान आने वाले लेबनान के घायलों और हिज़्बुल्लाह के मुजाहिदों को देखने अस्पताल पहुंचे।