ऐ अबूज़र! अल्लाह की इस तरह इबादत करो मानो तुम उसे आँखों से देख रहे हो, जान लो कि अल्लाह की इबादत का पहला स्तंभ ये है कि उसकी पाक हस्ती की पहचान हासिल करो, उसकी मारेफ़त पैदा करो।
इस वक़्त ग़ज़ा में जो हो रहा है दोनों तरफ़ से अपनी इंतेहा को पहुंचा हुआ है। अपराध और वहशीपन के लेहाज़ से भी और ग़जा के अवाम के बेमिसाल सब्र के एतेबार से भी।
पिछले बरसों की तरह इस साल भी रमज़ान मुबारक के पहले दिन इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की मौजूदगी में क़ुरआन मजीद से उन्स की महफ़िल आयोजित हुयी, जिसमें मुल्क के कुछ बड़े क़ारियों और क़ुरआन के सिलसिले में काम करने वालों ने शिरकत की।
क़ुरआन से उन्सियत की महफ़िल’ में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की ताकीदः
रमज़ानुल मुबारक के पहले दिन 12 मार्च 2024 को इमाम ख़ुमैनी इमाम बारगाह में क़ुरआन से उन्सियत की महफ़िल के नाम से एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ जिसमें रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने क़ुरआन और तिलावत के विषय पर तक़रीर की। उन्होंने ग़ज़ा की जंग के बारे में भी कुछ बिंदु बयान किए।
रमज़ान मुबारक का चाँद 29 शाबान (10 मार्च) को नज़र नहीं आया, सोमवार को 30 शाबान है, और मंगलवार 12 मार्च को रमज़ान मुबारक 1445 हिजरी क़मरी का पहला दिन होगा।
इस्लामी गणराज्य की आर्म्ड फ़ोर्सेज़ के सुप्रीम कमांडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने एक समारोह में मुल्क की फ़ौज के चीफ़ कमांडर मेजर जनरल सैयद अब्दुर्रहीम मूसवी और आईआरजीसी के चीफ़ कमांडर मेजर जनरल हुसैन सलामी को फ़तह का मेडल (मेडल ऑफ़ कंक्वेस्ट) दिया।
अपनी नौजवानी की क़द्र करें। हमारी जो मसरूफ़ियतें हैं, वो आम तौर पर सांसारिक फ़ायदों से जुड़ी हैं। हमें पूरे दिन में अल्लाह से अकेले में बात करने का मौक़ा नहीं मिलता, उन हस्तियों की बात अलग है जो हमेशा हालते नमाज़ में रहती हैं।
सरकारों, देशों और क़ौमों से हमारा कोई विवाद नहीं है। हमारा विरोध ज़ुल्म, अतिक्रमण और साम्राज्यवाद से है। हमारा विरोध उन घटनाओं पर है जो आप ग़ज़ा में देख रहे हैं।
इस्लामी जुम्हूरिया का उदय एक ज़लज़ला था जिसने दो मोर्चों की स्थिति पैदा की। एक लिबरल डेमोक्रेसी का मोर्चा और दूसरा इस्लाम पर आधारित जुम्हूरी मोर्चा। लिबरल डेमोक्रेटिक सिस्टम के नेचर में हमला और अतिक्रमण शामिल है जबकि दीनी लोकतंत्र का सबसे अहम मिशन ज़ुल्म का मुक़ाबला है।
इमाम ख़ामेनेई
7 मार्च 2024
जो हुकूमत इस्लाम की बुनियाद पर क़ायम होती है उसकी कार्यशैली की बुनियाद हैः"न तुम ज़ुल्म करोगे और न तुम पर ज़ुल्म किया जाएगा।" (सूरए बक़रह आयत 279)
इमाम ख़ामेनेई
7 मार्च 2024
एक दूल्हा दुल्हन की नई ज़िन्दगी शुरू हुयी, इश्क़ व मोहब्बत से भरी, ज़िंदगी में आगे बढ़ने व तरक़्क़ी करने की चाह के साथ, लेकिन ग़ज़ा की दुल्हनों के लिए स्थिति अलग तरह की है। किसी माँ के लिए एक नवज़ात के जन्म के आग़ाज़ के क्षण उसकी ज़िंदगी के सबसे ख़ूबसूरत लम्हे होते हैं। ऐसे लम्हें जो इंतेज़ार की लंबी घड़ियों के अंत और उम्मीद और इश्क़ से भरी ज़िंदगी शुरू होने की ख़ुशख़बरी देते हैं। लेकिन ग़ज़ा की माँओं के लिए स्थिति अलग तरह की है। ज़रा कलपना कीजिए एक परिवार के लोग इकट्ठा हैं, बच्चे आस पास खेल में मसरूफ़ हैं और माँ बाप खाना तैयार करने में लगे हैं। खाना तैयार है। माँ बच्चों को आवाज़ देती है कि खाने के लिए आएं, कितना मीठा अनुभव है ये। लेकिन ग़ज़ा की माँओं के लिए स्थिति अलग तरह की है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता का चयन करने और उनके क्रियाकलापों पर नज़र रखने वाले संवैधानिक संस्थान विशेषज्ञ असेंबली के सदस्यों ने गुरूवार 7 मार्च को इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात की।
ग़ज़ा में जारी क़त्ले आम की ओर इशारा करते हुए आयतुल्लाह ख़ामेनेईः
एक क़ौम अपनी सरज़मीन में अत्याचारों का निशाना बनती है, उनकी औरतें, उनके बच्चे, उनके मकानात बेरहमी से मिटाए जाते हैं और कुछ देश रोकना तो दरकिनार इसमें सहयोग करते हैं। अमरीका, ब्रिटेन और कुछ यूरोपीय देश। हम इसके विरोधी हैं।
इमाम ख़ामेनेई
7 मार्च 2024
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने, इस्लामी इंक़ेलाब के नेता का चयन करने और उनके क्रियाकलापों पर नज़र रखने वाली विशेषज्ञ असेंबली के सदस्यों से अपने ख़ेताब में इस्लामी गणराज्य और पश्चिम की लिबरल डेमोक्रेसी के बुनियादी फ़र्क़ पर प्रकाश डाला। आपने कुछ अनुशंसाएं भी कीं।(1)
ज़ैतून का पेड़ लगाने का मक़सद फ़िलिस्तीन के अवाम से एकजुटता और हमदिली का इज़हार है कि वह जगह ज़ैतून का केन्द्र है और हम दूर से इन मज़लूम, प्यारे और संघर्षशील अवाम को सलाम करना चाहते हैं और कहना चाहते हैं कि हम हर तरह से आपको याद करते हैं। जैसे यही कि आपकी याद में ज़ैतून का पेड़ लगाते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
5 मार्च 2024
इस्लामी इक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने वृक्षारोपण दिवस 15 इस्फ़ंद बराबर 5 मार्च और प्राकृतिक संसाधन सप्ताह के मौक़े पर 5 मार्च को 3 पौधे लगाए और इस मौक़े पर संक्षिप्त में बयान दिया। आपने प्रकृति और वृक्षारोपण की अहमियत के बारे में बात की और साथ ही 1 मार्च 2024 को होने वाले संसदीय चुनाव और विशेषज्ञ असेंबली के चुनावों में भरपूर शिरकत पर अवाम का शुक्रिया अदा किया। इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने फ़िलिस्तीनी राष्ट्र की मज़लूमियत और दृढ़ता का ज़िक्र किया।
फ़िलिस्तीनियों के लिए ज़ैतून आर्थिक पहलू के साथ ही एक प्रतीक भी है। रेज़िस्टेंस का प्रतीक, संयम का प्रतीक और उस सरज़मीन से जुड़ाव का प्रतीक जिसका नाम फ़िलिस्तीन है।
पश्चिमी सभ्यता ये है। अमरीका और पश्चिम की अमानवीय नीतियों की शर्मनाक स्थिति इस हद को पहुंच गई है कि आपने सुना ही होगा कि अमरीकी एयर फ़ोर्स का अफ़सर आत्मदाह कर लेता है। यानी इस कल्चर में पले बढ़े हुए नौजवान के लिए भी यह बात बहुत भारी है, उसके ज़मीर को भी चोट पहुंचती है।इत्तेफ़ाक़ से किसी एक शख़्स का ज़मीर जाग गया और उसने आत्मदाह कर लिया। पश्चिमी कल्चर ने अपना परिचय करा दिया, अपने चेहरे से नक़ाब हटा दी, अपनी पोल खोल दी कि वो कितना भ्रष्ट है, कितना गुमराह है, कितना ज़ालिम है।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई
28/2/2024
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने प्राकृतिक संसाधन सप्ताह और वृक्षारोपण दिवस पर मंगलवार 5 मार्च की सुबह 3 पौधे लगाए जिनमें एक ज़ैतून का पौधा था जो फ़िलिस्तीनी क़ौम के रेज़िस्टेंस की क़द्रदानी का चिन्ह है।
वृक्षारोपण दिवस पर पौधे लगाने के बाद इस्लामी इंक़ेलाब के नेताः
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने वृक्षारोपण दिवस पर मंगलवार 5 मार्च 2024 को सुबह 3 पौधे लगाने के बाद 1 मार्च के चुनाव में भरपूर भागीदारी पर अवाम का शुक्रिया अदा किया और कहा कि चुनावों में ईरानी क़ौम की शिरकत एक सामाजिक व सांस्कृतिक फ़रीज़े को अदा करना और एक जेहाद था।
सीस्तान व बलोचिस्तान प्रांत में आने वाली बाढ़ से अवाम को बहुत नुक़सान हुआ है। जो सहायता कार्य चल रहा है, जारी रहे। सहायता टीमें, चाहे वो सरकारी हों या उनके अलावा हों, काम जारी रखें। दूसरे लोग जो इस सहायता में शामिल होना चाहते हैं वो भी शामिल हों।
इमाम ख़ामेनेई
5 मार्च 2024
मतदान में भरपूर शिरकत पर ईरानी क़ौम का शुक्रिया अदा करता हूं। ईरानी क़ौम ने जेहाद किया। क्यों? इसलिए कि तक़रीबन एक साल से ईरानी क़ौम के दुश्मन दुनिया में अलग अलग जगहों से कोशिश में थे कि अवाम को चुनाव से दूर रखें। अवाम ने पोलिंग केन्द्रों पर पहुँच कर कारनामा अंजाम दिया।
इमाम ख़ामेनेई
5 मार्च 2024
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने सोमवार की सुबह तेहरान में बुज़ुर्ग और ख़िदमत गुज़ार धर्मगुरू आयतुल्लाह इमामी काशानी की नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने शुक्रवार 1 मार्च को सुबह बारहवीं संसद और छठी विशेषज्ञ असेंबली के चुनावों के लिए, मतदान का वक़्त शुरू होते ही तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में आकर अपना वोट डाला।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता, आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने शुक्रवार 1 मार्च 2024 को संसद और विशेषज्ञ असेंबली के चुनावों के लिए 8 बजे सुबह मतदान का वक़्त शुरू होते ही अपना वोट डाला।
आज ईरानी क़ौम के शुभचिंतकों और दुश्मनों इसी तरह अहम राष्ट्रीय व राजनैतिक पोज़ीशन रखने वालों की निगाहें ईरान पर केन्द्रित हैं। वह देखना चाहते हैं कि ईरानी जनता इस चुनाव में क्या करती है और उसका नतीजा क्या होता है।
इमाम ख़ामेनेई
1 मार्च 2024
चुनाव राष्ट्रीय और अवामी ताक़त का प्रतीक है। अमरीका, यूरोप पर हावी नीतियां, ज़ायोनी पालीसियां, दुनिया के बड़े पूंजीपतियों और बड़ी कंपनियों की पालीसियां अवाम की भरपूर उपस्थिति से सबसे ज़्यादा डरती हैं। क्यों? क्योंकि उन्हें पता है कि अगर क़ौम मैदान में उतर पड़े तो समस्याओं पर नियंत्रण तय है।
इमाम ख़ामेनेई
28 फ़रवरी 2024