धर्मगुरू हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन अली अलीज़ादे ने मजलिस पढ़ी। उन्होंने क़ुरआन की आयतों और रवायतों के हवाले से कहा कि हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा अहलेबैत में ध्रुव की हैसियत रखती हैं। उन्होंने कहा कि हज़रत सिद्दीक़ए कुबरा (हज़रत ज़हरा) अपने दौर में, पैग़म्बरे इस्लाम और हज़रत अली अलैहिस्सलाम के ख़िलाफ़ होने वाले हमलों के ख़िलाफ़ डट गयीं और उन्होंने इस्लाम तथा नबवी मत को बदलने की कोशिश को रोक दिया।

इस मजलिस में जनाब मीसम मुतीई ने हज़रत ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा का मर्सिया और नौहा पढ़ा।