रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई इस्लामी जम्हूरिया ईरान के शहीद विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान की क़ब्र पर गए। शहरे रय में हज़रत अब्दुल अज़ीम हसनी के मज़ार की ज़ियारत करते वक़्त आयतुल्लाह ख़ामेनेई विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान की क़ब्र पर गए और फ़ातेहा पढ़ा।
अगर ओस्लो समझौते के बाद ज़ायोनी सरकार की गतिविधियों की समीक्षा की जाए तो हम देखेंगे कि यह सरकार किसी भी हालत में, टू स्टेट फ़ारमूले को मानने के लिए तैयार नहीं थी, बल्कि यह समझौता फ़िलिस्तीनियों के ज़्यादा से ज़्यादा इलाक़ों पर नाजायज़ क़ब्ज़े के लिए वक़्त हासिल करने की उसकी यह चाल थी। इस बारे में लेख पेश है।
सच्चाई बयान करने का मिशन, दुश्मन की चाल और उसकी कोशिशों को नाकाम बनाने वाला है। आप में से हर एक, एक ज़िम्मेदारी के तौर पर एक चेराग़ की तरह, एक प्रकाश की तरह अपने आस-पास के माहौल को रौशन कर दे।
क़ाबिज़ ज़ायोनी सरकार की पीठ पर अमरीका जैसी एक बड़ी फ़ौजी, राजनैतिक और आर्थिक ताक़त, प्रतिरोध करने वाले एक गिरोह से लड़ रही है लेकिन वह उसे घुटने टेकने पर मजबूर न कर सकी। वे अपनी भड़ास आम लोगों पर निकाल रहे हैं।
सरकार के सामने मुख़्तलिफ़ मसलों में चुनौतियां हो सकती हैं, ऐसी स्थिति में संसद सरकार को भरपूर सहारा दे सकती है, सरकार के हाथ मज़बूत कर सकती है। स्ट्रैटेजिक ऐक्शन का क़ानून, संसद के बेहतरीन कामों में से एक था।
बुधवार को तेहारन के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में ग्यारहवीं मोहर्रम की मजलिस हुयी। यह मजलिस इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम की शबे शहादत में हुयी जिसमें इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई और हुसैनी अज़ादारों ने शिरकत की।
बुधवार को तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम की शबे शहादत की मजलिस हुयी जिसमें इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई और अज़ादारों ने शिरकत की। यह मजलिसे अज़ा के सिलसिले की आख़िरी मजलिस थी।
तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में शबे आशूर को मजलिस हुयी जिसमें इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई और अज़ादारों ने शिरकत की।
शहीद मुतह्हरी इंक़ेलाब से बर्सों पहले चीख़ चीख़ के कहते थेः “आज के दौर का शिम्र –उस वक़्त के इस्राईली प्रधानमंत्री का नाम लेते थे- फ़ुलां है।” हक़ीक़त भी यही है। हम शिम्र पर लानत भेजते हें ताकि शिम्र बनने और शिम्र जैसा अमल करने की जड़ इस दुनिया में काट दी जाए।
09/01/2008
तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मंगलवार 10 मुहर्रम की रात को शामे ग़रीबां की मजलिस का आयोजन हुआ जिसमें रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई और अज़ादारों ने शिरकत की।
तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में रविवार 8 मोहर्रम की रात को इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की अज़ादारी के सिलसिले की तीसरी मजलिस का आयोजन हुआ, जिसमें इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई और अज़ादारों ने शिरकत की।
तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में रविवार 8 मुहर्रम की रात को इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की मजलिस का आयोजन हुआ जिसमें रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई और अज़ादारों ने शिरकत की।
हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा की नज़रों में ये सारी मुसीबतें ख़ूबसूरत हैं क्योंकि ये अल्लाह की तरफ़ से हैं, क्योंकि उसके लिए और उसकी राह में हैं।
08/02/2010
तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में शनिवार 7 मुहर्रम की रात को इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की दूसरी मजलिस का आयोजन हुआ जिसमें रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई और अज़ादारों ने शिरकत की।
जो क़ौम कमज़ोरी और अपमान को क़ुबूल कर ले और पाक मक़सद की राह में अपने किसी शख़्स की उंगली कटाने के लिए भी तैयार न हो, उसका पतन निश्चित है और अपमान उसका मुक़द्दर है।
30/03/1985
तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में शुक्रवार 6 मोहर्रम की रात को शहीदों के सरदार इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की पहली मजलिस का आयोजन हुआ, जिसमें इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने शिरकत की।
तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में जुमा 6 मुहर्रम की रात से इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की मजलिसों और अज़ादारी का सिलसिला शुरू हो गया जिसमें रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई भी शरीक हुए।
शहीद मुतह्हरी इंक़ेलाब से बर्सों पहले चीख़ चीख़ के कहते थेः “आज के दौर का शिम्र –उस वक़्त के इस्राईली प्रधानमंत्री का नाम लेते थे- फ़ुलां है।” हक़ीक़त भी यही है। हम शिम्र पर लानत भेजते हें ताकि शिम्र बनने और शिम्र जैसा अमल करने की जड़ इस दुनिया में काट दी जाए।
9 जनवरी 2008
शहीद मुतह्हरी इंक़ेलाब से बर्सों पहले चीख़ चीख़ के कहते थेः “आज के दौर का शिम्र –उस वक़्त के इस्राईली प्रधानमंत्री का नाम लेते थे- फ़ुलां है।” हक़ीक़त भी यही है। हम शिम्र पर लानत भेजते हें ताकि शिम्र बनने और शिम्र जैसा अमल करने की जड़ इस दुनिया में काट दी जाए।
9 जनवरी 2008
किस तरह ग़ज़ा की स्थिति से पश्चिम के प्रजातंत्र, मानवाधिकार और सबसे बढ़कर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे अर्थों की पोल खुल गयी है? इस बारे में लेख पेश है।
शहीद रईसी कभी न थकने वाले, विनम्र, दुआ से लगाव रखने वाले, इंक़ेलाबी और दीनी स्टैंड खुल कर बयान करने वाले थे और प्रतिष्ठित विदेश नीति की शैली पर चलते थे।
7 जुलाई 2024
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने एक आदेशपत्र जारी करके हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन शैख़ अहमद मुतह्हरी अस्ल को पूर्वी आज़रबाइजान प्रांत में वलीए फ़क़ीह के प्रतिनिधि और तबरेज़ के इमामे जुमा के तौर पर नियुक्त किया है।
इमाम हुसैन का अभियान, सम्मान का अभियान था, यानी हक़ का सम्मान, धर्म का सम्मान, इमामत का सम्मान और उस राह का सम्मान जिसे पैग़म्बरों ने दिखाया था।
29/03/2002
इस्राईल ने ग़ज़ा में पानी पहुंचाने वाली सभी पाइप लाइनों को बंद कर, फ़िलिस्तीनियों को समुद्र का खारा पानी पीने पर मजबूर कर दिया है जिसके स्वास्थय के लेहाज़ से बहुत नुक़सान हैं। इस्राईल की यह करतूत, फ़िलिस्तीनियों के जातीय सफ़ाए का नया हथकंडा है। इस बारे में एक लेख पेश है।