संसद और विशेषज्ञ परिषद के चुनाव से पूर्व, पहली बार मताधिकार का इस्तेमाल करने वाले कुछ नौजवानों और शहीदों के घर वालों ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात की।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने पहली बार वोट डालने वाले हज़ारों नौजवानों और कुछ शहीदों के घर वालों से बुधवार 28 फ़रवरी को तेहरान में इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मुलाक़ात की।
अमरीका की अमानवीय नीतियां इतनी शर्मनाक हो चुकी हैं कि आपने सुना ही होगा कि एक अमरीकी फ़ौजी अफ़सर ने आत्मदाह कर लिया। इसका मतलब यह है कि इस कलचर में पलने वाले नौजवान के लिए भी यह बात बर्दाश्त के बाहर है।
इमाम ख़ामेनेई
28 फ़रवरी 2024
ग़ज़ा में जातीय सफ़ाए के बारे में अमरीका की ग़ैर इंसानी पालीसियां इतनी रुसवा हो चुकी हैं कि अमरीकी फ़ौजी अफ़सर आत्मदाह कर लेता है।
इमाम ख़ामेनेई
28 फ़रवरी 2024
ईरान में ससंदीय और विशेषज्ञ असेंबली के चुनाव के अवसर पर इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई से फ़र्स्ट टाइम वोटर्ज़ और शहीदों के परिवारों ने 28 फ़रवरी 2024 को मुलाक़ात की। (1) इस मौक़े पर आयतुल्लाह ख़ामेनेई की तक़रीरः
क़ुरआन कहता है किः “वो काफ़िरों पर कठोर और आपस में मेहरबान हैं।” क्या अमल में यह कठोरता दुष्ट ज़ायोनी सरकार के ख़िलाफ़ दिखाई जाती है? आज इस्लामी दुनिया के बड़े दर्द यह हैं।
इमाम ख़ामेनेई
22 फ़रवरी 2024
पश्चिम मे कुछ लोग ज़बान से तो कहते हैं कि इस्राईल क्यों क़त्ले आम कर रहा है। ज़बानी हद तक यह बात कह देते हैं लेकिन अमल में उसका समर्थन करते हैं, हथियार देते हैं, उसकी ज़रूरत का सामान मुहैया कराते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
24 फ़रवरी 2024
ज़ाहिरी तौर पर साफ़ सुथरी पोशाकों में नज़र आने वाले पश्चिमी नेता पागल कुत्ते और ख़ूंख़ार भेड़िए जैसा भीतरी रूप रखते हैं। यही पश्चिमी लिबरल डेमोक्रेसी है। यह न लिबरल हैं और न डेमोक्रेटिक। झूठ बोलते हैं और पाखंड से अपना काम निकालते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
24 फ़रवरी 2024
इंसान को पैग़म्बर, अल्लाह की ओर आने की दावत देने और उसकी ओर बुलाने वालों की हमेशा ज़रूरत है और ये ज़रूरत आज भी बाक़ी है। अल्लाह की ओर बुलाने वालों का यह सिलसिला आज भी टूटा नहीं है और इमाम महदी का पाकीज़ा वजूद जिन पर हमारी जाने क़ुर्बान हों, अल्लाह की ओर बुलाने वालों की आख़िरी कड़ी है।
इमाम ख़ामेनेई
20/9/2005
क्या हम देख रहे हैं कि इस्लामी देशों के शासक और इस्लामी देशों के नेता ग़ज़ा के बारे में क़ुरआन की शिक्षाओं और क़ुरआनी मारेफ़त के मुताबिक़ अमल कर रहे हैं?
इमाम ख़ामेनेई
22 फ़रवरी 2024
जिस रेज़िस्टेंस के सबब #ग़ज़ा में दुश्मन रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ का ख़ात्मा करने की ओर से मायूस हो गया, उसका स्रोत इस्लाम की ताक़त थी। यह हालत है कि अमरीकी व युरोपीय युवा #क़ुरआन पढ़ रहे हैं कि देखें कि क़ुरआन में क्या है कि इस पर अक़ीदा रखने वाले ऐसा #रेज़िस्टेंस करते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
24 फ़रवरी 2024
ये सिर्फ़ शिया नहीं हैं जो इमाम महदी अलैहिस्सलाम के आने का इंतेज़ार कर रहे हैं बल्कि मुक्तिदाता इमाम महदी के इंतेज़ार का अक़ीदा सभी मुसलमानों का अक़ीदा है। दूसरों और शियों में फ़र्क़ यह है कि शिया इस महान हस्ती को उसके नामो-निशान और मुख़्तलिफ़ ख़ुसूसियतों से जानते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
20/5/2005
एक बार इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह से पूछा कि ये जो दुआएं हैं। इनमें आप किस दुआ को ज़्यादा पसंद करते हैं या किस दुआ से ज़्यादा लगाव है? उन्होंने कुछ लम्हें सोचा और फिर जवाब दिया कि दुआए कुमैल और मुनाजाते शाबानिया।
इमाम ख़ामेनेई
ख़ूज़िस्तान प्रांत के 24000 शहीदों के बारे में दूसरी कॉन्फ़्रेंस आयोजित करने वाली कमेटी के सदस्यों ने शनिवार की सुबह इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात की।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने शनिवार की सुबह ख़ूज़िस्तान प्रांत के 24000 शहीदों पर कॉन्फ़्रेंस आयोजित करने वाली कमेटी से मुलाक़ात की।
यह तय है कि इस्लामी दुनिया और आज़ाद सोच रखने वाले ग़ैर मुस्लिम ग़ज़ा के लिए सोगवार हैं। ग़ज़ा के अवाम उन लोगों के अत्याचार का निशाना बने है जिन्हें इंसानियत छूकर भी नहीं गुज़री है।
इमाम ख़ामेनेई
22 फ़रवरी 2024
ख़ूज़िस्तान प्रांत के शहीदों पर राष्ट्रीय सम्मेलन की आयोजक कमेटी ने रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई से मुलाक़ात की। 24 फ़रवरी 2024 को इस मुलाक़ात में आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने ख़ूज़िस्तान प्रांत और शहीदों के विषय पर अहम बिंदुओं को रेखांकित किया।
इस्लामी दुनिया में बहुतों को क़ुरआन से लगाव नहीं है। एक कड़वी सच्चाई है। क्या इस्लामी देशों के नेता ग़ज़ा के बारे में क़ुरआनी हिदायत पर अमल कर रहे हैं? क़ुरआन हमसे कहता है किः "मोमेनीन मोमिनों को छोड़ कर काफ़िरों को दोस्त न बनाएं।" क्या इस आयत पर अमल हो रहा है?
इमाम ख़ामेनेई
22 फ़रवरी 2024
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 22 फ़रवरी 2024 को ईरान में चालीसवें अंतर्राष्ट्रीय क़ुरआन मुक़ाबले के प्रतिभागियों से ख़ेताब में क़ुरआन को मार्गदर्शन और चेतावनी देने वाली किताब क़रार दिया। आपने क़ुरआनी शिक्षाओं के विषय पर बात करते हुए ग़ज़ा और फ़िलिस्तीन के सिलसिले में इन शिक्षाओं पर अमल की मौजूदा स्थिति के बारे में कुछ अहम सवाल किए। (1)
क़ुरआन इंसान के दर्द और पीड़ा का इलाज है। चाहे रूहानी, मनोवैज्ञानिक और वैचारिक पीड़ाएं हों या इंसानी समाजों के दर्द, जंगें, ज़ुल्म, बेइंसाफ़ियां। क़ुरआन इन सब का इलाज है।
इमाम ख़ामेनेई
22 फ़रवरी 2024
क़ुरआन के 40वें अंतर्राष्ट्रीय मुक़ाबलों में भाग लेने वालों और जनता के विभिन्न वर्गों के हज़ारों लोगों ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने ग़ज़ा को इस्लामी जगत का सबसे बड़ा मसला बताते हुए कहा कि इस्लामी जगत, ज़ायोनी नासूर को निश्चित तौर पर ख़त्म होता हुआ देखेगा।
क़ुरआन मार्गदर्शन की किताब है। मार्गदर्शन की सबको ज़रूरत है। क़ुरआन चेतावनी देने वाली किताब है। उन ख़तरों के बारे में चेतावनी जो इंसानों के लिए पेश आने वाले हैं। चाहे इस दुनिया में या बाद की दुनिया में जहां अस्ली ज़िंदगी है।
इमाम ख़ामेनेई
22 फ़रवरी 2024
हम दुश्मन से ग़ाफ़िल न हों, याद रखें कि दुश्मन फ़रेब, मक्कारी, चालाकी और हथकंडों से काम लेता है। दुशमन को कमज़ोर और बेबस न समझें।
इमाम ख़ामेनेई
18 फ़रवरी 2024
अल्लाह, हज़रत अली अकबर के सदक़े में आप नौजवानों की रक्षा करे इंशाअल्लाह आपको इस्लाम के लिए बचाए रखे और साबित क़दम रखे। नौजवान ध्यान दें कि वो सीधे रास्ते को पहचान सकते हैं।
फ़तह की अहम शर्त यह है कि हम दुश्मन और उसकी ताक़त से वाक़िफ़ हों लेकिन उससे डरें नहीं! अगर आप डरे तो हार गए। दुश्मन की धमकियों, चीख़ पुकार और दबाव से डरना नहीं चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
18 फ़रवरी 2024
चुनाव इस्लामी लोकतांत्रिक व्यवस्था का अहम स्तंभ और देश के सुधार का ज़रिया है। जो लोग समस्याओं के समाधान की फ़िक्र में हैं उन्हें चाहिए कि चुनाव पर ध्यान दें।
इमाम ख़ामेनेई
18 फ़रवरी 2024
आयतुल्लाह ख़ामेनेई अपनी पत्नी के बारे में: "उन्होंने मुझसे कभी भी लेबास ख़रीदने के लिए नहीं कहा। उन्होंने कभी अपने लिए कोई ज़ेवर नहीं ख़रीदा। उनके पास कुछ ज़ेवर थे जो वो अपने पिता के घर से लायी थीं या कुछ रिश्तेदारों ने तोहफ़े में दिए थे। उन्होंने वो सारे ज़ेवर बेच दिए और उससे मिलने वाले पैसों को अल्लाह की राह में ख़र्च कर दिया। इस वक़्त उनके पास सोना और ज़ेवर के नाम पर कुछ भी नहीं है, यहाँ तक कि एक मामूली सी अंगूठी भी नहीं है।" सैयद हसन नसरुल्लाहः “जब यह किताब मेरे पास पहुंची तो मैंने उसी रात इसे पढ़ डाला।”
11 फ़रवरी को इस्लामी इंक़ेलाब की सालगिरह के जुलूसों में भरपूर शिरकत पर ईरान के अवाम का शुक्रिया अदा करता हूं। अवाम ने अपने जोश व जज़्बे का प्रदर्शन किया। जो ईरानी क़ौम की हताशा की आस में थे चकित रह गए।
इमाम ख़ामेनेई
18 फ़रवरी 2024
तबरेज़ के अवाम के 18 फ़रवरी 1978 के ऐतिहासिक आंदोलन की सालगिरह के मौक़े पर पूर्वी आज़रबाइजान प्रांत के हज़ारों लोगों ने रविवार 18 फ़रवरी 2024 की सुबह इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात की।
तबरेज़ के 18 फ़रवरी 1978 के ऐतिहासिक आंदोलन की सालगिरह पर पूर्वी आज़रबाइजान प्रांत के हज़ारों लोगों ने आज रविवार की सुबह इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
ईरान के शहर तबरेज़ के अवाम के 18 फ़रवरी सन 1978 के ऐतिहासिक आंदोलन की वर्षगांठ पर पूर्वी आज़रबाईजान प्रांत के हज़ारों लोगों ने रविवार की सुबह इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात की।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने तबरेज़ के अवाम के 18 फ़रवरी 1978 के ऐतिहासिक आंदोलन की सालगिरह पर पूर्वी आज़रबाइजान प्रांत से आने वाले हज़ारों लोगों से इमाम ख़ुमैनी इमाम बारगाह में खेताब किया। 18 फ़रवरी 2024 को अपनी इस तक़रीर में आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने ऐतिहासिक आंदोलन के बारे में बात की। आपने इस्लामी इंक़ेलाब की उपलब्धियों को बयान किया और 1 मार्च 2024 को संसद और विशेषज्ञ असेंबली के चुनावों के बारे में कुछ निर्देश दिए। (1)
पैग़म्बरे इस्लाम की ‘बेसत’ (पैग़म्बरी के एलान) की सालगिरह के मौक़े पर मुल्क के ओहदेदारों, इस्लामी देशों के राजदूतों, प्रतिनिधियों और समाज के अलग अलग वर्गों के लोगों ने इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से 8 फ़रवरी 2024 को इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मुलाक़ात की।
इस मौक़े पर अपने ख़ेताब में आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने ‘बेसत’ के बारे में महत्वपूर्ण बिंदु बयान किए। उन्होंने फ़िलिस्तीन और ग़ज़ा की जंग के बारे में बात की। (1)
7 अक्तूबर 2023 को अलअक़्सा फ़्लड ऑप्रेशन शुरू होते ही यमन के लोगों ने मुख़्तलिफ़ तरह से फ़िलिस्तीनी अवाम का समर्थन और इस्राईल विरोधी प्रतिरोध का सपोर्ट करने का एलान किया और ज़ायोनियों के हाथों ग़ज़ा में फ़िलिस्तीनियों के क़त्ले आम के बाद वो सीधे तौर पर ज़ायोनियों के ख़िलाफ़ जंग के मैदान में उतर गए। उन्होंने मक़बूज़ा फ़िलिस्तीनी इलाक़ों में ज़ायोनी ठिकानों पर हमला करके और इसी तरह ज़ायोनी शासन की आर्थिक नसों को काट कर, इस क़ाबिज़ शासन और उसके समर्थकों पर ज़बर्दस्त दबाव डाला।