धर्मगुरू हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन सैयद मोहम्मद बाक़िर तबातबाई नेजाद ने मजलिस पढ़ी। उन्होंने हज़रत फ़ातेमा ज़हरा की सीरत अख़्तियार करने को दुश्मन की शैलियों की पहचान के लिए ज़रूरी बताया और मुख़्तलिफ़ समाजों पर वर्चस्व जमाने की वर्चस्ववादियों की शैलियों की व्याख्या की।

इस मजलिस में जनाब महदी रसूली ने हज़रत ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा का मर्सिया पढ़ा।