हमारी सरज़मीन में इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के पाक रौज़े के वजूद और पूरे मुल्क और हमारे अवाम के दिलों में उनके आध्यात्मिक वजूद की बरकत पूरी तरह स्पष्ट है। आठवें इमाम अलैहिस्सलाम आध्यात्मिक, वैचारिक और भौतिक लेहाज़ से हमारी क़ौम के सरपरस्त हैं।
इमाम ख़ामेनेई
15/03/2003
रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने आज रात, इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की शबे-विलादत की मुनासेबत से मुलाक़ात के लिए आने वाले पासदाराने इंक़ेलाब के सदस्यों के परिवारों से मुलाक़ात में राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी और उनके साथ लोगों को पेश आने वाली दुर्घटना पर गहरा दुख ज़ाहिर किया।
मुल्क की सुरक्षा भी, सरहदों की सुरक्षा भी, मुल्क की सतह के दूसरे काम भी जो कार्यपालिका के ज़रिए अंजाम पाते हैं, सही तरीक़े से अंजाम पाएंगे। लोग चिंतित न हों, घबराएं नहीं, इंशाअल्लाह राष्ट्रपति, जनता के बीच लौट आएंगे।
यक़ीनी तौर पर इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के पाक रौज़े की सेवा अगर उस तरह अंजाम पाए जिस तरह उसे अंजाम पाना चाहिए तो, सबसे बड़े मूल्यों और सबसे बड़े सम्मान में से है और आज यह चीज़ मुमकिन और मौजूद है। मुझे भी इस बात पर फ़ख़्र है कि मैं अमल में न सही नाम ही के लिए सही आप लोगों के समूह में शामिल हूं और मुझे इस पाक रौज़े में सेवा करने का सम्मान हासिल है। यह बात मैं आप लोगों से इसलिए कह रहा हूं कि हमारा दिल भी वहीं है जहाँ रहने का शरफ़ आपको हमेशा हासिल है और क्या क़िसमत है आपकी! हक़ीक़त में मेरे लिए सबसे मीठे लम्हें वो हैं जब मैं इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की ज़ियारत का सौभाग्य पाता हूं।
इमाम ख़ामेनेई
8/12/1988
हमारी सरज़मीन में इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के पाक रौज़े के वजूद और पूरे मुल्क और हमारे अवाम के दिलों में उनके आध्यात्मिक वजूद की बरकत पूरी तरह स्पष्ट है। आठवें इमाम अलैहिस्सलाम आध्यात्मिक, वैचारिक और भौतिक लेहाज़ से हमारी क़ौम के सरपरस्त हैं।
इमाम ख़ामेनेई
15/03/2003
"फ़िलिस्तीन" नामक किताब फ़िलिस्तीन के बारे में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के वर्णन और समीक्षा पर आधारित बयानों और उनकी ओर से पेश किए गए हल का संग्रह है। फ़िलिस्तीन के मसले में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के विचारों की अहमियत और निर्णायक हैसियत सहित इस वक़्त के ख़ास हालात के मद्देनज़र इस किताब के अरबी, अंग्रेज़ी, रूसी, तुर्की इस्तांबोली और दूसरी ज़बानों में अनुवाद प्रकाशित हुए हैं।
हमें यक़ीन है कि फ़िलिस्तीन के मुसलमान अवाम की जद्दोजेहद और इस्लामी दुनिया की ओर से उनका सपोर्ट जारी रहने से अल्लाह के करम से फ़िलिस्तीन आज़ाद होगा और बैतुल मुक़द्दस, मस्जिदुल अक़सा और इस सरज़मीन के दूसरे पवित्र स्थल इस्लामी दुनिया की आग़ोश में वापस आ जाएंगे, इंशाअल्लाह। और अल्लाह तो हर काम पर पूर्ण सामर्थ्य रखता है।
इमाम ख़ामेनेई
24 अप्रैल 2001
अगर बड़ी ताक़तों का बस चले तो वो समुद्र को भी अपने नाम लिखवा लें और दूसरों का रास्ता रोक दें। इंसानियत से संबंधित आम मामलों को अपने एकाधिकार में लेना बड़ी ताक़तों के स्वभाव में है, अमरीका का स्वभाव है। आपने उसे तोड़ दिया। आपके काम (ईरानी नौसेना के फ़्लोटिला का दुनिया का चक्कर लगाने के मिशन) का एक स्पष्ट नतीजा यह था कि आपने दिखा दिया कि महासागरों पर सबका हक़ है और यह जो कहा जाता है कि "हम नौसैनिक जहाज़ को फ़ुलां खाड़ी से गुज़रने नहीं देंगे" सिर्फ़ बड़बोलापन है।
इमाम ख़ामेनेई
06/08/2023
(ईरानी नौसेना के फ़्लोटिला की दुनिया का चक्कर लगाकर कामयाब वापसी पर तक़रीर)
आयतुल्लाह ख़ामेनेईः मैं चाहता हूं कि किताब पढ़ने का ज़्यादा से ज़्यादा चलन हो क्योंकि मेरा मानना है कि हम किताब के मोहताज हैं, मुख़्तलिफ़ मैदानों के सभी लोगों, मुख़्तलिफ़ उम्र और अलग अलग इल्मी सतह के सभी लोगों को किताब पढ़ने की ज़रूरत है और सही मानी में कोई भी चीज़ किताब की जगह नहीं ले सकती।
आज कल मसरूफ़ रखने वाली चीज़ों जैसे साइबर स्पेस, सोशल मीडिया और इसी तरह की दूसरी चीज़ों ने किताब की जगह ले ली है, यह अच्छी बात नहीं है। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि लोग साइबर स्पेस और सोशल मीडिया को न देखें या अख़बार न पढ़ें। पढ़ें! लेकिन इन चीज़ों को किताब की जगह नहीं लेनी चाहिए।
तेहरान के पैंतीसवें इंटरनैशनल बुक फ़ेयर के मुआइने के दौरान ईरान के राष्ट्रीय ब्रॉडकास्टिंग विभाग के रिपोर्टर को दिए गए इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के इंटरव्यू का एक हिस्सा
13/05/2024
ग़ज़ा में पश्चिमी सभ्यता बेनक़ाब हो गई... 30 हज़ार लोग ज़ायोनी सरकार के हाथों मारे जाते हैं, ये लोग अपनी आँखें बंद कर लेते हैं, जैसे कुछ हुआ ही न हो! इनमें से कुछ तो मदद भी करते हैं, हथियार देते हैं... यह पश्चिम की लिबरल डेमोक्रेसी है, यह न तो लिबरल हैं और न ही डेमोक्रेट, ये झूठ बोलते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
24/02/2024
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने तेहरान इंटरनैशनल बुक फ़ेयर का तीन घंटे मुआइना किया और किताबों के मुख़्तलिफ़ स्टालों पर गए, किताबें भी देखीं और स्टाल के मालिकों से बातचीत भी की।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने तेहरान इंटरनैशनल बुक फ़ेयर का मुआइना करने के बाद, संबंधित विभाग को किताबों का प्रकाशन बढ़ाने पर ताकीद की।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने तेहरान के इमाम ख़ुमैनी मुसल्ला काम्पलेक्स में आयोजित बुक फ़ेयर का सोमवार की सुबह मुआइना किया। यह 35वां अंतर्राष्ट्रीय किताब मेला है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने सोमवार 13 मई 2024 की सुबह तेहरान में किताबों के अंतर्राष्ट्रीय मेले में पहुंच कर किताबों के मुख़्तलिफ़ स्टालों का तीन घंटे तक मुआइना किया।
ज़ीक़ादा महीने के रविवार के दिन तौबा व इस्तेग़फ़ार के दिन हैं और इस दिन (ज़ीक़ादा महीने के हर रविवार) का विशेष अमल है। महान धर्मगुरू व आत्मज्ञानी अलहाज मीर्ज़ा जवाद आक़ाए मलेकी ने अलमुराक़ेबात में पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि व आलेही वसल्लम के हवाले से नक़्ल किया है कि उन्होंने अपने साथियों से फ़रमायाः तुम लोगों में कौन कौन तौबा करना चाहता है? सभी ने कहा कि हम तौबा करना चाहते हैं। बज़ाहिर वह ज़ीक़ादा का महीना था। इस रवायत के मुताबिक़, पैग़म्बरे इस्लाम ने फ़रमाया कि इस महीने में आने वाले हर रविवार को यह नमाज़ पढ़ो।
अरमुराक़ेबात में इस नमाज़ की तफ़सील बयान की गयी है। कुल मिलाकर यह कि ज़ीक़ादा महीने के दिन, जो 'हराम महीनों' में पहला महीना है, बड़े मुबारक और बर्कत वाले दिन व रात हैं, बर्कतों से भरे हुए हैं। इनसे फ़ायदा उठाना चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
09/09/2015
नमाज़ पढ़ने का तरीक़ा
• ग़ुस्ल और वज़ू करे
• दो दो रकत करके चार रकत नमाज़ पढ़े। हर रकत में सूरए हम्द के बाद तीन बार सूरए तौहीद और एक एक बार सूरफ़ फ़लक़ और नास पढ़े।
• सलाम के बाद 70 बार इस्तेग़फ़ार करे। फिर कहेः "ला हौला वला क़ुव्वता इल्ला बिल्लाहिल अलीयिल अज़ीम" इसके बाद कहे "या अज़ीज़ो या ग़फ़्फ़ारो इग़फ़िर ली ज़ुनूबी व ज़ुनूबा जमीइल मोमेनीना वल मोमेनाते फ़इन्नहू ला यग़फ़ेरुज़्ज़ुनूबा इल्ला अंत"
स्रोतः मरहूम अलहाज मीर्ज़ा जवाद आक़ाए मलिकी की किताब अलमुराक़ेबात
इस्लामी इंक़ेलाब इंस्टीट्यूट के अंतर्राष्ट्रीय विभाग की कोशिशों से तेहरान में अंतर्राष्ट्रीय बुक फ़ेयर में “फ़िलिस्तीन” किताब का उर्दू और कुर्दी संस्करण रिलीज़ हुआ।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने शुक्रवार की सुबह बारहवीं संसद के दूसरे चरण के चुनाव के लिए तेहरान में मतदान का आग़ाज़ होते ही इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में अपना वोट डाला।
चुनाव, मैदान में अवाम की मौजूदगी की निशानी और अवाम के इरादे व निर्णय का चिन्ह है। इसलिए हर उस इंसान का क़ौमी फ़रीज़ा है कि चुनाव में शरीक हो जो चाहता है कि मुल्क तरक़्क़ी करे काम करे और बड़े लक्ष्य तक पहुंचे।
इस्लाम के सबसे ख़ूबसूरत आध्यात्मिक दृष्यों में से एक, मस्जिदुन नबी में क़ुरआन की तिलावत है, मस्जिद और क़ुरआन एक साथ, काबा और क़ुरआन एक साथ, यह बहुत ही सुंदर संगम है।
हज़रत इब्राहीम का उन काफ़िरों के बारे में जो दुश्मनी नहीं करते यह पक्ष है कि उनसे अच्छा बर्ताव किया जाए। मगर एक जगह वो उनसे बेज़ारी का एलान करते हैं जो क़ातिल हैं और लोगों को उनके घर व वतन से बेदख़ल करते हैं। इसका उदाहरण आज कौन है? ज़ायोनी, अमरीका और उनके मददगार।
हज़रत इब्राहीम ने जो शिक्षाएं हमें दी हैं उनके मुताबिक़ इस साल का हज बेज़ारी के एलान का हज है। पश्चिमी कल्चर से निकलने वाले ख़ूंख़ार वजूद से बेज़ारी का एलान जिसने ग़ज़ा में अपराध किए।
ग़ौर कीजिए कि अमरीकी, इस्राईल का ज़बानी विरोध किए जाने पर क्या कार्यवाही कर रहे हैं?! अमरीकी स्टूडेंट्स के साथ इस तरह का सुलूक किया जा रहा है। यह वाक़या अमली तौर पर यह दिखाता है कि ग़ज़ा में नस्लीय सफ़ाए के बड़े अपराध में अमरीका, ज़ायोनी हुकूमत का शरीके जुर्म है।
इमाम ख़ामेनेई
1/5/2024
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने हज के लिए क़ाफ़िलों के रवाना होने से कुछ दिन पहले सोमवार की सुबह, हज संस्था के प्रबंधकों और कुछ हाजियों से मुलाक़ात की।
अगर अमरीका की मदद न होती तो क्या ज़ायोनी सरकार में इतनी ताक़त थी, हिम्मत थी कि मुसलमान मर्दों, औरतों और बच्चों के साथ उस छोटे से इलाक़े में ऐसा बर्बरतापूर्ण व्यवहार करे?
हज़रत इब्राहीम की शिक्षाओं की बुनियाद पर इस साल का हज ख़ास तौर पर बराअत का हज है, क्योंकि एक तरफ़ ख़ूंख़ार ज़ायोनी है तो दूसरी ओर ग़ज़ा के मुसलमान अवाम का इतनी मज़लूमियत के साथ प्रतिरोध है।