बरसों से पश्चिमी जगत ने मुसलमान औरतों की ऐसी छवि पेश की है जो पश्चिमी सरकारों के वैचारिक और भूराजनैतिक लक्ष्यों से प्रभावित रही है। इस छवि के तहत मुसलमान औरतों को एक असहाय, मज़लूम और बिना पहचान वाली औरत के तौर पर पेश किया जाता है जो मर्दों के प्रभुत्व वाले सिस्टम की जेल में और धार्मिक आस्था की बेड़ियों में क़ैद है।
बेसत दिवस पर पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम पर 28 जनवरी 2025 को मुल्क के अधिकारियों, इस्लामी मुल्कों के राजदूतों और समाज के विभिन्न वर्ग के लोगों से मुलाक़ात में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने अपने ख़ेताब में पैग़म्बरे इस्लाम की बेसत को इंसानियत के अज़ीम वाक़यों में से एक क़रार दिया और मौजूदा हालात के मद्देनज़र कुछ बिंदुओं का उल्लेख किया।
आज सारे सियासी व दुनियावी समीकरण दक्षिणी लेबनान के मोमिन व मुख़लिस अवाम के हाथों ध्वस्त हो गए जो क़ाबिज़ ज़ायोनी सेना को धता बताते हुए बलिदान के जज़्बे और अल्लाह के वादे पर यक़ीन के साथ जान हथेली पर रख कर मैदान में आ गए।
इमाम ख़ामेनेई
काशान प्रांत के शहीदों पर कान्फ़्रेंस के आयोजकों ने 27 जनवरी 2025 को रहबरे इंक़ेलाब से मुलाक़ात की। आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने इस मुलाक़ात में तक़रीर करते हुए काशान की बेहद अहम ख़ासियतों का ज़िक्र किया और कुछ हिदायात दीं। (1)
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने 22 जवनरी 2025 को निजी सेक्टर में सरगर्म उद्योगपतियों और प्रभावी लोगों से मुलाक़ात में निजी क्षेत्र की निर्णायक अहमियत पर प्रकाश डाला। साथ ही ग़ज़ा जंग और इस्लामी गणराज्य ईरान से संबंधित कुछ बिन्दु पेश किए। (1)
ज़ालिम व निर्दयी ज़ायोनी सरकार, हमास के साथ जिसे वह ख़त्म करना चाहती थी, वार्ता की मेज़ पर बैठी है।और युद्ध विराम पर अमल के लिए उसकी शर्तें मान चुकी है। यह जो हम कहते हैं कि रेज़िस्टेंस ज़िंदा है, इसका अर्थ यह है।
रीगन ने इसी ख़याल से कि ईरान कमज़ोर हो गया है, सद्दाम शासन की इतनी ज़्यादा मदद की। वह भी और दसियों दूसरे ख़याली पुलाव पकाने वाले नरक में पहुंच गए, इस्लामी सरकार दिन ब दिन आगे बढ़ती गयी।
मुल्क में प्राइवेट सेक्टर के कुछ उद्योगपतियों और सरगर्म लोगों ने बुधवार 22 जनवरी 2025 की सुबह इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में, इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने बुधवार को सुबह मुल्क के उद्योगपतियों और आर्थिक क्षेत्र में सक्रिय लोगों से मुलाक़ात की। उन्होंने इस मुलाक़ात में ग़ज़ा में संघर्ष विराम और कामयाबी को रेज़िस्टेंस के ज़िंदा होने और ज़िंदा बाक़ी रहने की भविष्यवाणी के व्यवहारिक होने की खुली निशानी बताया।
ब्रिक्स (BRICS) के वित्तीय सिस्टम से सदस्य देशों की मुद्राओं से जो लेन-देन होना तय है, अगर उस पर गंभीरता से काम किया गया तो निश्चित तौर पर यह बहुत मदद करेगा।
"अवाम की भागीदारी से उत्पादन में छलांग" के नारे वाले मौजूदा हिजरी शम्सी साल में प्राइवेट सेक्टर की उपलब्धियों और क्षमताओं को सार्वजनिक स्तर पर पेश करने के लिए मंगलवार 21 जनवरी 2025 को "तरक़्क़ी के ध्वजवाहक" के नाम से तेहरान में एक नुमाइश का आयोजन हुआ है। इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इस नुमाइश का मुआयना किया।
प्राइवेट सेक्टर की उपलब्धियों और क्षमताओं की नुमाइश में इस्लामी इंक़ेलाब के नेताः
शहीद राज़ीनी और शहीद मुक़ीसा को अल्लाह के दुश्मनों के हाथों, अल्लाह की राह में शहीद होने का बदला मिला। जो लोग दुनिया से शहीद जाते हैं उन्हें हक़ीक़त में अल्लाह के पास से बदला मिलता है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से क़ुम के अवाम की मुलाक़ात जो बुधवार 8 जनवरी 2025 को हुयी, क़ुम के लोगों के निर्णायक आंदोलन की बरसी के उपलक्ष्य में थी। इस मौक़े पर आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने इस आंदोलन की क़द्रदानी करने के साथ ही, नीतियों और समीक्षा का एक ख़ाका पेश किया जो रोडमैप के समान था और वाक़यात की गहरी समीक्षा का तरीक़ा बताने वाला था।
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने रविवार 19 जनवरी 2025 की रात में ईरान के 2 बड़े अहम जजों हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन अलहाज शैख़ अली राज़ीनी और आक़ाए अलहाज शैख़ मोहम्मद मोक़ीसा की नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई। न्यायपालिका के इन दोनों बहादुर जजों को शनिवार को उनके कार्यालय में शहीद कर दिया गया।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेताआयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने रविवार 19 जनवरी 2025 की रात में ईरान के 2 बड़े अहम जजों हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन अलहाज शैख़ अली राज़ीनी और आक़ाए अलहाज शैख़ मोहम्मद मोक़ीसा की नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई।
न्यायपालिका के दो बड़े अहम जजों की शहादत पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने एक सांत्वना संदेश जारी किया है, जो इस प्रकार हैः
अमीरुल मोमेनीन की हस्ती को शिया-सुन्नी और इस्लामी मतों के बीच मतभेद की बुनियाद न बनाइये। अमीरुल मोमेनीन की हस्ती एकता का बिंदु है न कि फूट का।
इमाम ख़ामेनेई
5 नवम्बर 2004
अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम की शख़्सियत के ख़ुबसूरत पहलुओं में से एक, इंसाफ़ है। उनकी ज़िंदगी और बातों में इंसाफ़ इतनी अहमियत रखता है कि अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम की पूरी हुकूमत पर इसका प्रभाव पड़ा है।
इमाम ख़ामेनेई
7 जनवरी 1993
अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम सत्ता, हुकूमत और शासन के पूरे दौर में जो अल्लाह ने उनके अख़्तियार में दिया, समाज के सबसे कमज़ोर वर्ग की चिंता में लगे रहे...ग़रीब के घर जाते हैं, यतीम बच्चे को अपने हाथ से खाना खिलाते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
27 दिसम्बर 1992
पश्चिमी पूंजीवाद किस तरह अफ़्रीक़ा महाद्वीप में पारिवारिक सिस्टम को तबाह करने और वहाँ अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश में लगा है। इस बारे में एक लेख पेश है।
अमीरुल मोमेनीन का राजनैतिक व्यवहार उनके आध्यात्मिक और अख़लाक़ी व्यवहार से अलग नहीं है; अमीरुल मोमेनीन की नीति में अध्यात्म और अख़लाक़ शामिल है, हक़ीक़त में उसका स्रोत हज़रत अली का अध्यात्म और उनका अख़लाक़ है।
इमाम ख़ामेनेई
11 सितम्बर 2009
कुछ लोग कहते हैं कि जनाब आप अमरीका के साथ न तो वार्ता के लिए तैयार हैं और नहीं संपर्क क़ायम करना चाहते हैं, योरोपीय देशों के साथ जबकि वे भी अमरीका की ही तरह हैं, क्या अंतर है, क्यों संपर्क बना रखा है? नहीं! फ़र्क़ है।
इंक़ेलाब से पहले अमरीका की पसंद यह थी कि ईरान उसका ग़ुलाम रहे, अमरीकी और ज़ायोनी हितों की हिफ़ाज़त करे। वे ईरान के लिए यह आरज़ू रखते थे, आज भी उनकी यही तमन्ना है। कार्टर अपनी यह आरज़ू लेकर क़ब्र में पहुंच गए और यह लोग भी अपनी यह आरज़ू क़ब्र में ले जाएंगे।
जो लोग भी सांस्कृतिक मसलों में, हेजाब के मसले वग़ैरह में फ़ैसला ले रहे हैं, उनका इस बात की ओर ध्यान रहे कि अमरीका और ज़ायोनियों के स्टैंड को अहमियत न दें, देश के हितों को मद्देनज़र रखें, इस्लामी गणराज्य के हितों को मद्देनज़र रखें।
क़ुम के ऐतिहासिक आंदोलन की सालगिरह पर बुधवार 8 जनवरी 2025 को हज़ारों लोगों ने तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात की।
पहलवी दौर का ईरान, अमरीकी हितों का मज़बूत क़िला था। इस क़िले के गर्भ से इंक़ेलाब निकला और फैल गया। अमरीकी समझ नहीं पाए, अमरीकी धोखा खा गए, अमरीकी सोते रह गए, अमरीकी ग़ाफ़िल थे, अमरीका की अंदाज़े की ग़लती का मतलब यह है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेताःहम अमरीका से वार्ता क्यों नहीं करते
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने आज बुधावर की सुबह, 9 जनवरी 1978 के क़ुम के अवाम के आंदोलन की सालगिरह पर इस शहर के लोगों से मुलाक़ात की। इस मुलाक़ात में उन्होंने ईरानी क़ौम के संबंध में अमरीका के 46 साल से जारी ग़लत अंदाज़े और नीतियों को, क़ुम के ऐतिहासिक आंदोलन की समीक्षा में अमरीका के उसी ग़लत अंदाज़े का जारी रहने वाला एक सिलसिला बताया।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बुधवार 8 जनवरी 2025 की शाम को इराक़ी प्रधानमंत्री मोहम्मद शियाअ अस्सूदानी से मुलाक़ात में मुल्क के निर्माण और सुरक्षा के क्षेत्र में उनके द्वारा उठाए गए अच्छे क़दम की सराहना करते हुए कहा कि इराक़ जितना विकसित और जितना ज़्यादा सुरक्षित व शांतिपूर्ण होगा, इस्लामी गणराज्य ईरान के हित में उतना ही बेहतर है।
आज बुनियादी काम, हमारे प्रचारिक तंत्र का अहम काम साइबर स्पेस पर हमारे सरगर्म लोगों का बुनियादी काम यह है कि दुश्मन की ताक़त के भ्रम को चकनाचूर कर दें, जनमत पर दुश्मन के प्रचार का असर न होने दें।
क़ुम के अवाम ने 9 जनवरी 1978 को ऐतिहासिक आंदोलन किया जिसका ईरान के इस्लामी इंक़ेलाब की कामयाबी में अहम रोल रहा। इसी संबंध में 8 जनवरी 2025 को क़ुम के लोगों ने हज़ारों की तादाद में तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई से मुलाक़ात की और आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने अहम तक़रीर की।
यहया इब्राहीम हसन सिनवार की दास्तान, सिर्फ़ एक इंसान की दास्तान नहीं है। यह नाजायज़ क़ब्ज़े के ख़िलाफ़ संघर्ष, प्रतिरोध और एक लड़ाई की दास्तान है जिसका दशकों से प्रभाव न सिर्फ़ पश्चिमी एशिया के इलाक़े बल्कि दुनिया पर पड़ा है। उन्होंने हिब्रू ज़बान भी सीखी, वह अपनी क़ौम और अपनी सरज़मीन के दुश्मनों को पहचानते थे और उनके आस-पास के लोग उनका सम्मान भी करते थे।
आज अमरीका सीरिया में छावनियां बनाने में जुटा हुआ है, लेकिन यह छावनियां निश्चित तौर पर सीरिया की जवान नस्ल के पैरों तले रौंदी जाएगी।
इमाम ख़ामेनेई
1 जनवरी 2025