सारी ताक़त पर उसका कंट्रोल है। जहाँ अल्लाह इरादा कर लेता है वहाँ दुनिया की मज़बूत ताक़तें भी अपने काम अंजाम नहीं दे पातीं। अमरीका, ईरान में दाख़िल होना चाहता है, तबस में उस पर मुसीबत आ जाती है हालांकि उसके पास ज़ाहिरी ताक़त थी। इस वक़्त भी साम्राज्यवादी ताक़तें, बड़े ज़ायोनी और पूंजीपति, एक इस्लामी सरकार से बुरी तरह भयभीत हैं। कोशिश कर रहे हैं कि उसे ख़त्म कर दें लेकिन वे ऐसा नहीं कर पाए हैं जबकि ज़ाहिरी तौर पर उनके पास सब कुछ है। जब अल्लाह इरादा करता है कि उसकी ताक़त असर न कर पाए तो वह असर नहीं करती। कभी अल्लाह का इरादा यह होता है कि वह ताक़त असर करे, तो असर करती है। मोमिन और एकेश्वरवादी इंसान, ताक़त को सिर्फ़ और सिर्फ़ अल्लाह से विशेष समझता है।
इमाम ख़ामेनेई
24 अप्रैल 1991