इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने 11 मार्च 2021 को हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम की पैग़म्बरी की घोषणा की वर्षगांठ के मौक़े पर टीवी पर अपने संबोधन में यमन की मज़लूम जनता पर सऊदी अरब की बमबारी और इस ग़रीब देश के आर्थिक घेराव में अमरीकी सरकार की भागीदारी का ज़िक्र किया और इस बारे में संयुक्त राष्ट्र संघ के रवैये की कड़ी निंदा की।
8 फ़रवरी 2021 को रूस के राष्ट्रपति विलादिमीर पुतीन के नाम इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई का संदेश, ईरान के संसद सभापति मुहम्मद बाक़िर क़ालीबाफ़ के माध्यम से रूस के संसद सभापति और पुतीन के विशेष प्रतिनिधि के हवाले किया गया।
KHAMENEI.IR ने इस बारे में वर्तमान विदेश मंत्री और अंतर्राष्ट्रीय मामलों में ईरानी स्पीकर के तत्कालीन विशेष प्रतिनिधि हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान से बातचीत का सारांश पेश कर रही है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने 8 जनवरी 2021 को टीवी पर अपने एक संबोधन में परमाणु समझौते (JCPOA) के बारे में ईरान के रवैये और इस सिलसिले में अमरीका की ज़िम्मेदारियों के बारे में कहाः “परमाणु समझौते में अमरीका की वापसी पर हमारा कोई आग्रह नहीं है, बुनियादी तौर पर यह हमारी यह समस्या ही नहीं है कि अमरीका JCPOA में वापस लौटे या न लौटे। हमारी जो तर्कसंगत मांग है, वह प्रतिबंधों की समाप्ति की है जो ईरानी राष्ट्र का छीना गया हक़ है।“ ये जुमले इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता के संबोधन के अंत में कहे गए और उन्होंने इसे इस्लामी गणराज्य ईरान की अंतिम बात क़रार दिया।
पैग़म्बरे इस्लाम का उठना बैठना ग़ुलामों के साथ रहता था। उनके साथ खाना खाते थे। बहुत मामूली कपड़े पहनते थे। जो खाना मौजूद होता वही खाते, किसी भी खाने को नापसंद नहीं करते थे। पूरे मानव इतिहास में यह विशेषताएं बेजोड़ हैं।
इमाम ख़ामेनई
Sept 27, 1991
अल्लाह ने पैग़म्बरे इस्लाम को ‘रहमतुल लिलआलमीन’ का लक़ब दिया। इंसानों के किसी एक गिरोह के लिए नहीं, किसी एक समूह के लिए नहीं बल्कि सारी कायनात के लिए रहमत हैं। वह सब के लिए रहमत हैं। पैग़म्बर जो पैग़ाम अल्लाह की तरफ़ से लेकर आए उसे आपने सारी इंसानियत को प्रदान किया।
इमाम ख़ामेनई
Dec 17, 2016
इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की उम्र लगभग 55 साल है। 55 साल की इस उम्र में लगभग 20 साल का समय उनकी इमामत का समय है। जब हज़रत की इमामत का दौर ख़त्म हुआ और आपको शहीद कर दिया गया तो अगर आप उस वक़्त के हालात देखिए तो महसूस करेंगे कि अहले बैते रूसूल से मुहब्बत का सिलसिला इस्लामी जगत में इस व्यापकता और गहराई के साथ फैल चुका था कि ज़ालिम अब्बासी सल्तनत उस पर क़ाबू पाने में नाकाम थी। यह कारनामा इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम ने अंजाम दिया।
इमाम ख़ामेनई
Sept 17, 2013
पैग़म्बरों को उन समाजों में भेजा गया जहां अज्ञानता का अंधेरा था। पैग़म्बरों का मक़सद था अज्ञानता की व्यवस्था को ख़त्म करके तौहीद (एकेश्वरवाद) पर आधारित बराबरी की व्यवस्था स्थापित करना, ग़रीबी और घमंड को मिटाना। वह मानवीय प्रतिष्ठा बहाल करने के लिए आए।
इमाम ख़ामेनई
Dec 31, 1976
ये आंसू, एक साथ बैठना, मुसीबत का ज़िक्र, इस मोहर्रम और आशूर का हमारी जनता के जीवन पर असर पड़ता है। शिया विरोधी कुछ समाजों की नीरसता व निर्जीवता - अफ़सोस कि कुछ हुकूमतें अपनी जनता को ग़ैर शिया नहीं बल्कि शिया विरोधी बनाती हैं - ईश्वर की कृपा से हमारे समाज में नहीं है। हमारा समाज लचक, भावना, नर्मी और स्नेह व प्यार वाला समाज है।
सुप्रीम लीडर
18 मई 1995
जनरल हेजाज़ी ने दिसंबर 2020 में एक बातचीत का हवाला दिया जिसमें जनरल क़ासिम सुलैमानी की शख़्सियत का एक ख़ास पहलू सामने आया जिसे आम तौर पर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है। वह है उनकी संवाद की क़ाबिलियत।
शाह के काल में क़ुरआन और उसकी व्याख्या की क्लास में जो नौजवान आया करते थे, मैं उनसे कहा करता था कि अपनी जेब में एक क़ुरआन रखा कीजिए, जब भी वक़्त मिले या किसी काम के इंतेज़ार में रुकना हो तो एक मिनट, दो मिनट, आधा घंटे क़ुरआन खोलिए और तिलावत कीजिए ताकि इस किताब से लगाव हो जाए।
मैं कई बार इस बात का ज़िक्र कर चुका हूं कि अमरीका जो भी फ़ाइटर जेट और दूसरे साधन बेचता था, उनके बारे में यह शर्त लगाता था कि किसी भी तरह की मरम्मत और रिपेयरिंग ख़ुद अमरीकी करेंगे, हमें पुर्ज़ों को हाथ लगाने की इजाज़त नहीं थी।
किताब तालीम ए अहकाम सही तरीक़े से इबादत अंजाम देने और हलाल व हराम की पहिचान के लिए आसान ज़बान में तहरीर की गई है। यह आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई के फ़तवों और फ़िक़ही विचारों पर आधारित है।
आयतुल्लाह ख़ामेनई को दुनिया के जिन देशों से लगाव है उनमें हिंदुस्तान भी है। अलग अलग अवसरों पर वह भारत और वहां बसने वालों के बारे में अपने नज़रियात बयान करते रहे हैं।
इस्लामी क्रान्ति की सफलता की दूसरी सालगिरह पर ईरान की इस्लामी प्रचार की सुप्रीम काउंसिल के फ़ैसले के मुताबिक़, इस्लामी गणराज्य से दुनिया के अनेक देशों के लिए प्रतिनिधिमंडल भेजे गए ताकि वे दूसरे राष्ट्रों ख़ास तौर पर मुसलमानों को इस्लामी गणराज्य के नज़रिये और इस्लामी क्रांति की विशेषताओं की जानकारी दें।
सारी प्रशंसा ब्रह्मांड के पालनहार ईश्वर के लिए है और प्रलय तक ईश्वर का दुरूद व सलाम हो हज़रत मुहम्मद, उनके पवित्र परिजनों और उनके चुने हुए साथियों पर और उन पर जो भलाई के साथ उनका अनुसरण करे।
कोरोना वायरस की महामारी फैली तो दुनिया के कई देशों ने उसका टीका या वैकसीन बनाने के लिए रिसर्च का काम शुरू कर दिया। ईरान में भी मेडिकल साइंस के कई रिसर्च सेंटर्ज़ ने पश्चिम की कड़ी पाबंदियों के बावजूद स्वदेशी वैकसीन बनाने के लिए रिसर्च का काम शुरू कर दिया। इसके नतीजे में “कोविरान बरकत” के नाम से ईरानी वैकसीन बन चुकी है। KHAMENEI.IR ने फ़रमाने इमाम संस्था की एग्ज़ेक्यूटिव कमेटी की रिसर्च टीम के प्रमुख डॉक्टर हसन जलीली से इस संबंध में बात की है। पेश हैं इस इंटरव्यू के कुछ अहम अंश।
ईरान की इस्लामी क्रांति के दूसरे सुप्रीम लीडर सैयद अली ख़ामेनई पुत्र सैयद जवाद (पैदाइशः 19 अप्रैल 1939 ईसवी/ 29 फ़रवरदीन 1318 हिजरी शमसी/ 28 सफ़र 1358 हिजरी क़मरी)
सैयद अली हुसैनी ख़ामेनई पुत्र स्वर्गीय हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन अलहाज सैयद जवाद हुसैनी ख़ामेनई, 29 फ़रवरदीन सन 1318 हिजरी शमसी बराबर 1358 हिजरी क़मरी (19 अप्रैल 1939 ईसवी) को पवित्र नगर मशहद में पैदा हुए।
जवाहर लाल नेहरू ने लिखा कि ग़रीबी भी उन्हीं की देन है। ऐसे बहुत से ग़रीब देश जिनकी जनता ग़रीबी में जीवन बिता रही है और अपने प्राकृतिक स्रोतों से लाभ नहीं उठा सकती, उनकी ग़रीबी का पाप भी इन्हीं के सिर है।
चालीस दिन के आंदोलन से अहलेबैत अलैहिमुस्सलाम ने उस दौर में तूफ़ान बरपा कर दिया। उस ज़माने में इस आंदोलन ने कूफ़े में तौवाबीन को खड़ा कर दिया, मदीना को बदल कर रख दिया, शाम को उलट दिया। वह हालत हुई कि सुफ़ियानी हुकूमत ही ख़त्म हो गई।
इमाम ख़ामेनई
Oct 13, 2019
चर्चिल ने भारत की त्रासदी और भुखमरी से मरने वालों की तस्वीरें देखकर मज़ाक़ उड़ाते हुए कहाः अगर यह तस्वीरें सही हैं, तो गांधी अभी तक क्यों नहीं मरा?
गांधी ने एक मुट्ठी नमक उठाया और कहाः इस नमक के साथ ब्रिटिश साम्राज्य के मुक़ाबले में खड़ा हूं, आओ ताक़त पर सत्य की फ़तह के लिए मिलकर संघर्ष करें।
आयतुल्लाह ख़ामेनईः हाल ही में -कुछ महीने पहले- मुझे उस तुर्कमन (सुन्नी) महिला के परिवार का पत्र मिला जो मिना की घटना में शहीद हो गई थीं, उनके परिवार ने लिखा कि वह शायद इसी सफ़र में या इससे पहले वाले सफ़र में, मक्का गईं और वहां उन्होंने किसी को गवाह बनाया कि वह मेरी तरफ़ से हज कर रही हैं।
इस्लामी क्रान्ति के सुप्रीम लीडर ने अफ़ग़ानिस्तान के क़ुन्दूज़ प्रांत में एक मस्जिद में हुए भीषण धमाके के मुजरिमों को सज़ा दिए जाने और ऐसी घटनाओं रोक-थाम की मांग की।
नार्वे में वर्ल्ड ग्रीको रोमन रेसलिंग चैंपियनशिप में ईरान की टीम की शानदार कामयाबी पर इस्लामी क्रान्ति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने बधाई दी है। उन्होंने अपने बधाई संदेश में पहलवानों और उनके कोच का शुक्रिया अदा किया।
क़ुन्दूज़ इलाक़े की मस्जिद में धमाके में नमाज़ियों की मौत की घटना ने हमें ग़मज़दा कर दिया। पड़ोसी बंधु देश अफ़ग़ानिस्तान के अधिकारियों से वाक़ई अपेक्षा है कि वह इस भयानक-अपराध के ख़ंख़ार दोषियों को सज़ा देंगें और आवश्यक उपायों के ज़रिए इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगाएंगे।
इमाम ख़ामेनेई
9 अक्तूबर 2021
सभी फ़ोर्सेज़ के सुप्रीम कमांडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने पुलिस फ़ोर्स सप्ताह के अवसर पर एक संदेश जारी किया जिसमें इस फ़ोर्स को देश की सुरक्षा का एक स्तंभ क़रार दिया है। उन्होंने कोरोना से निपटने समेत लोगों की सेवा करने वाले विभागों को पुलिस की मदद की सराहना करते हुए इस फ़ोर्स में सेवा और कर्तव्य अंजाम देने का स्तर बढ़ाने पर बल दिया।
सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई का संदेश इस तरह हैः
पैग़म्बरे इस्लाम के वंशज और आठवें इमाम हज़रत अली रज़ा अलैहिस्सलाम की शहादत की बरसी पर तेहरान में इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में गुरुवार 7 अक्तूबर की सुबह मजलिस आयोजित हुई जिसमें इस्लामी क्रान्ति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनेई ने शिरकत की।
दर्जनों देशों से लोग अरबईन मार्च में हिस्सा लेते हैं और इराक़ियों के मेहमान बनते हैं। हमारी कोशिश यह होना चाहिए कि मुस्लिम भाइयों के रिश्ते इस पैदल ज़ियारत की मदद से और भी मज़बूत हों। इराक़ियों और ग़ैर इराक़ियों का रिश्ता, शिया सुन्नी का रिश्ता, अरब, फ़ार्स, तुर्क और कुर्द जातियों का रिश्ता, यह रिश्ते ख़ुश नसीबी की गैरेंटी हैं। यह रिश्ते अल्लाह की रहमत की निशानी हैं। दुश्मन की कोशिश फूट डालने की थी लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाया और अल्लाह के करम से वह आगे भी सफल नहीं होगा। यह रिश्ता और संपर्क जिस चीज़ ने पैदा किया है वह अल्लाह पर ईमान है, पैग़म्बर और उनके ख़ानदान से मुहब्बत है, इमाम हुसैन से मुहब्बत है।
इमाम ख़ामेनई
Sept 18, 2019
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई, पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के निधन और उनके बड़े नवासे इमाम हसन अलैहिस्सलाम की शहादत की बरसी की मजलिस में शामिल हुए। अज़ादारी का यह प्रोग्राम मंगलवार 5 अक्तूबर को तेहरान में इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में आयोजित हुआ।
अगर हम इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के आंदोलन को आशूर के दौर और चेहलुम के दौर में बांटें तो हमें आशूर को इमाम हुसैन की क़ुरबानी का दिन मानना चाहिए और अरबईन या चेहलुम को इमाम हुसैन की विचारधारा के प्रचार और प्रतिरोध की शुरुआत मानना चाहिए।
इमाम ख़ामेनई
Dec 28, 1980
ईरान की सैन्य अकादमियों के कैडिट्स के ग्रेजुएशन का साझा समारोह रविवार 3 अक्तूबर 2021 को आयोजित हुआ जिसे सशस्त्र बलों के सुप्रीम कमांडर ने वीडियो लिंक के माध्यम से संबोधित किया।
इस्लामी क्रान्ति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनेई ने आर्म्ड फ़ोर्सेज़ के कैडिट कालेजों के स्टूडेंट्स के कम्बाइंड स्टडी सेशन को वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिए ख़िताब किया। उन्होंने इस वर्चुअल मुलाक़ात में कहाः “जो लोग दूसरों के सहारे अपनी सुरक्षा हासिल करने के भ्रम में हैं, जान लें कि जल्द ही इसका तमांचा खाएंगे।”
अरबईन के पैदल मार्च से इस्लाम को ताक़त मिलती है। यह हक़ की ताक़त है। यह इस्लामी प्रतिरोध मोर्चे की ताक़त है जिसकी वजह से दसियों लाख ज़ायरीन कर्बला की ओर, इमाम हुसैन की ओर जो प्रतिष्ठा, क़ुरबानी और शहादत की आख़िरी मंज़िल पर हैं, चल पड़ते हैं।
इमाम ख़ामेनई
Oct 13, 2019
इस्लामी क्रान्ति के सुप्रीम लीडर ने राष्ट्रीय प्रसारण विभाग आईआरआईबी के प्रमुख के तौर पर डॉक्टर पैमान जिबिल्ली की नियुक्ति के आदेश पत्र में इस विभाग की प्राथमिकताओं पर ज़ोर दिया है।
हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों की शहादत के चालीसवें दिन के उपलक्ष्य में तेहरान यूनिवर्सिटी में एक मजलिस (शोक सभा) आयोजित हुई जिसमें इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े से वीडियो लिंक के माध्यम से भाग लिया।