हम गए, हमारी फ़ोर्सेज़ दो वजहों से इराक़ भी गयीं, सीरिया भी गयीं। एक, पाक़ीज़ा रौज़ों की रक्षा करना था। दूसरी वजह सुरक्षा का विषय था। अधिकारी बहुत जल्दी, वक़्त पर समझ गए कि अगर अशांति को वहीं पर रोका न गया तो यह फैलेगी, यहाँ हमारे विशाल मुल्क में अशांति फैल जाएगी।