ऐसा क्या हुआ कि इस्लामी उम्मत, जो इस्लामी नियमों और कुरआन की आयतों की बारीकियों पर इतना ‎ध्यान देती थी, इतने स्पष्ट मामले में इस तरह ग़फ़लत का शिकार हो गई कि इतनी बड़ी त्रासदी सामने ‎आ गई?‎