सवालः अगर क़र्ज़े या क़िस्तों पर ख़रीदारी के वक़्त शर्त लगा दी जाए कि अदाएगी में देर होने पर एक निर्धारित रक़म जुर्माने के तौर पर माहाना या रोज़ाना (मिसाल के तौर पर एक दिन देर होने पर हज़ार रूपए जुर्माना देना होगा) तो क्या इस तरह की शर्त में कोई हरज है?
जवाबः ख़रीदारी की शर्त के तौर पर, वादा ख़िलाफ़ी होने पर निर्धारित जुर्माना लेना जायज़ है लेकिन अगर जुर्माना, अदायगी के लिए इज़ाफ़ी मोहलत लेने पर लगे तो यह जायज़ नहीं है।