पैग़म्बर की ज़िंदगी के सबसे बड़े पाठों में से एक इस्लामी उम्मत का गठन है। आज हमें इस सबक़ की ज़रूरत है। आज हमारा स्वरूप इस्लामी उम्मत का नहीं हैं।