आज हमें इस्लामी उम्मत के गठन की ज़रूरत है, यानी इसके लिए कोशिश होनी चाहिए। इस संबंध में कौन मदद कर सकता है। सरकारें प्रभावी हो सकती हैं। अलबत्ता सरकारों में जज़्बा बहुत ठोस नहीं है। जो लोग इस जज़्बे को ठोस कर सकते हैं वह इस्लामी जगत का विशिष्ट वर्ग है।