ख़ेताब इस प्रकार हैः

बिस्मिल्लाह अर्रहमान अर्रहीम (1)

अरबी ख़ुतबे का अनुवादः सारी तारीफ़ पूरी कायनात के पालनहार के लिए है और दुरूद व सलाम हो हमारे सरदार व रसूल हज़रत अबुल क़ासिम मुस्तफ़ा मोहम्मद और उनकी पाक व पाकीज़ा और चुनी हुई नस्ल पर, ख़ास कर ज़मीनों पर अल्लाह के ज़रिए बाक़ी रखी गई हस्ती पर।

अज़ीज़ भाइयो और बहनो, आपका स्वागत है! उम्मीद है कि इंशाअल्लाह, आप सबको अल्लाह की तौफ़ीक़ हासिल हो और यह जो लंबी सूचि जनाब मोमिनी ने पेश की है, इंशाअल्लाह उस पर अमल हो और आपके परफ़ारमेंस में शामिल हो। अल्लाह से तौफ़ीक़ मांगें कि इसके एक एक भाग पर अमल हो सके।

टाइम फ़्रेम अहम है; अपने लिए एक टाइम फ़्रेंम तैयार करें। मुमकिन है कि कुछ मामलों में टाइम फ़्रेम के निर्धारण में गृह मंत्रालय का रोल भी ज़रूरी हो और कुछ मामलों में उसकी ज़रूरत न हो, इन मामलों में आप सारे गवर्नर अपने लिए टाइम फ़्रेम तय करें।

मिसाल के तौर पर, कहा गया है कि एक दिन रोज़गार के अवसर मुहैया करने वाले पूंजिनिवेश के विषय के लिए विशेष किया जाए। यह बहुत अच्छी बात है लेकिन इस एक दिन में दूसरे कामों की छुट्टी न हो। एक वक़्त कोई किसी कमरे में, किसी जगह किसी बैठक में जाता है लेकिन वह यह नहीं जानता कि उसको क्या करना है। इसके लिए योजनाबंदी की ज़रूरत है। ख़ुद उस मौक़े का उपयोग करने के लिए प्लानिंग की ज़रूरत है। मैंने भी कुछ बिन्दु नोट किए हैं जिन्हें पेश करुंगा।

पहली बात यह है कि गवर्नर हज़रात, प्रांत के सभी मामलों के संचालक है। यह मेरा ठोस नज़रिया है। मुख़्तलिफ़ सरकारों के दौर में, मैंने हमेशा, एक उसूल के तौर पर इसको बयान किया है कि गवर्नरों को अख़्तियार दिया जाए, राष्ट्रपति, कुछ मंत्रियों के विरोध से प्रभावित हो गए। मंत्रियों की कोशिश होती है कि प्रांतों में उनके अपने महानिदेशक मामलों का संचालन करें, निर्देश दें, इसलिए यह बात कुछ लोगों के स्वभाव से मेल नहीं खाती थी कि गवर्नर लोग पूरी तरह अधिकार वाले हों। अलबत्ता कुछ लोग ऐसे भी हैं जो मुल्क की भलाई के लिए बहुत सी बातों को नज़रअंदाज़ करने के लिए तैयार हैं। इसलिए मेरी नज़र में और मेरे नज़रिए के मुताबिक़ आप (गवर्नर हज़रात) अपने अपने प्रांतों के सभी मामलों के संचालक हैं। यानी नगरीय सेवा से लेकर, पर्यावरण, पैदावार, सीमावर्ती बाज़ार, जिन प्रांतों में ये बाज़ार हैं वहां अपने अपने प्रांतों की कूटनीति से संबंधित मामलों, सभी मामलों के ज़िम्मेदार आप हैं, यानी उनके बारे में आपको फ़ैसला करना है, आप ही को क़दम उठाना है और आप ही को उनका पालन भी करना है।

ख़ुशक़िस्मती की बात है कि इस वक़्त मुल्क में बहुत अवसर मौजूद हैं; यानी आपका वक़्त आया है तो अवसर बढ़ गए हैं। अवसर का मतलब क्या है? यानी मुल्क की आम स्थिति ऐसी है कि किसी ख़ास चुनौती का सामना हो। जंग है न कोई महामारी है। कोरोना महामारी के दौर में इतने सुकून से काम करना क्या मुमकिन था? इस तरह की मुश्किल का आपको सामना नहीं है और न ही हमें सुरक्षा के लेहाज़ से किसी चुनौती का सामना है। दूरदराज़ के इलाक़ों में कुछ बाते हैं, हम उनसे बेख़बर नहीं हैं, लेकिन सुरक्षा की नज़र से कोई कड़ी चुनौती नहीं है। राजनैतिक और दलीय मतभेद भी इस तरह, जिस तरह एक ज़माने में चरम पर थे, इस वक़्त नहीं हैं। इसलिए मुल्क का कुल मिलाकर माहौल बहुत अच्छा है।

इसके अलावा आपके पास मानव संसाधन भी काफ़ी है। मुझे नहीं पता कि आपको अपने मानव संसाधन की पहचान है या नहीं है; मुझसे तो बहुत लोग संपर्क करते हैं। इस वक़्त मुल्क में आविष्कार की सलाहियत और काम का जज़्बा रखने वाले नौजवानों की तादादा इतनी ज़्यादा है कि गिनना मुश्किल है। पिछले बरसों के दौरान, इस तरह के नौजवानों ने मुझसे बहुत संपर्क किया और जब भी उन्होंने मुझसे संपर्क किया, मैंने किसी न किसी मंत्रालय में उनकी सिफ़ारिश की। मंत्रालयों ने उन्हें अपने यहाँ जगह दी और वे वहाँ लग गए हैं। जिसके बाद उन मंत्रालयों ने मुझे प्रगति की ख़ुशख़बरी भी दी और मेरा शुक्रिया भी अदा किया।

इस वक़्त मुल्क में मौजूद सलाहियतों में से एक तो यह है; उन्हें तलाश कीजिए। आसानी से उन तक पहुंच सकते हैं।(2)

कहा गया कि जैसे, कुछ प्रोजेक्ट्स तैयार करके, ऐसे लोगों के अख़्तियार में दिए जा रहे हैं, जिनके नाम मालूम नहीं हैं, मिसाल के तौर पर अपनी इच्छा से यही नालेज बेस्ड कंपनियां, यही नौजवान, ये आएं, इन प्रोजेक्टों का स्वागत करें, उनके बारे में जानकारियां हासिल करें और यह समझें कि ये प्रोजेक्ट्स उन्हें मिल सकते हैं और उनके साथ संसाधन और सहूलतें भी हैं जिनसे वे फ़ायदा उठा सकते हैं। यानी इन अहम मौक़ों में से एक ये मानव संसाधन है।

ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन जैसे क्षेत्रीय संगठनों में सदस्यता भी उन्हीं अवसरों में से एक है। आज हमें यह अवसर मिला है, कल नहीं था और भविष्य में क्या होगा, यह हम नहीं जानते; लेकिन आज हमें यह अवसर मिला है और उन्हीं अवसरों में से एक हमारे पड़ोसी भी हैं।

तो पहली बात तो यह है कि इस वक़्त मुल्क के सामने अवसर मौजूद हैं और मैं यह भी कहता चलूं कि हक़ बात तो यह है कि जनाब मोमिनी भी उन्हीं मौक़ों में से एक हैं; कैसे? इस तरह कि यह अपने अतीत के काम की वजह से पूरे मुल्क को पहचानते हैं।(3) सभी शहरों, काउंटियों और सभी जगहों से अवगत हैं। यह अपने आप में एक विशिष्टता है; इससे फ़ायदा उठाएं।

दूसरी बात यह है कि अगर हम सेवा में सफल होना चाहते हैं तो हमारे भीतर सेवा का जज़्बा भी होना चाहिए। जो कामयाबी चाहता है ख़ुद उसके भीतर भी और उसके काम में भी, अच्छाई होनी चाहिए।

आप लोग तो अलहम्दुलिल्लाह, इम्तेहान से गुज़रकर काम के लिए इन पदों पर नियुक्त किए गए हैं, लेकिन आपके अधीन दसियों अफ़सर हैं जिनका चयन आपके ज़िम्मे है। शहर के अधिकारी से लेकर काउंटी के अधिकारी तक और उनके सहायक और दूसरे अफ़सर हैं जिनका आप चयन करते हैं। ऐसे लोगों का चयन करें कि जिनके भीतर यह ख़ुसूसियतें मौजूद हों: सबसे पहले तो उसके भीतर सेवा का जज़्बा हो, सेवा करना चाहता हो और काम से इश्क़ हो; दूसरे ईमानदार हो। अब मैं एक एक करके अनुचित चीज़ों को गिनवा तो नहीं सकता, लेकिन ऐसी बहुत सी बातें हैं जो अफ़सरों के लिए मुनासिब नहीं हैं। अगर सेवा का पद ऐसे अफ़सरों के पास हो तो, हम कोई भी मौक़ा बर्बाद नहीं होने देंगे; यानी सभी अवसरों से फ़ायदा उठा सकते हैं।

और जिन लोगों के लिए मैं यह सिफ़ारिश कर रहा हूं वो और ज़िम्मेदार अधिकारी चाहे जिस विभाग में हो और जिस रैंक के हों, अगर इस तरह आगे बढ़ें, जिस तरह मैंने कहा है, अगर सीधे रास्ते पर चलें, यह सीधा रास्ता है, इस पर चल कर अवाम की मुश्किलों को हल करें तो वे कुछ खोएंगे नहीं। सेवा का दौर, लंबा नहीं है, छोटा है। मिसाल के तौर पर हम अपने काम के साथ व्यक्तिगत व्यापार भी कर सकते हैं; न करें! तो कुछ खोएंगे नहीं। हमारी गवर्नरी का दौर, चार साल या ज़्यादा से ज़्यादा आठ साल है; इससे ज़्यादा तो नहीं है। इन आठ बरसों में हम ख़याल रखें कि ख़ुद को इस गढ़े में न गिरने दें; जब यह दौर ख़त्म हो जाए तो जो भी करें, इससे मुल्क को नुक़सान नहीं पहुंचेगा। लेकिन अगर कोई ऐसा काम किया कि हित टकरा गए तो फिर मुल्क के लिए मुश्किल होगी। सेवा का दौर ऐसा है; मुश्किल खड़ी हो जाएगी। हम ने ऐसे लोगों को देखा है कि सेवा के दौर में इस तरह के मसलों में नहीं फंसे। इसलिए अगर सीधे रास्ते पर चलें तो मुल्क की सेवा की और कुछ खोया नहीं।

एक और बिंदु भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ अभियान है। जिस तरह कि हम अपनी शारीरिक बीमारी के तत्वों के ख़िलाफ़ अभियान चलाते हैं, ख़याल रखते हैं कि नज़ला ज़ुकाम न हो, वायरस से बचे रहें, अगर कोई माइक्रोब है तो ख़त्म हो जाए, अपने खाने का ख़याल रखते हैं, इसी तरह मुल्क की सुरक्षा ख़ास तौर पर विभागों को भ्रष्टाचार से बचाए रखने की फ़िक्र करें। भ्रष्टाचार से बहुत नुक़सान पहुंचता है। कुछ लोगों ने दलील से साबित करने की कोशिश की है कि इस्लामी गणराज्य में, भ्रष्टाचार सिस्टमैटिक है! झूठ है; ऐसी कोई बात नहीं है। अलहम्दुलिल्लाह सिस्टम पाक है, लेकिन भ्रष्टाचार की कुछ नसें, कमज़ोर या मज़बूत मौजूद हैं; उनकों ख़त्म करने की ज़रूरत है। सीनियर अफ़सरों के लिए एक अहम काम, भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ संघर्ष है।

लेकिन भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ अभियान के लिए ज़रूरी है कि पहले ख़ुद को और अपने संबंधियों को भ्रष्टाचार पैदा करने वाले तत्वों से दूर रखने की कोशिश करें; यह बात अहम है। अल्लाह न करे, जो ज़िम्मेदार अधिकारी हैं, चाहे सुरक्षा विभाग के हों, चाहे अर्थव्यवस्था से जुड़े हों, या राजनीति या संस्कृति से, जिस विभाग से भी संबंध है, अगर वह भ्रष्ट हो गए तो इसका नुक़सान कई गुना है और इसी अनुपात में अल्लाह का अज़ाब भी बढ़ जाएगा; उसका हिसाब किताब, आम लोगों से अलग होगा। अल्लाह प़ैग़म्बरे इस्लाम की बीवियों से फ़रमाता है, "ऐ नबी की बीवियो! तुम में से जो कोई बेहयाई और बुराई करेगी तो उसो दोहरी सज़ा दी जाएगी...।" (4) पैग़म्बरे इस्लाम की बीवियों के लिए यह है। अलबत्ता इसके साथ ही यह भी फ़रमाता है, "और तुम में से जो ख़ुदा और उसके रसूल की इताअत करेगी और नेक अमल करती रहेगी तो हम उसको उसका अज्र दोहरा देंगे...।" (5) क्यों? इसलिए कि पैग़म्बर की बीवी हैं, इसलिए कि उनकी पोज़ीशन अहम है। हम और आप भी इसी तरह हैं; हमारी पोज़ीशन भी संवेदनशील है। हम भी अगर भलाई करें तो दुगुना अज्र है और अगर, अल्लाह न करे, मुश्किल में पड़ जाएं (यानी गुनाह कर बैठें) तो सज़ा भी दुगुनी है। ज़्यादा होगी।

जो लोग आपके विभाग में, किसी काम के ज़िम्मेदार हैं, मिसाल के तौर पर फ़र्ज़ करें, स्मगलिंग की रोकथाम उनके ज़िम्मे है, या सीमा कंट्रोल करने के ज़िम्मेदार हैं, किसी भी काम के ज़िम्मेदार हैं, अगर वे ख़ुदा न करे, भ्रष्ट हो गए तो भ्रष्टाचार रोकने के रास्ते बंद हो जाएंगे और भ्रष्टाचार के रास्ते खुल जाएंगे। कुछ साल पहले मैंने इसी संबंध में एक विस्तृत बयान जारी किया था।(6) कई साल पहले की बात है। जहाँ हमने कहा कि भ्रष्टाचार सात सिर वाला अजगर है तो इसका मतलब यह है कि यह जल्दी ख़त्म नहीं होगा, इसके लिए निरंतर अभियान जारी रखने की ज़रूरत है। तो एक सिफ़ारिश यह भी है।

एक और सिफ़ारिश अवाम के इस मसले में है जिसकी ओर इशारा किया है।(7) अवाम से गर्मजोशी से मिलें। अवाम के बीच जाएं; उनकी सभाओं में शामिल हों। उनकी बातें सुनें, अगर सख़्त बोलें तो बर्दाश्त करें। इसका अभ्यास ज़रूरी है। कुछ लोगों में अल्लाह की कृपा से सहनशीलता होती है। उन्हें जो भी कहें, वे बर्दाश्त करते हैं लेकिन कुछ लोगों में बर्दाश्त की ताक़त नहीं होती, वे जल्दी क्रोध में आ जाते हैं, जवाब देते हैं, लड़ जाते हैं, इसलिए इसका अभ्यास करें। अभ्यास करें कि अगर फ़र्ज़ करें कि कोई ग्रामीण या नगरीय शख़्स या दुकानदार या कोई भी जो आपकी सेवा के बारे में जानता नहीं है, वह आकर कोई एतेराज़ करता है, वह एतेराज़ सही नहीं है, तब भी बर्दाश्त करें, और फिर उसके सामने व्याख्या करें; अवाम के साथ इस तरह पेश आएं। अगह यह होगा तो उनके दिल में आपके लिए मोहब्बत पैदा होगी, जब मोहब्बत हो गयी तो किसी संवेदनशील मौक़े पर ज़रूरत पड़ने पर आपकी मदद करेंगे।

एक और सिफ़ारिश शरीअत के संबंध में है। अधिकारियों को शरीअत का पाबंद होना चाहिए। हराम कामों से बचें, धार्मिक रस्मों का स्वागत करें और शरीअत का पालन ऐसा होना चाहिए कि अवाम भी देखें; यह पाखंड नहीं है। आप अगर किसी मस्जिद में जमाअत की नमाज़ में शिरकत करें तो यह दिखावा नहीं है।

कुछ लोग कहते हैं कि हम पाखंड नहीं करना चाहते! तो पाखंड न करें, अल्लाह के लिए शिरकत करें; वाक़ई अल्लाह के लिए। अल्लाह के लिए; आप गवर्नर की हैसियत से किसी सभा या जमाअत की नमाज़ में या किसी जुलूस में शिरकत करें, तो इससे अवाम को हौसला मिलता है। यह अच्छा काम है। यह भलाई है। यह बड़ी नेकी है। यह अल्लाह के लिए अंजाम दें और इंशाअल्लाह सवाब हासिल करें। यह भी एक सिफ़ारिश है।

एक और मसला, इस साल के नारे का है जिसकी ओर इशारा किया कि इसके लिए प्लानिंग की है।

एक और मसला स्मगलिंग की रोकथाम है। वाक़ई स्मगलिंग हमारे लिए एक मुश्किल बन गयी है; यह आज से नहीं है, बरसों से है। किसी वक़्त मुझे रिपोर्ट दी गयी थी कि कितनी चीज़ें स्मगल होकर मुल्क में आती हैं जो चीज़ें यहाँ से स्मगल होकर बाहर जाती हैं, उनका हिसाब अलग है, जो स्मगल होकर आती हैं, उसकी रक़म 20 अरब बतायी थी। मुझे बहुत हैरत हुयी। लेकिन कुछ दिन पहले न्यायपालिका प्रमुख ने (8) यह रक़म 15 अरब बतायी। निश्चित तौर पर उन्होंने समीक्षा की होगी। यह बहुत अहम मसला है! यहाँ से बाहर होने वाली स्मगलिंग का भी मसला है। पेट्रोल, गैस और डीज़ल वग़ैरह की स्मगलिंग। मेरे ख़याल में स्मगलिंग की रोकथाम के लिए योजनाबंदी की ज़रूरत है। पुलिस और दूसरी फ़ोर्सेज़ के साथ गंभीरता के साथ सहयोग करें, उनकी मदद करें कि वे यह काम कर सकें। हम भी आपके लिए दुआ करेंगे।

आप सब पर सलाम और अल्लाह की रहमत और बरकत हो।

  1. इस मुलाक़ात के शुरू में गृह मंत्री इस्कंदर मोमिनी ने रिपोर्ट पेश की।
  2. गृह मंत्री
  3. डिप्टी पुलिस चीफ़
  4. सूरए अहज़ाब, आयत-30
  5. सूरए अहज़ाब, आयत-31
  6. देखें, वित्तीय और आर्थिक भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए विधिपालिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के प्रमुखों के नाम इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के 03/047/2001 के ख़त से।
  7. गृह मंत्री
  8. हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन ग़ुलाम हुसैन मोहसिनी इजेई