उन्होंने इस मुलाक़ात के आरंभ में पाकिस्तान और भारत के बीच युद्ध की समाप्ति पर ख़ुशी जताई और दोनों देशों के मतभेदों के समाधान की आशा व्यक्त की। उन्होंने पिछले वर्षों में फ़िलिस्तीन के मुद्दे पर पाकिस्तान के अच्छे और मज़बूत रुख़ की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि हाल के बरसों में ज़ायोनी शासन से संबंध बनाने के लिए इस्लामी देशों को हमेशा उकसाया जाता रहा है लेकिन पाकिस्तान कभी भी इन उकसावों में नहीं आया।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने आज की दुनिया में इस्लामी जगत की अधिक शक्ति और प्रभाव के लिए पाई जाने वाली बड़ी संभावनाओं की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि ऐसी स्थिति में जब युद्ध भड़काने वाले, विवाद और संघर्ष की बहुत चाहत रखते हैं, इस्लामी जगत की सुरक्षा को सिर्फ़ एक चीज़ सुनिश्चित कर सकती है और वह इस्लामी देशों की एकता और उनके आपसी संबंधों को मज़बूत बनाना है।

उन्होंने फ़िलिस्तीन के मुद्दे को इस्लामी जगत का सबसे बड़ा मसला बताते हुए ग़ज़ा की दर्दनाक स्थिति की तरफ़ इशारा किया और कहा कि ग़ज़ा की हालत इस स्थिति पर पहुंच चुकी है कि यूरोप और अमरीका में आम लोग सड़कों पर प्रदर्शन करके अपनी सरकारों का विरोध कर रहे हैं लेकिन अफ़सोस कि इन्हीं हालात में कुछ इस्लामी सरकारें ज़ायोनी शासन के साथ खड़ी हैं।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने ज़ोर देकर कहा कि इस्लामी गणराज्य ईरान और पाकिस्तान आपसी सहयोग से इस्लामी जगत में प्रभावी हो सकते हैं और फ़िलिस्तीन के मुद्दे को इस ग़लत रास्ते से बाहर निकाल सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम इस्लामी जगत के भविष्य की तरफ़ से आशावान हैं और बहुत सी घटनाएं हमारे इस रुख़ की पुष्टि करती हैं।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने ईरान-पाकिस्तान संबंधों को हमेशा गर्मजोशी और भाईचारे से भरा बताया और थोपे गए 8 वर्षीय युद्ध के दौरान पाकिस्तान के सकारात्मक रुख़ को इस भाईचारे भरे संबंध की एक मिसाल के तौर पर पेश किया लेकिन साथ ही उन्होंने मौजूदा द्विपक्षीय सहयोग को अपेक्षित स्तर से कम बताते हुए कहा कि दोनों देश कई क्षेत्रों में एक-दूसरे की मदद कर सकते हैं और हमें उम्मीद है कि यह दौरा आर्थिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक मैदानों समेत विभिन्न क्षेत्रों में संबंधों के व्यापक विस्तार में मदद करेगा।

उन्होंने इसी तरह ईसीओ संगठन के अधिक सक्रिय होने के लिए ईरान व पाकिस्तान के बीच सहयोग की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।

इस मुलाक़ात में, जिसमें राष्ट्रपति पेजेश्कियान भी मौजूद थे, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मिलने पर बेहद ख़ुशी जताई और पाकिस्तान और भारत के बीच पैदा हुए तनाव को कम करने में इस्लामी गणराज्य ईरान की सकारात्मक भूमिका की सराहना की। उन्होंने हालिया टकराव के बारे में जानकारी देते हुए ग़ज़ा के मुद्दे पर चिंता जताई और कहा कि अफ़सोस है कि विश्व समुदाय ग़ज़ा में जारी त्रासदी को रुकवाने के लिए कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं कर रहा है।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने इसी तरह तेहरान में अपनी अच्छी और रचनात्मक वार्ताओं का ज़िक्र करते हुए आशा जताई कि यह दौरा द्विपक्षीय संबंधों को पहले से ज़्यादा मज़बूत बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा।