हालिया कुछ महीनों में रेज़िस्टेंस ने अपनी ताक़त का प्रदर्शन किया और अमरीका के समीकरण बिगाड़ दिए। अमरीका इस इलाक़े में, इराक़, सीरिया, लेबनान वग़ैरा पर नियंत्रण चाहता था, रेज़िस्टेंस ने दिखा दिया कि यह संभव नहीं है, अमरीकियों को इस इलाक़े से जाना पड़ेगा।
इमाम ख़ामेनेई
20 मार्च 2024
हज़रत ख़दीजा शुरू से इस्लाम पर ईमान लाईं। उन्होंने अपनी सारी दौलत दावते इस्लाम और इस्लाम के प्रचार पर ख़र्च कर दी। अगर हज़रत ख़दीजा की मदद न होती तो शायद इस्लाम के सफ़र और इस्लाम के प्रचार में बड़ी रुकावट पेश आती। बाद में रसूले ख़ुदा और दूसरे मुसलमानों के साथ शेअब-ए-अबू तालिब में जाकर रहीं और वहीं उन्होंने आख़िरी सांस ली।
इमाम ख़ामेनेई
27 जून 1986
आप बहुत देखते हैं ऐसे जवानों को जो दुनिया से चले जाते हैं। तो इस सफ़र की मंज़िल निश्चित नहीं है कि आप जो आगे बढ़ रहे हैं, आप का कहाँ तक आगे बढ़ना और कहाँ गिरना तय है।
ग़ज़ा के वाक़यात ने दिखा दिया कि पश्चिम की यह तथाकथित सभ्य दुनिया जो मानवाधिकार की दावेदार है उसकी सोच और उसके अमल पर कैसी तारीकी छायी है। 30 हज़ार से ज़्यादा इंसान बच्चों से लेकर बूढ़ों तक छोटी सी मुद्दत में मार डाले जाते हैं और यह सभ्य दुनिया रोकना तो दूर मदद करती है।
इमाम ख़ामेनेई
20 मार्च 2024
ग़ज़ा के वाक़यात ने रेज़िस्टेंस फ़्रंट की उपयोगिता साबित कर दी। साबित कर दिया कि पश्चिमी एशिया के इलाक़े में रेज़िस्टेंस फ़्रंट की उपस्थिति बड़ा बुनियादी विषय है। इस रेज़िस्टेंस फ़्रंट को दिन ब दिन अधिक मज़बूत करना चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
20 मार्च 2024
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने नई हिजरी शम्सी साल 1403 के आग़ाज़ पर एक पैग़ाम जारी किया जिसमें आपने बीते साल के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अहम वाक़यों की ओर इशारा किया और नए साल का नारा निर्धारित किया।
अज़ीज़ मिल्लते ईरान की सेवा में ईदे नौरोज़ और नए साल की मुबारकबाद पेश करता हूँ जो इस साल रमज़ानुल मुबारक, दिलों की बहार और अध्यात्म की बहार के साथ आया है। मैं ख़ास तौर पर क़ुरबानियां देने वालों के परिवारों और नौरोज़ मनाने वाली सभी क़ौमों की सेवा में मुबारकबाद पेश करता हूं।
इमाम ख़ामेनेई
20 मार्च 2024
सन 1402 ज़िंदगी के दूसरे सभी बर्सों की तरह मिठास और कड़वाहट से भरा रहा। क़ुद्स दिवस और 11 फ़रवरी की रैलियों में अवाम की शानदार शिरकत, शांतिपूर्ण व पारदर्शी चुनाव और विदेशी मामलों में राजनैतिक व आर्थिक सतह पर सरकार की अंतर्राष्ट्रीय गतिविधियां पिछले साल की मधुर घटनाएं रहीं।
इमाम ख़ामेनेई
20 मार्च 2024
सन 1402 ज़िंदगी के दूसरे सभी बर्सों की तरह मिठास और कड़वाहट से भरा रहा। शहीद क़ासिम सुलैमानी की बर्सी के मौक़े पर किरमान की दुखद घटना, साल के अंतिम दिनों में बलोचिस्तान में बाढ़ कटु घटनाएं थीं और सबसे कटु घटना #ग़ज़ा का वाक़ेया था जो हमारे अंतर्राष्ट्रीय मसलों में से एक है। इस साल हमारे सामने इससे ज़्यादा कड़वा कोई वाक़ेया नहीं रहा।
इमाम ख़ामेनेई
20 मार्च 2024
हम ख़याल रखें कि अपने काम में, अपनी बातों में, अपने वादों में सच्चे रहें, ये चीज़ अमल से समझ में आती है, ज़िंदगी में होने वाले बदलाव से समझ में आती है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता का सालाना ख़ेताब, जो हर साल पवित्र शहर मशहद में हुआ करता था, इस साल तेहरान में बुधवार 20 मार्च 2024 की शाम को इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में हुआ, जिसमें अवाम के मुख़्तलिफ़ तबक़ों के लोग शरीक हुए।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने नए हिजरी शम्सी साल के पहले दिन बुधवार 20 मार्च की शाम को तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में अवाम के मुख़्तलिफ़ तबक़ों के हज़ारों लोगों से मुलाक़ात की।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 1 फ़रवरदीन 1403 हिजरी शम्सी बराबर 20 मार्च 2024 को ईदे नौरोज़ के मौक़े पर अपने ख़ेताब में देश की आर्थिक स्थिति के बारे में विस्तार से बात की। उन्होंने ग़ज़ा की जंग के बारे में कई महत्वपूर्ण पहलुओं की निशानदेही की।
अमरीका, इस्लामी इंक़ेलाब को मानने के लिए क्यों तैयार नहीं है? इसलिए कि उसके हित ख़तरे में पड़ जाएंगे। इस वक़्त भी वो कह रहा है, खुलकर बिना किसी झिझक के कह रहा है कि ईरान के इस्लामी इंक़ेलाब और इस्लामी गणराज्य ने इलाक़े में हमारे हित को ख़तरे में डाल दिया है।
आज़ ग़ज़ा में जो कुछ हो रहा है वह दोनों तरफ़ से चरम पर है। ज़ायोनी और पश्चिमी सभ्यता का अपराध और बर्बरता भी और मसले का दूसरा पहलू भी, अवाम का बेमिसाल सब्र और प्रतिरोध और हमास और फ़िलिस्तीनी रेज़िस्टेंस के जेहाद की ताक़त भी।
इमाम ख़ामेनेई
12 मार्च 2024
इस्लामी गणराज्य ईरान में बोलीविया की राजदूत श्रीमती रोमीना ग्वादलोपे पेरेज़ रामोस ने कहा है कि मेटा की ओर से इमाम ख़ामेनेई के इंस्टाग्राम और फ़ेसबुक पेज बंद किए जाने की अस्ल वजह हक़ीक़त पर आधारित बातें पोस्ट करना और फ़िलिस्तीन के पीड़ित अवाम का नैतिक सपोर्ट है।
मेटा कंपनी की ओर से आयतुल्लाह ख़ामेनेई के इंस्टाग्राम पेज को आतंकवाद और ज़ायोनीवाद के ख़िलाफ़ कंटेंट पोस्ट किए जाने के बाद बंद कर दिया गया। इस घटना पर ईरान में बोलीविया की राजदूत श्रीमती रोमीना पेरेज़ का इंटरव्यू पेश है।
इस्लाम और दूसरे आसमानी धर्म, कभी भी अपने दुश्मनों के सिलसिले में उदासीन रवैया नहीं रखते। सभी पैग़म्बरों ने अपने कट्टर दुश्मनों के मुक़ाबले में इसी तरह का रवैया अख़्तियार किया है, वो तलवार उठाते थे।
अफ़सोस है कि इस्लामी दुनिया में ऐसे लोग और सरकारें हैं जो ग़ज़ा के मज़लूम अवाम के दुश्मनों की मदद कर रही हैं। इंशाअल्लाह एक दिन वो पछताएंगी और अपनी ग़द्दारी की सज़ा भी पाएंगी और यह भी देखेंगी कि उन्होंने जो कुछ किया व्यर्थ था।
इमाम ख़ामेनेई
12 मार्च 2024
चंद महीनों से ज़ायोनी, अमरीका और दूसरों से मिलने वाले हथियारों और विश्वासघात भरी मदद के ज़रिए फ़िलिसतीनी रेज़िस्टेंस के ख़िलाफ़ जंग कर रहे हैं, रेज़िस्टेंस भी वहां यथावत ताक़तवर और मज़बूत क़दमों से डटी हुई है और अल्लाह की कृपा से ज़ायोनियों की नाक ज़मीन पर रगड़ देगी।
इमाम ख़ामेनेई
12 मार्च 2024
ऐ अबूज़र! अल्लाह की इस तरह इबादत करो मानो तुम उसे आँखों से देख रहे हो, जान लो कि अल्लाह की इबादत का पहला स्तंभ ये है कि उसकी पाक हस्ती की पहचान हासिल करो, उसकी मारेफ़त पैदा करो।
इस वक़्त ग़ज़ा में जो हो रहा है दोनों तरफ़ से अपनी इंतेहा को पहुंचा हुआ है। अपराध और वहशीपन के लेहाज़ से भी और ग़जा के अवाम के बेमिसाल सब्र के एतेबार से भी।
पिछले बरसों की तरह इस साल भी रमज़ान मुबारक के पहले दिन इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की मौजूदगी में क़ुरआन मजीद से उन्स की महफ़िल आयोजित हुयी, जिसमें मुल्क के कुछ बड़े क़ारियों और क़ुरआन के सिलसिले में काम करने वालों ने शिरकत की।
क़ुरआन से उन्सियत की महफ़िल’ में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की ताकीदः
रमज़ानुल मुबारक के पहले दिन 12 मार्च 2024 को इमाम ख़ुमैनी इमाम बारगाह में क़ुरआन से उन्सियत की महफ़िल के नाम से एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ जिसमें रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने क़ुरआन और तिलावत के विषय पर तक़रीर की। उन्होंने ग़ज़ा की जंग के बारे में भी कुछ बिंदु बयान किए।
रमज़ान मुबारक का चाँद 29 शाबान (10 मार्च) को नज़र नहीं आया, सोमवार को 30 शाबान है, और मंगलवार 12 मार्च को रमज़ान मुबारक 1445 हिजरी क़मरी का पहला दिन होगा।
इस्लामी गणराज्य की आर्म्ड फ़ोर्सेज़ के सुप्रीम कमांडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने एक समारोह में मुल्क की फ़ौज के चीफ़ कमांडर मेजर जनरल सैयद अब्दुर्रहीम मूसवी और आईआरजीसी के चीफ़ कमांडर मेजर जनरल हुसैन सलामी को फ़तह का मेडल (मेडल ऑफ़ कंक्वेस्ट) दिया।
अपनी नौजवानी की क़द्र करें। हमारी जो मसरूफ़ियतें हैं, वो आम तौर पर सांसारिक फ़ायदों से जुड़ी हैं। हमें पूरे दिन में अल्लाह से अकेले में बात करने का मौक़ा नहीं मिलता, उन हस्तियों की बात अलग है जो हमेशा हालते नमाज़ में रहती हैं।