ऐंकरः बिस्मिल्लाह अर्रहमान अर्रहीम, इस्लामी इंक़ेलाब के महान, आदरणीय व बुद्धिमान नेता की सेवा में सलाम पेश करता हूं। जनाबे आली की सुबह इंशाअल्लाह अच्छी, सेहत व सलामती के साथ हो। हम शहीदों को ख़ास तौर पर शहीद राष्ट्रपति अज़ीज़ रईसी को श्रद्धांजलि पेश करते हैं जिनके निधन की वजह से चौदहवां राष्ट्रपति चुनाव हो रहा है।

आपने 3 जून 2024 को शानदार इलेक्शन की बात की थी और ईदे ग़दीर के दिन, ईरान की सरबुलंदी और मज़बूत ईरान के लिए इलेक्शन में अवाम की भरपूर भागीदार की बात की थी और इस पर बल दिया था। इस वक़्त जब चौदहवें राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग के समय का आग़ाज़ हुआ है, मुल्क की मज़बूती और तरक़्क़ी में राष्ट्रपति की बेजोड़ पोज़ीशन और रोल के मद्देनज़र उन लोगों से आप क्या कहना चाहेंगे जो अब भी चुनाव के बारे में असमंजस का शिकार हैं या जिन्होंने अभी निश्चित तौर पर फ़ैसला नहीं किया है?

आयतुल्लाह ख़ामेनेईः बिस्मिल्लाह अर्रहमान अर्रहीम। मैं अल्लाह से अपनी अज़ीज़ क़ौम के लिए बेहतरीन दिनों और बरसों की और सबसे बड़ी बरकतों की दुआ करता हूं। हम ईरानियों के लिए इलेक्शन का दिन, ख़ुशी व उत्साह का दिन है। ख़ास तौर पर उस वक़्त जब चुनाव, राष्ट्रपति के चयन के लिए हो जो अवाम के हाथों मुल्क के अगले कई साल के लिए चुना जाता है। लेकिन मेरे ख़याल में इसी के साथ एक और अहम विषय है और वह है अवाम की भरपूर भागीदारी और मतदाताओं की ज़्यादा तादाद में शिरकत। यह इस्लामी गणराज्य के लिए एक निश्चित ज़रूरत है। इस्लामी गणराज्य का नाम यानी ‘गणराज्यʼ शब्द इस बात को प्रतिबिंबित करता है कि इस सिस्टम में अवाम की भागीदारी को अहमियत दी गयी है। इसलिए दुनिया में इस्लामी गणराज्य का बाक़ी रहना, इस्लामी गणराज्य की मज़बूती और इस्लामी गणराज्य का सम्मान, अवाम की भागीदारी पर निर्भर है। इसीलिए हम अपने अज़ीज़ अवाम को वोट डालने की सिफ़ारिश करते हैं, वो इस अहम राजनैतिक इम्तेहान में भागीदारी को अहम समझकर शरीक हों और यह जो आप कह रहे हैं कि कुछ लोग असमंजस का शिकार हैं तो मुझे इस असमंजस की कोई वजह नज़र नहीं आती। यह एक आसान काम है जिसके महत्वपूर्ण नतीजे हैं। क्यों इंसान एक ऐसे काम के लिए जिसमें कोई ख़र्च नहीं है, कोई ज़हमत नहीं है, कोई पैसा ख़र्च नहीं करना है, वक़्त ख़र्च नहीं करना है, जिसमें कोई दबाव नहीं है लेकिन बहुत से फ़ायदे हैं, असमंजस का शिकार हो? लोग असमंजस का शिकार न हों। ख़ास तौर पर उसी बिन्दु के मद्देनज़र जिसकी ओर मैंने इशारा किया और यह कि इस्लामी गणराज्य का वजूद और मज़बूती अवाम की मौजूदगी पर निर्भर है और इस्लामी गणराज्य की सच्चाई व सत्यता को साबित करने के लिए अवाम की मौजदूगी एक ज़रूरी व अनिवार्य काम है। मुझे उम्मीद है कि इंशाअल्लाह अल्लाह इस मुल्क के लिए बेहतरीय चयन और सबसे फ़ायदेमंद चयन को निर्धारित करेगा और इंशाअल्लाह आने वाले साल, अच्छे और अपेक्षा के अनुरूप वर्ष होंगे और अवाम अपने चयन से ख़ुश रहेंगे।

आप सब पर सलाम और अल्लाह की रहमत व बरकत हो

ख़ुदा हाफ़िज़