इमामत के सिलसिले को पैग़म्बरे इस्लाम अल्लाह के हुक्म से आगे बढ़ाते हैं, अलबत्ता इस इमामत के लिए सत्ता व शासन ज़रूरी है। इसीलिए ख़िलाफ़त का एलान करते हैं, विलायत के एलान के वक़्त फ़रमाते हैं: "जिस जिस का मैं मौला हूं उसके ये अली मौला हैं।"

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