हुज्जतुल इस्लाम तबातबाई नेजाद ने मजलिस पढ़ी। उन्होंने मजलिस में सूरए निसा की आयत 66 का हवाला देते हुए, अल्लाह के हुक्म की नाफ़रमानी के दुष्परिणाम और उसके हुक्म के सामने नतमस्तक रहने की बरकतों की व्याख्या की और कहा, जो लोग अल्लाह की इताअत करते हैं, उनके क़दम में दृढ़ता आती है और यही चीज़ दुश्मन की बर्बरता और उसकी ओर से थोपी गयी सख़्तियों के बावजूद इमाम हुसैन के साथियों और ख़ास तौर पर हज़रत अब्बास की दृढ़ता की मुख्य वजह है और जो लोग भी अल्लाह की इताअत करते हैं, वे नहीं हारते और परलोक में उनके लिए बहुत बड़ा बदला है और उनका ज़्यादा ऊंचे स्थान की ओर मार्गदर्शन भी होता है।

मजलिस के बाद जनाब मोहम्मद रज़ा बज़्री ने क़मर बनी हाशिम हज़रत अब्बास के हाल का मर्सिया और नौहा पढ़ा।