तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मोहर्रम की दसवीं रात की मजलिस हुयी जिसमें इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई और बड़ी तादाद में अज़ादारों ने शिरकत की।
हुज्जतुल इस्लाम मसऊद आली ने मजलिस पढ़ी, जिसमें उन्होंने ज़ुल्म के मुक़ाबले में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के आंदोलन के सबक़ की ओर इशारा किया और वलीए अम्र मुस्लेमीन इमाम ख़ामेनेई के नेतृत्व में इस्लामी गणराज्य को रेज़िस्टेंस के अंतर्राष्ट्रीय मोर्चे का ध्रुव और विश्व ज़ायोनीवाद को असत्य के मोर्चे का ध्रुव बताया। उन्होंने कहा कि ईरानी क़ौम आशूरा की शिक्षाओं की बुनियाद पर कभी भी असत्य के मोर्चे के सामने नहीं झुकेगी, क्योंकि उसने "हैहात मिन्नज़ ज़िल्लह" अर्थात ज़िल्लत हमसे कोसों दूर है को अपना आदर्श क़रार दिया है।
मजलिस के बाद जनाब महमूद करीमी ने हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों के हाल का मर्सिया और नौहा पढ़ा।