हुज्जतुल इस्लाम नासिर रफ़ीई ने मजलिस पढ़ी, जिसमें उन्होंने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के वक्तव्य के हवाले से आशूर का वाक़या होने के कारणों की समीक्षा की और कहा कि "समाज में बिद्अत का चलन", "धार्मिक मूल्यों का कमज़ोर व फीका पड़ना", "सत्य पर अमल न होना", "एलीट वर्ग की ख़ामोशी" और "अल्लाह और कामयाबी की उम्मीद खो देना" ये हुसैनी चेतावनियां हैं कि अगर इन्हें गंभीरता से लिया गया होता तो तत्कालीन इस्लामी समाज में करबला का वाक़या पेश न आता।

मजलिस के बाद जनाब सईद हद्दादियान ने हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के अहलेबैत के हाल का मर्सिया पढ़ा।