इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों की अज़ादारी के तहत तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में गुरूवार की रात को मोहर्रम की आठवीं रात की मजलिस आयोजित हुयी जिसमें बड़ी तादाद में अज़ादारों ने शिरकत की।
जनाब महदी समावाती ने दुआए तवस्सुल से अज़ादारी के प्रोग्राम का आग़ाज़ किया। उसके बाद हुज्जतुल इस्लाम अली अलीज़ादे ने मजलिस पढ़ी। उन्होंने मजलिस में अल्लाह की विलायत का पालन करने वालों और उद्दंडी ताक़तों का अनुसरण करने वालों के बीच संघर्ष पर आधारित क़ुरआन की आयतों की व्याख्या करते हुए कहा कि जेहाद और उद्दंडी ताक़तों के ख़िलाफ़ संघर्ष के नतीजे में पाकीज़ा ज़िंदगी और उद्दंडी ताक़तों पर फ़तह मिलती है लेकिन इन बरकतों को हासिल करने के लिए क़दम में दृढ़ता, अल्लाह की याद और ज़िक्र, अल्लाह के वली की पूरी तरह इताअत, समरस्ता और साथ, रक्षात्मक तैयारी और दुश्मन से न डरने जैसी कुछ चीज़ें ज़रूरी हैं।
मजलिस के बाद जनाब मोहम्मद हुसैन पूयानफ़र ने अहलेबैत अलैहेमुस्सलाम के हाल का मर्सिया और नौहा पढ़ा।