रमज़ान के महीने में दिल नर्म हो जाता है, रूह पर चमक आ जाती है और जब यह मुबारक महीना ख़त्म हो जाता है तो नए साल की शुरुआत का दिन ईदे फ़ित्र का दिन आता है। यानी वह दिन जब इंसान रमज़ान के महीने की बरकतों की मदद से सत्य के रास्ते पर सफ़र करे और ग़लत रास्तों से बचे।
इमाम ख़ामेनेई
2 मार्च 1995